यूपीसीएल उत्तराखंड

  1. Uttarakhand: यूपीसीएल ने उठाया बड़ा कदम, अब बिजली गुल होने पर 2 घंटे में होगा समाधान, बस करना होगा ये काम
  2. यूपीसीएल बिल भुगतान ऑनलाइन
  3. अघोषित बिजली कटौती से अंधेरे में डूबा उत्तराखंड! 'हालात नहीं सुधरे तो होगा इंडस्ट्री का पलायन', know the reason for power crisis in uttarakhand
  4. Smart Meter To Be Embeded In Uttarakhand Ann
  5. uttarakhand power corporation limited upcl proposes 10 percent electricity hike in domestic and commercial user uttarakand electricity regulatory commission uerc public meeting power tariff hike
  6. Uttarakhand Government Departments Not Submit Electricity Bills Worth Crores Of Rupees Ann
  7. power cut uttarakhand electricity demand electricity generation gap increase demand upcl urja nigam
  8. power cut uttarakhand electricity demand electricity generation gap increase demand upcl urja nigam
  9. Uttarakhand Government Departments Not Submit Electricity Bills Worth Crores Of Rupees Ann
  10. Smart Meter To Be Embeded In Uttarakhand Ann


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Uttarakhand: यूपीसीएल ने उठाया बड़ा कदम, अब बिजली गुल होने पर 2 घंटे में होगा समाधान, बस करना होगा ये काम

देहरादून. उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड (Uttarakhand Power Corporation Limited) के नए एमडी बने दीपक रावत (Deepak Rawat) अब एक्शन मोड़ में दिखाई दे रहे हैं. उन्‍होंने बिजली उपभोक्ताओं (Electricity Consumers) को बिजली समस्या से न जूझना पड़े, इसको लेकर अधिकारियों और कर्मचारियों को सख्त निर्देश दिए हैं. एमडी का कहना है कि किसी भी उपभोक्‍ता को बिजली की समस्‍या के समाधान के लिए लम्बा इंतजार नहीं करना होगा. इसके लिए उन्‍होंने एक टोल फ्री नंबर भी जारी किया है. बता दें कि राज्‍य सरकार ने जनता को 24 घंटे बिजली देने का वायदा किया है. इसके अलावा राज्य के किसी भी इलाके में बिजली गुल होती है तो उपभोक्ता टोल फ्री नंबर 1912 (Toll Free Number 1912) पर सम्पर्क कर अपनी समस्या दर्ज करवा सकते हैं. इस समस्या का हल मात्र दो घंटे के भीतर निकाला जायेगा, लेकिन किसी इलाके में बिजली के तार चेंज होने हों या फिर पोल बदलना या बड़ा फॉल्ट आता है तो भी उपभोक्ताओं को पता रहे कि कब तक समस्या का हल निकला जायेगा. इसकी सूचना भी टोल फ्री नंबर से मिलेगी. इस वजह से उठाया बड़ा कदम दरअसल, राज्य के दूरस्थ इलाकों में देखने को मिलता है कि बिजली कर्मचारियों की लापरवाही के चलते बिजली का छोटा सा फाल्ट भी लम्बे समय तक सही न होने के चलते जनता को बिजली की खासी दिक्क्तें होती है, लेकिन अब जनता को किसी भी इलाके में बिजली समस्या होती है तो टोल फ्री नंबर पर कॉल कर जनता को बिजली दिक्क्तों में समाधान मिलेगा. अगर किसी भी अधिकारी या कर्मचारी की काम में लापरवाई तो उसके खिलाफ भी एक्शन लिया जायेगा. यही नहीं, उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड के नए एमडी बने दीपक रावत ने साफ साफ कह दिया है कि जनता को किसी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिए. ...

