10 बरस का नाम है

  1. Class 10 Hindi Guru Nanak
  2. दुनिया के ये 10 सबसे पुराने नाम 5 हज़ार साल पुराने इतिहास के गवाह हैं
  3. बेड़ी
  4. Sushant Singh Rajput Death Anniversary Memorable Film Best Dialouges । Sushant Singh Rajput: याद रहेंगे सुशांत के डायलॉग, ‘सक्सेस के बाद का प्लान सबके पास है लेकिन...’
  5. नामकरण


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Class 10 Hindi Guru Nanak

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिंदी के पद्य भाग के पाठ एक ‘राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा’ (Class 10 Hindi Guru Nanak) के व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे। राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा जो नर दुख में दुख नहीं माने लेखक परिचय लेखक- गुरूनानक जन्म- 15 अप्रैल, 1469 ई०, नानकाना साहिब, पंजाब, पाकिस्तान गुरूनानक का जन्‍म पाकिस्‍तान के पंजाब प्रांत के तलवंडी नामक गाँव में हुआ था, जो नानकाना साहिब के नाम से जाना जाता है। मृत्यु- 22 सितंबर 1539 ई०, करतारपुर, जो पाकिस्‍तान में है। पिता का नाम कालूचंद खत्री तथा माता का नाम तृप्ता था। इनके पिता ने इन्हें व्यवसाय में लगाने का काफी प्रयास किया, लेकिन इनका मन सांसारिक कार्य में नहीं लगा। इन्‍होंने भक्ति का मार्ग चुना। इन्होंने हिन्दु-मुस्लिम दोनों को समान धार्मिक उपासना पर बल दिया तथा वर्णाश्रम व्यवस्था एवं कर्मकाण्ड के विरोध करके निर्गुण भक्ति (इस भक्ति के मानने वाले लोग मूर्तिपूजा तथा कर्मकाण्‍ड का विरोध करते हैं और ईश्‍वर को निराकार मानते हैं।) का प्रचार किया। इनकी रचनाओं का संग्रह सिखों के पाँचवें गुरू अर्जुनदेव ने ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ में किया। गुरुनानक की प्रमुख रचनाएँ— ‘ जपुजी‘, आसादीवार, रहिरास और सोहिला। ‘सिख धर्म‘ के प्रवर्त्तक गुरुनानक ने मक्का-मदीना तक की यात्रा की। इन्होंनें 1539 ई० में ‘वाहे गुरु’ कहते हुए अपना भौतिक शरीर का त्याग कर दिया। पाठ परिचय— इस पाठ में कबीर के दो पद दिए गए हैं। पहले पद में सच्चे हृदय से राम नाम अर्थात् ईश्वर का जप करने की सलाह दी गई है तथा राम नाम अर्थात ईश्‍वर के नाम की जप करने की सलाह दी गई है। धर्म के काम में बाहरी दिखावा, पूजा-पाठ और कर्म-काण्ड की कड़ी आलोचना की गई है। दूसरे पद में, सुख-दुख में हमेशा एक...

दुनिया के ये 10 सबसे पुराने नाम 5 हज़ार साल पुराने इतिहास के गवाह हैं

जब इंसान ने लिखना नहीं सीखा था, तब पूर्वजों की कहानियां सिर्फ़ मुंहज़ुबानी किस्सों तक सीमित थी. जो वक़्त से साथ हमारे ज़हन से मिट जाती थीं. 3200 ईसा पूर्व तक ऐसे ही स्थिति रही. जिसके चलते आज हम हज़ारों प्राचीन लोगों के नाम और कहानियों से अनजान हैं. हालांकि, लेखन कला के विकास ने उस इतिहास की नींव रख दी, जिसे आने वाली पीढ़ियां ख़ुद अपनी आंखों से पढ़ सकें. इसके साथ ही हम कुछ ऐतिहासिक नामों से भी वाकिफ़ हो पाए. आज हम आपको दुनिया के ऐसे ही सबसे पुरानों नामों के बारे में बताने जा रहे हैं. 1. Yax Ehb Xook माया सभ्यता के प्रारंभिक काल में एक शक्तिशाली राजा Yax Ehb Xook के नाम का उल्लेख मिलता है. जो टिकल (ग्वाटेमाला) नाम के राज्य पर शासन करता था. उस वक़्त पूर्व-कोलंबियाई माया लिपि में प्रचलन में थी.इस राज्य ने कई शताब्दियों तक माया क्षेत्र के अधिकांश हिस्सों पर राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य रूप से अपना प्रभाव छोड़ा. ये भी पढ़ें: 2. Anitta Hor-Aha प्रारंभिक मिस्र का एक फ़ैरो था, जिसकी सटीक पहचान नहीं हो पाई है. इसके बावजूद कहा जाता है कि वो 3100 ई.पू. में एक महत्वपूर्ण शासक था और उसका नाम कई कलाकृतियों पर प्रकट होता है. उस वक़्त मिस्र में चित्रलिपि का प्रचलन था. साथ ही, उसका मकबरा भी खोजा गया है, जो उसके अस्तित्व के लिए अतिरिक्त साक्ष्य प्रदान करता है. 4. Neithhotep Neithhotep प्राचीन मिस्र की एक महत्वपूर्ण महिला थी. वो नर्मर या उसके उत्तराधिकारी होर-अहा की पत्नी थीं. उनके विशाल मकबरे का पाया जाना और शाही सरेख पर उनके नाम के उल्लेख के कारण माना जाता है कि 3150 से 3125 ईसा पूर्व के दौरान प्राचीन मिस्र में वो एक ख़ास स्थान रखती थीं. 5. Narmer नर्मर को मिस्र के प्रथम राजवंश का संस्थापक मान...