यूपीसीएल बिल भुगतान ऑनलाइन

उत्तराखंड में आपके बिजली बिल का यूपीसीएल बिल भुगतान यूपीसीएल की वेबसाइट पर ऑनलाइन किया जा सकता है। आप नए कनेक्शन के लिए ऑनलाइन भी आवेदन कर सकते हैं। भारत की उत्तराखंड सरकार, उत्तराखंड पावर कंपनी लिमिटेड (यूपीसीएल) की मालिक है, जो बिजली बेचती है। 2001 में स्थापित, यह शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों सहित विभिन्न राज्य क्षेत्रों को बिजली प्रदान करता है। उत्तराखंड यूपीसीएल 1635 मेगावाट की कुल स्थापित क्षमता के साथ पूरे राज्य में बिजली उत्पादन, संचारण और वितरण के लिए जिम्मेदार है। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (यूईआरसी) द्वारा शासित राज्य की बिजली आपूर्ति विश्वसनीय और लागत प्रभावी है, यह सुनिश्चित करने के लिए व्यवसाय जिम्मेदार है। उत्तराखंड यूपीसीएल का आधिकारिक वेबपेज जहां आप यूपीसीएल बिल भुगतान कर सकते हैं ऑनलाइन यूपीसीएल बिल भुगतान प्रक्रिया उत्तराखंड यूपीसीएल का वेब पोर्टल राज्य के नागरिकों को उपयोगकर्ता के अनुकूल मंच प्रदान करता है। पोर्टल रीयल-टाइम में सभी लेखांकन और इन्वेंट्री रिकॉर्ड उत्पन्न करता है। यह उपभोक्ताओं के लिए बिजली बिल बनाने में विभाग की सहायता करता है, जिससे उन्हें अपने बिलों का ऑनलाइन भुगतान करने की अनुमति मिलती है। ग्राहक नए बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन करने के लिए भी इस पोर्टल का उपयोग कर सकते हैं। राज्य में उपभोक्ता विभिन्न ऑनलाइन माध्यमों से अपने बिजली बिलों का भुगतान कर सकते हैं। 1. यूपीसीएल वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन यूपीसीएल बिल भुगतान • चरण 1: सबसे पहले, उत्तराखंड यूपीसीएल के आधिकारिक वेबपेज - https://www.upcl.org पर जाएं और कंज्यूमर सेल्फ सर्विसेज टैब पर होवर करें। एक ड्रॉप-डाउन मेनू दिखाई देगा। 'व्यू बिल/पेमेंट' विकल्प पर क्लिक करें। • वैकल्पिक रूप से, ह...

अघोषित बिजली कटौती से अंधेरे में डूबा उत्तराखंड! 'हालात नहीं सुधरे तो होगा इंडस्ट्री का पलायन', know the reason for power crisis in uttarakhand

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सख्ती के बाद UPCL उत्तराखंड में अघोषित बिजली कटौती (power cut in uttarakhand) के कारण गिनाने में जुटा है. यूपीसीएल ने कहा है कि वो हर कीमत पर बाहर से बिजली खरीदकर बिजली कटौती को पूरा करेगा. यूपीसीएल ने कहा है कि काशीपुर में दो गैस थर्मल प्लांट बंद होने से प्रदेश में बिजली की कमी हो गई है. उधर, उद्योगपतियों ने प्रदेश से पलायन की चेतावनी दी है. देहरादून: उत्तराखंड में बिजली कटौती पर सीएम पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) की सख्ती के बाद UPCL (उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड) आलाधिकारियों की नींद उड़ी हुई है. अब यूपीसीएल ने दावा किया है की किल्लत के बावजूद अब चाहे जितनी भी महंगी बिजली बाजार से खरीदनी पड़े, तो खरीदी जाएगी. लेकिन आगे उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति की समस्या निजात दिलाने का भरसक प्रयास किया जाएगा. UPCL के अनुसार प्रदेश में बिजली आपूर्ति की समस्या से निपटने के लिए नए सिरे से रोड मैप तैयार किया जा रहा है, जिसके आधार पर एक्सचेंज पॉवर (PPA) और बाजार से कितनी बिजली गर्मियों में डिमांड अनुसार खरीदनी है. उसकी प्रतिदिन मॉनिटरिंग कर खरीदारी बढ़ाई जा रही है. यूपीसीएल के वर्तमान में काशीपुर स्थित दोनों गैस थर्मल प्लांट बंद होने से राज्य में 7 मिलियन यूनिट बिजली की कमी आ रही है. क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में गैस और कोयला महंगा होने के चलते बीते सितंबर, 2021 दोनों गैस थर्मल प्लांट बंद पड़े हैं. उर्जा प्रदेश उत्तराखंड में बिजली संकट यूपीसीएल का कहना है कि गैस थर्मल प्लांट से PPA (power purchase agreement) के तहत 7 मिलियन यूनिट बिजली सीधे तौर खरीदता है. ऐसे में गैस थर्मल प्लांट बंद होने से 7 मिलियन बिजली सीधे तौर पर राज्य को नहीं मिल पा रह...

Smart Meter To Be Embeded In Uttarakhand Ann

देहरादून: अब आपका बिजली का मीटर जल्द बदलने वाला है. पुराने मीटर हटाकर उनकी जगह पर अब स्मार्ट मीटर लगाये जायेंगे. यूपीसीएल अब जल्द ही पुराने बिजली के मीटरों को हटाकर नये स्मार्ट मीटर लगाने जा रहा है. स्मार्ट मीटर लगने के बाद आपको हर दिन एसएमएस के जरिये इस्तेमाल की गई यूनिट की जानकारी सहित कई जानकारियां फोन पर मिल सकेंगी. उत्तराखंड में करीब 24 लाख घरों में स्मार्ट मीटर लगाये जाने हैं. इसमें केंद्र द्वारा 15 प्रतिशत खर्च यूपीसीएल को दिया जायेगा. बाकी खर्चा यूपीसीएल खुद वहन करेगा. उत्तराखंड में स्मार्ट मीटर लगाने पर यूपीसीएल का करीब 17 सौ करोड़ रूपये का खर्चा आयेगा. यूपीसीएल ने नहीं लगाये स्मार्ट मीटर तो अन्य योजनाओं का नहीं मिलेगा लाभ यहां एक बात और गौर करने वाली और बड़ी महत्वपूर्ण है, अगर यूपीसीएल ने स्मार्ट मीटर लगाने का काम नहीं किया तो केंद्र द्वारा बिजली से संबंधित अन्य योजनाओं का लाभ यूपीसीएल को नहीं मिल सकेगा. यानी कि, स्मार्ट मीटर लगाने यूपीसीएल के लिए अनिवार्य हैं. जब तक यूपीसीएल यह लिखकर केंद्र को नहीं देगा कि, स्मार्ट मीटर लगाने का काम शुरू कर दिया है. तब तक किसी भी अन्य योजना का लाभ यूपीसीएल को नहीं मिल पायेगा. यूपीसीएल का रहेगा नियंत्रण, मैन पावर की समस्या होगी खत्म स्मार्ट मीटर लगने का बाद इनपर ऑनलाइन पूरा नियंत्रण यूपीसीएल के पास होगा. सितम्बर 2021 तक इसकी डीपीआर तैयार हो जायेगी. यूपीसीएल के अधिकारियों का मानना है की स्मार्ट मीटर लगने से बिजली घाटे से भी यूपीसीएल उभर पायेगा. इसके अलावा उपभोक्ता की बिजली ख़पत की जानकारी उनके पास रहेगी, साथ ही बिजली मीटर रीडिंग लेने के लिए मैन पावर जैसी समस्याएं ख़त्म हो जायेंगी. मैन्यूअल काम कम हो जायेंगे. ये भी पढ़ें. Published...