बेड़ी

“बाबूजी, एक पैसा!” मैं सुनकर चौंक पड़ा, कितनी कारुणिक आवाज थी। देखा तो एक 9-10 बरस का लड़का अन्धे की लाठी पकड़े खड़ा था। मैंने कहा- “सूरदास, यह तुमको कहाँ से मिल गया?” अन्धे को अन्धा न कह कर सूरदास के नाम से पुकारने की चाल मुझे भली लगी। इस सम्बोधन में उस दीन के अभाव की ओर सहानुभूति और सम्मान की भावना थी, व्यंग न था। उसने कहा- “बाबूजी, यह मेरा लड़का है, मुझ अन्धे की लकड़ी है। इसके रहने से पेट भर खाने को माँग सकता हूँ और दबने-कुचलने से भी बच जाता हूँ।” मैंने उसे इकन्नी दी, बालक ने उत्साह से कहा- “अहा इकन्नी!” बुड्ढे ने कहा- “दाता, जुग-जुग जियो!” मैं आगे बढ़ा और सोचता जाता था, इतने कष्ट से जो जीवन बिता रहा है, उसके विचार में भी जीवन ही सबसे अमूल्य वस्तु है, हे भगवान्! “दीनानाथ करी क्यों देरी?”– दशाश्वमेध की ओर जाते हुए मेरे कानों में एक प्रौढ़ स्वर सुनाई पड़ा। उसमें सच्ची विनय थी – वही जो तुलसीदास की विनय-पत्रिका में ओत-प्रोत है। वही आकुलता, सान्निध्य की पुकार, प्रबल प्रहार से व्यथित की कराह! मोटर की दम्भ भरी भीषण भों-भों में विलीन होकर भी वायुमण्डल में तिरने लगी। मैं अवाक् होकर देखने लगा, वही बुड्ढा! किन्तु आज अकेला था। मैंने उसे कुछ देते हुए पूछा- “क्योंजी, आज वह तुम्हारा लड़का कहाँ है?” “बाबूजी, भीख में से कुछ पैसा चुराकर रखता था, वही लेकर भाग गया, न जाने कहाँ गया!”– उन फूटी आँखों से पानी बहने लगा। मैंने पूछा- “उसका पता नहीं लगा? कितने दिन हुए?” “लोग कहते हैं कि वह कलकत्ता भाग गया!” उस नटखट लड़के पर क्रोध से भरा हुआ मैं घाट की ओर बढ़ा, वहाँ एक व्यास जी श्रवण-चरित की कथा कह रहे थे। मैं सुनते-सुनते उस बालक पर अधिक उत्तेजित हो उठा। देखा तो पानी की कल का धुआँ पूर्व के आकाश में अज...

Sushant Singh Rajput Death Anniversary Memorable Film Best Dialouges । Sushant Singh Rajput: याद रहेंगे सुशांत के डायलॉग, ‘सक्सेस के बाद का प्लान सबके पास है लेकिन...’