uttarakhand power corporation limited upcl proposes 10 percent electricity hike in domestic and commercial user uttarakand electricity regulatory commission uerc public meeting power tariff hike

ऊर्जा निगम ने उत्तराखंड में बिजली दरों में करीब दस प्रतिशत की बढ़ोतरी का प्रस्ताव तैयार किया है। इसे अंतिम रूप यूपीसीएल बोर्ड बैठक में दिया जाएगा। यहां बोर्ड की मुहर के बाद मंजूरी के लिए उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग भेजा जाएगा। आयोग जनसुनवाई प्रक्रिया के बाद इसे फाइनल करेगा। इस बार आयोग को प्रस्ताव भेजने में एक महीने की देरी हो गई है। हर साल नंवबर अंतिम सप्ताह तक प्रस्ताव भेजा जाता था। इस बार ऐसा नहीं हो सका है। अभी भी नई दरों के प्रस्ताव को बोर्ड के समक्ष रखने की तैयारी चल रही है। 24 दिसंबर को बोर्ड बैठक इसी प्रस्ताव को ध्यान में रखते हुए बुलाई गई है। बोर्ड के सभी सदस्य प्रस्ताव को जांच परख कर फाइनल करेंगे। यूपीसीएल के प्रस्ताव पर आयोग पूरे राज्य में जन सुनवाई करेगा। आम जनता, उद्योगों, कॉमर्शियल समेत सभी पक्षों से आपत्ति-सुझाव लिए जाएंगे। इसके बाद मार्च अंतिम सप्ताह में नई बिजली दरों पर अंतिम मुहर लगेगी, जो एक अप्रैल से लागू हो जाएंगी। ऊर्जा निगम की ओर से सालाना सभी खर्चों की जानकारी प्रस्ताव की शक्ल में आयोग को उपलब्ध कराई जाती है। इस खर्चे के ब्योरे की आयोग की टीम पड़ताल करती है। यूपीसीएल के गैर जरूरी खर्चों और इंजीनियरों की लापरवाही के कारण पड़ने वाले भार का असर आम जनता के ऊपर नहीं डाला जाता। यही वजह है कि वर्ष 2020-21 के लिए आयोग ने यूपीसीएल के 7.70% बढ़ोतरी के प्रस्ताव को पूरी तरह नकार दिया था। आयोग से जनता को राहत नियामक आयोग ने जनसुनवाई के बाद 2018-19 में घरेलू उपभोक्ताओं की बिजली दरों में फेरबदल नहीं किया था। यही स्थिति वर्ष 2019-20 में भी रही। इस वर्ष मौजूदा दरों में ही कटौती कर दी गई थी। इसका लाभ राज्य के घरेलू और औद्योगिक श्रेणी के उपभोक्ताओं को दरों में कटौती के ...

Uttarakhand Government Departments Not Submit Electricity Bills Worth Crores Of Rupees Ann

Haridwar News: उत्तराखंड (Uttarakhand) के हरिद्वार (Haridwar) में सरकारी विभाग ही ऊर्जा निगम को चूना लगा रहे हैं. स्वास्थ्य, शिक्षा, पुलिस और सिंचाई समेत कई विभागों ने लंबे समय से बिजली के बिलों का भुगतान नहीं किया है. जिसके चलते यूपीसीएल (UPCL) के करोड़ों रुपये विभागों पर बकाया चल रहा है और यूपीसीएल के अधिकारियों को पैसे की वसूली के लिए बार-बार इन विभागों को नोटिस भेजने पड़ रहे हैं. कई नोटिस भेजे जाने के बावजूद भी विभागों के बिलों का भुगतान लटका हुआ है. यूपीसीएल के अधिकारियों के मुताबिक कुछ विभागों ने तीन-चार साल से बिजली का बिल नहीं भरा है. सरकारी विभागों ने लगाया ऊर्जा विभाग को चूना हरिद्वार में 8 विभागों के ऊपर करीब सवा करोड़ रुपये बिजली के बिल का बकाया है. यूपीसीएल द्वारा विभागों को कई बार नोटिस भी जारी किया गया है बावजूद इसके विभाग बिजली का बकाया बिल जमा नहीं कर रहे. इनमें शिक्षा विभाग पर करीब 29 लाख, फॉरेस्ट विभाग पर 11 लाख, स्वास्थ्य विभाग 13 लाख, नगर निगम 5 लाख, पुलिस विभाग 11 लाख, पीडब्ल्यूडी विभाग 2 लाख इन विभागों पर बिजली का बकाया बिल है. इस मामले को लेकर यूपीसीएल द्वारा कुछ विभागों को नोटिस जारी कर दिया गया है और कुछ को अभी जारी भी किए जा रहे हैं. यूपीसीएल की सहायक अभियंता प्रियंका गर्ग ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि लगभग 8 विभाग हैं जिन पर पैसा बकाया है. ये बिल अब करोड़ों रुपये तक पहुंच चुका है. इनमें से कुछ विभागों को नोटिस भी जारी किए गए हैं और ये प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी. यूपीसीएल के अधिशासी अभियंता अनूप सैनी का कहना है कि सरकारी विभाग में कुछ विभाग ऐसे हैं जिनमें नियमित पैसा आ जा रहा है और कुछ विभाग ऐसे हैं जिसमें नियमित पैसा नहीं आ रहा है. जैस...

power cut uttarakhand electricity demand electricity generation gap increase demand upcl urja nigam

उत्तराखंड मेंबिजली उत्पादन में आत्मनिर्भरता लाने के मामले में प्रदेश की स्थिति खराब है। वर्तमान में राज्य में उत्पादित बिजली से दोगुनी बिजली की राज्य को जरूरत है लेकिन इस उपलब्धता को राज्य खुद अपने बूते पूरा करने की स्थिति में नहीं है। केन्द्र से मिलने वाले अंश और पॉवर एक्सचेंज के माध्यम से प्रदेश में डिमांड पूरी की जा रही है। इसके बावजूद, डिमांड पूरी करने के लिए प्रतिदिन औसतन छह मेगावाट अतिरिक्त बिजली की दरकार पड़ रही है। वर्ष 2011-12 में कुल बिजली का उत्पादन वर्षभर 5261.82 मिलियन यूनिट था, जबकि मांग 10571.10 थी। दस साल गुजर जाने के बाद भी यह अंतर कम नहीं हुआ है। वर्ष 2021-22 में कुल विद्युत उत्पादन 5157.27 मिलियन यूनिट है। जबकि प्रदेश में बिजली की मांग 10679 मिलियन यूनिट पहुंच चुकी है। ऐसे में साफ है कि वर्ष 2011-2012 की तुलना में वर्ष 2021-22 में 104.55 मिलियन यूनिट उत्पादन कम हो रहा है। वहीं बिजली की डिमांड की बात करें तो दस वषों में 107.9 मिलियन यूनिट डिमांड बढ़ी है। बढ़ती बिजली की मांग के बावजूद राज्य में बिजली की स्थापित क्षमता में कोई बड़ा अंतर नहीं आया है। वर्ष 2011-12 में राज्य में बिजली की स्थापित क्षमता 1306.25 मेगावाट थी। वहीं वर्ष 2021-2022 में 1322.56 मेगावाट है। ऐसे में दस वर्षों में स्थापित क्षमता में 16.31 मेगावाट का ही अंतर आया है। इसे साफ है बिजली उत्पादन के क्षेत्र में प्रदेश में अभी बहुत काम की दकरार है। अर्थ एंव संख्या निदेशालय की ओर से तैयार किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2021-2022 में राज्य में बिजली उत्पादन के लिए गैरपारंपरिक स्रोतों की संभावनाओं को देखते हुए सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा की परियोजनाओं को भी शामिल करने का सुझाव दिया गया है। पांच से 10 एमयू तक बिजली...