Sushant Singh Rajput Death Anniversary: सुशांत सिंह राजपूत के फैन्स को आज उनकी कमी खूब महसूस हो रही है. टीवी से फिल्मों की दुनिया में आए इस युवा एक्टर ने बहुत तेजी से अपनी पहचान बनाई थी. इस साल उन्हें फिल्मों में एक दशक पूरा हो जाता है. लेकिन कम समय में ही सुशांत ने कुछ शानदार फिल्में की. उनके कुछ डालयॉग लोगों को हमेशा याद रहेंगे... Sushant Singh Rajput Dialouges: सुशांत सिंह राजपूत जिंदा होते तो इस साल उनका फिल्मी करियर दस बरस का हो गया होता. 2013 में उनकी पहली फिल्म काय पो चे आई थी. फिर उसी साल शुद्ध देसी रोमांस आई. अपनी छोटी-सी फिल्मी पारी में सुशांत ने कुछ यादगार फिल्में दीं, जिनमें एम.एस.धोनीः द अनटोल्ड स्टोरी, केदारनाथ, सोनचिरैया और छिछोरे जैसी फिल्में शामिल हैं. उनके निधन के बाद ओटीटी पर रिलीज हुई दिल बेचारा ने कई रिकॉर्ड बनाए थे. टीवी से फिल्मों में आने वाले सुशांत ने अपनी ऐक्टिंग के लाखों-करोड़ों फैन्स बनाए और उनके द्वारा पर्दे पर बोले गए संवाद आज भी इन फैन्स के दिलों में खास जगह रखते हैं. एक नजर कुछ ऐसे ही डायलॉग्स पर... सुशांत के संवाद -जो सिर्फ एक पल होता है, उसे छोड़कर कुछ नहीं होता है. (काय पो चे, 2013) -पाने की कैपेसिटी, जीने की स्ट्रेंथ, अकाउंट का बैलेंस और नाम का खौफ... कभी भी कम नहीं होना चाहिए. (शुद्ध देसी रोमांस, 2013) -मुझे फिर कभी गलत मत समझना. शायद मैं सिर्फ तुमसे ज्यादा सोचता हूं. (पीके, 2014) -खुद से ज्यादा कभी किसी को ना चाहा, खुद से ज्यादा कभी किसी पर यकीन ना किया. (डिटेक्टिव ब्योमकेश बख्शी, 2015) -एक कैप्टन तभी अच्छा कैप्टन हो सकता है, जब उसकी टीम अच्छी होगी. (एम.एस.धोनीः द अनटोल्ड स्टोरी, 2016) -अगर रोजे नहीं रखे... तो फिर ईद का क्या मजा. (राब्...

नामकरण

नामकरण को सोलह संस्कारों में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। भारत में राशि के नाम तथा नक्षत्र के आधार पर नाम रखने की प्राचीन परंपरा रही है। अच्छे भविष्य के लिए लड़कों के नाम और लड़कियों के नाम वैदिक ज्योतिष के मानदंडों के अनुसार रखने की आवश्यकता होती है। ज्योतिषीय रूप से सही नाम जानने के लिए कृपया नीचे जन्म-विवरण भरें– भारत एक परम्पराओं का देश है, जहाँ शादी-ब्याह से लेकर बच्चे का नामकरण तक पूरे रीति-रिवाज़ के साथ की जाती है। धर्म चाहे कोई भी हो सभी अपने आने वाले या फिर जन्म ले चुके बच्चे का नाम बहुत ही आकर्षक रखना चाहते हैं। हमारे समाज में लोगों की ऐसी सोच है कि नाम से ही व्यक्ति की पहचान होती है इसीलिए नाम दमदार होना चाहिए। और यह बात बहुत हद तक सही भी है क्यूंकि सबसे पहली चीज़ जो कोई व्यक्ति हमसे पूछता है वह होता है हमारा नाम। क्या है नामकरण ? नामकरण एक प्रथा होती है जिसे लोग बच्चे के इस दुनिया में आने के बाद करते हैं। किसी भी व्यक्ति का नाम उसकी पहचान के लिए रखा जाता है। हिन्दू धर्म में बहुत से लोग नामकरण की इस प्रक्रिया को पूरे विधि-विधान से करते हैं, जिसे नामकरण संस्कार कहा जाता है। जन्म के दसवें या बारहवें दिन नामकरण संस्कार किया जाता है, जिसमें बच्चों के राशि के नाम रखे जाते हैं। नामकरण की प्रथा बहुत ही पुराने समय से चली आ रही है। वैदिक काल में चार प्रकार से नाम रखने का प्रचलन था। • नक्षत्र नाम - इसमें शिशु का नाम जन्म से समय • गुप्त नाम - जातकर्म के समय माता-पिता द्वारा रखा जाने वाला नाम। • व्यावहारिक नाम - नामकरण संस्कार के वक़्त रखा गया बच्चे का नाम। • याज्ञिक नाम - यज्ञकर्म के संपादन के आधार पर रखा गया नाम। नामकरण का महत्व अगर देखा जाये तो बच्‍चे की पहली पहचान नाम ही तो ...