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उत्तराखंड मेंबिजली उत्पादन में आत्मनिर्भरता लाने के मामले में प्रदेश की स्थिति खराब है। वर्तमान में राज्य में उत्पादित बिजली से दोगुनी बिजली की राज्य को जरूरत है लेकिन इस उपलब्धता को राज्य खुद अपने बूते पूरा करने की स्थिति में नहीं है। केन्द्र से मिलने वाले अंश और पॉवर एक्सचेंज के माध्यम से प्रदेश में डिमांड पूरी की जा रही है। इसके बावजूद, डिमांड पूरी करने के लिए प्रतिदिन औसतन छह मेगावाट अतिरिक्त बिजली की दरकार पड़ रही है। वर्ष 2011-12 में कुल बिजली का उत्पादन वर्षभर 5261.82 मिलियन यूनिट था, जबकि मांग 10571.10 थी। दस साल गुजर जाने के बाद भी यह अंतर कम नहीं हुआ है। वर्ष 2021-22 में कुल विद्युत उत्पादन 5157.27 मिलियन यूनिट है। जबकि प्रदेश में बिजली की मांग 10679 मिलियन यूनिट पहुंच चुकी है। ऐसे में साफ है कि वर्ष 2011-2012 की तुलना में वर्ष 2021-22 में 104.55 मिलियन यूनिट उत्पादन कम हो रहा है। वहीं बिजली की डिमांड की बात करें तो दस वषों में 107.9 मिलियन यूनिट डिमांड बढ़ी है। बढ़ती बिजली की मांग के बावजूद राज्य में बिजली की स्थापित क्षमता में कोई बड़ा अंतर नहीं आया है। वर्ष 2011-12 में राज्य में बिजली की स्थापित क्षमता 1306.25 मेगावाट थी। वहीं वर्ष 2021-2022 में 1322.56 मेगावाट है। ऐसे में दस वर्षों में स्थापित क्षमता में 16.31 मेगावाट का ही अंतर आया है। इसे साफ है बिजली उत्पादन के क्षेत्र में प्रदेश में अभी बहुत काम की दकरार है। अर्थ एंव संख्या निदेशालय की ओर से तैयार किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2021-2022 में राज्य में बिजली उत्पादन के लिए गैरपारंपरिक स्रोतों की संभावनाओं को देखते हुए सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा की परियोजनाओं को भी शामिल करने का सुझाव दिया गया है। पांच से 10 एमयू तक बिजली...

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Haridwar News: उत्तराखंड (Uttarakhand) के हरिद्वार (Haridwar) में सरकारी विभाग ही ऊर्जा निगम को चूना लगा रहे हैं. स्वास्थ्य, शिक्षा, पुलिस और सिंचाई समेत कई विभागों ने लंबे समय से बिजली के बिलों का भुगतान नहीं किया है. जिसके चलते यूपीसीएल (UPCL) के करोड़ों रुपये विभागों पर बकाया चल रहा है और यूपीसीएल के अधिकारियों को पैसे की वसूली के लिए बार-बार इन विभागों को नोटिस भेजने पड़ रहे हैं. कई नोटिस भेजे जाने के बावजूद भी विभागों के बिलों का भुगतान लटका हुआ है. यूपीसीएल के अधिकारियों के मुताबिक कुछ विभागों ने तीन-चार साल से बिजली का बिल नहीं भरा है. सरकारी विभागों ने लगाया ऊर्जा विभाग को चूना हरिद्वार में 8 विभागों के ऊपर करीब सवा करोड़ रुपये बिजली के बिल का बकाया है. यूपीसीएल द्वारा विभागों को कई बार नोटिस भी जारी किया गया है बावजूद इसके विभाग बिजली का बकाया बिल जमा नहीं कर रहे. इनमें शिक्षा विभाग पर करीब 29 लाख, फॉरेस्ट विभाग पर 11 लाख, स्वास्थ्य विभाग 13 लाख, नगर निगम 5 लाख, पुलिस विभाग 11 लाख, पीडब्ल्यूडी विभाग 2 लाख इन विभागों पर बिजली का बकाया बिल है. इस मामले को लेकर यूपीसीएल द्वारा कुछ विभागों को नोटिस जारी कर दिया गया है और कुछ को अभी जारी भी किए जा रहे हैं. यूपीसीएल की सहायक अभियंता प्रियंका गर्ग ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि लगभग 8 विभाग हैं जिन पर पैसा बकाया है. ये बिल अब करोड़ों रुपये तक पहुंच चुका है. इनमें से कुछ विभागों को नोटिस भी जारी किए गए हैं और ये प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी. यूपीसीएल के अधिशासी अभियंता अनूप सैनी का कहना है कि सरकारी विभाग में कुछ विभाग ऐसे हैं जिनमें नियमित पैसा आ जा रहा है और कुछ विभाग ऐसे हैं जिसमें नियमित पैसा नहीं आ रहा है. जैस...

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देहरादून: अब आपका बिजली का मीटर जल्द बदलने वाला है. पुराने मीटर हटाकर उनकी जगह पर अब स्मार्ट मीटर लगाये जायेंगे. यूपीसीएल अब जल्द ही पुराने बिजली के मीटरों को हटाकर नये स्मार्ट मीटर लगाने जा रहा है. स्मार्ट मीटर लगने के बाद आपको हर दिन एसएमएस के जरिये इस्तेमाल की गई यूनिट की जानकारी सहित कई जानकारियां फोन पर मिल सकेंगी. उत्तराखंड में करीब 24 लाख घरों में स्मार्ट मीटर लगाये जाने हैं. इसमें केंद्र द्वारा 15 प्रतिशत खर्च यूपीसीएल को दिया जायेगा. बाकी खर्चा यूपीसीएल खुद वहन करेगा. उत्तराखंड में स्मार्ट मीटर लगाने पर यूपीसीएल का करीब 17 सौ करोड़ रूपये का खर्चा आयेगा. यूपीसीएल ने नहीं लगाये स्मार्ट मीटर तो अन्य योजनाओं का नहीं मिलेगा लाभ यहां एक बात और गौर करने वाली और बड़ी महत्वपूर्ण है, अगर यूपीसीएल ने स्मार्ट मीटर लगाने का काम नहीं किया तो केंद्र द्वारा बिजली से संबंधित अन्य योजनाओं का लाभ यूपीसीएल को नहीं मिल सकेगा. यानी कि, स्मार्ट मीटर लगाने यूपीसीएल के लिए अनिवार्य हैं. जब तक यूपीसीएल यह लिखकर केंद्र को नहीं देगा कि, स्मार्ट मीटर लगाने का काम शुरू कर दिया है. तब तक किसी भी अन्य योजना का लाभ यूपीसीएल को नहीं मिल पायेगा. यूपीसीएल का रहेगा नियंत्रण, मैन पावर की समस्या होगी खत्म स्मार्ट मीटर लगने का बाद इनपर ऑनलाइन पूरा नियंत्रण यूपीसीएल के पास होगा. सितम्बर 2021 तक इसकी डीपीआर तैयार हो जायेगी. यूपीसीएल के अधिकारियों का मानना है की स्मार्ट मीटर लगने से बिजली घाटे से भी यूपीसीएल उभर पायेगा. इसके अलावा उपभोक्ता की बिजली ख़पत की जानकारी उनके पास रहेगी, साथ ही बिजली मीटर रीडिंग लेने के लिए मैन पावर जैसी समस्याएं ख़त्म हो जायेंगी. मैन्यूअल काम कम हो जायेंगे. ये भी पढ़ें. Published...