यदि कोई व्यक्ति 7 किग्रा एलपीजी का उपयोग करता है तो कितनी यूनिट ऊर्जा की खपत होती है?

  1. आईपीसी की धारा 467 और 471: जालसाजी
  2. धारा 379 क्या है
  3. PPF Calculator
  4. 1 Unit me Kitne Watt Hote Hai ? 1 unit = watts
  5. धारा 107 क्या है
  6. धारा 463 क्या है
  7. मधुमेह जाँच की सूची, मूल्य, प्रक्रिया, व लागत
  8. धारा 80 के तहत कटौती: धारा 80C, 80CCC, 80CCD और 80D आयकर
  9. यूरेट्रिक स्टोन (Uretric Stone) क्या है? जाने इसके कारण, लक्षण और इलाज


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आईपीसी की धारा 467 और 471: जालसाजी

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • परिचय वर्तमान समय में, ऐसे मामलों का आना बहुत आम है जहां एक व्यक्ति जालसाजी के माध्यम से गलत लाभ प्राप्त करता है। इस तरह की जालसाजी कई प्रकार की हो सकती है जैसे कि हस्ताक्षर, दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड आदि की जालसाजी। यह एक ज्ञात तथ्य है कि भारतीय दंड संहिता, 1860 अपने प्रावधानों के माध्यम से, भारत के नागरिकों को विभिन्न अपराध से बचाता है इसमें जालसाजी का अपराध भी शामिल है। इस लेख में, हम आईपीसी के दो ऐसे प्रावधानों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे जो जालसाजी से संबंधित हैं यानी धारा 467 और धारा 471 । जालसाजी का अर्थ जालसाजी से तात्पर्य किसी अन्य व्यक्ति के अधिकार के पूर्वाग्रह (प्रेजुडिस) के लिए झूठे तरीके से किसी भी लेखन, रिकॉर्ड, उपकरण, स्टाम्प, रजिस्टर, डीड, आदि के निर्माण, जोड़ या परिवर्तन से है। यह धोखाधड़ी करने का एक कार्य है जो छल के इरादे से प्रेरित होता है। जालसाजी के मामले में, विचाराधीन उपकरण को इस तरह से बदल दिया जाता है कि यदि इसे वास्तविक रूप में पास किया जाता है तो इसका कानूनी मूल्य होगा या कानूनी दायित्व स्थापित होगा। भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 463 के अनुसार, जालसाजी तब की जाती है जब कोई व्यक्ति जनता या किसी अन्य व्यक्ति को चोट या क्षति पहुंचाने के इरादे से कोई झूठे दस्तावेज या झूठे इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड या ऐसे दस्तावेजों या रिकॉर्ड का एक हिस्सा बनाता है, या किसी विशेष दावे या शीर्षक का समर्थन करने के लिए, या किसी अन्य व्यक्ति को संपत्ति के साथ भाग लेने के लिए या किसी भी व्यक्त (एक्सप्रेस) या निहित (इंप्लाइड) अनुबंध में प्रवेश करने के लिए, धोखाधड़ी करता है। कुछ दस्तावेज जिनकी अक्सर जालसाज...

धारा 379 क्या है

धारा 379 का विवरण भारतीय दंड संहिता की धारा 379 के अनुसार, जो भी व्यक्ति चोरी करने का अपराध करता है उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे 3 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दंड, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा। लागू अपराध चोरी करना सजा - 3 वर्ष कारावास या आर्थिक दंड या दोनों यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी न्यायाधीश द्वारा विचारणीय है। यह अपराध पीड़ित व्यक्ति / संपत्ति के मालिक द्वारा समझौता करने योग्य है। क्या होती है भारतीय दंड संहिता की धारा 379? भारतीय दंड संहिता की धारा 379 में किसी व्यक्ति द्वारा चोरी का अपराध करने के लिए दण्डित किया जाता है, इस धारा के प्रावधानों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी भी चल या अचल वस्तु की चोरी करने का अपराध करता है, तो ऐसी स्तिथि में यह धारा लागू होती है, चोरी का अपराध एक संज्ञेय अपराध है, इस लिए पुलिस चोरी के मामले में रिपोर्ट के रूप में एफ.आई.आर दर्ज करती है शिकायती के बयानों के आधार पर पुलिस तुरंत संज्ञान ले कर आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है। भारतीय दंड संहिता की धारा 379 के आवश्यक तत्व इस धारा में किसी भी वस्तु की चोरी करने के लिए एक व्यक्ति को सजा दी जा सकती है, इस धारा के आवश्यक तत्वों में यह ही देखा जा सकता है, कि यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति कि किसी भी संपत्ति को बिना बताये या उस संपत्ति के वास्तविक मालिक की जानकारी के बिना उस संपत्ति को अपने कब्जे में कर लेता है, या उस संपत्ति की जगह में परिवर्तन कर देता है, तो ऐसा व्यक्ति भारतीय दंड संहिता की धारा 379 के अनुसार सजा का भागीदार होता है। भारतीय दंड संहिता की धारा 379 समझौता करने योग्य होती है, अर्थात यदि चोरी की गयी संपत्ति का वास्तविक मालिक चाहे तो चोरी करने वाले...

PPF Calculator

पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) एक लंबी अवधि का निवेश विकल्प है, जो निवेश की गई राशि पर एक निश्चित ब्याज़ दर और रिटर्न देता है. यह टैक्स बचाने और गारंटीड रिटर्न के लिए एक सुरक्षित निवेश का ऑप्शन है. पीपीएफ कैलकुलेटर उपयोगकर्ताओं को निवेश की गई राशि के आधार पर मैच्योरिटी अमाउंट की गणना करने में मदद करता है. पीपीएफ के लाभ पीपीएफ थोड़े जोखिम उठाने वाले लोगों के लिए बेहतरीन निवेश विकल्पों में से एक है. पीपीएफ सरकार द्वारा प्रायोजित योजना है और निवेश का बाजार से कोई संबंध नहीं है. नतीजतन, यह सुरक्षित निवेश के लिए लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए गारंटीड रिटर्न देता है. पीपीएफ खाते निवेशक के पोर्टफोलियो में विविधता लाते हैं, क्योंकि उनका रिटर्न निश्चित होता है. वे टैक्स बचत के लाभ भी देते हैं.

1 Unit me Kitne Watt Hote Hai ? 1 unit = watts

आप जानना चाहते है 1 Unit me Kitne Watt Hote Hai | 1 unit = watts क्या आप जानते है यूनिट क्या है ? इसका हमारे दैनिक जीवन में क्या उपयोग है ? यूनिट का उपयोग कहाँ किया जाता है ? यदि आप इन सब प्रश्नों के जवाब जानना चाहते है तो इस पोस्ट को पूरा पढ़े यहाँ आपको आपके मेन सवाल एक यूनिट में कितने वाट होते है के साथ यूनिट के बारे में सम्पूर्ण जानकरी प्राप्त होने वाली है | 1 unit me waat एक यूनिट में कितने वाट होते है |1 unit = watts 1 unit = watts– एक यूनिट में 1000 वाट होते है | और यदि हम हमसे किलो वाट के बारे में पूछा जाये तो एक यूनिट में 1 किलो वाट होते है | यदि हम बात करे यूनिट क्या है की तो यूनिट विद्युत् ऊर्जा खपत की इकाई होती है | हमारे घरों या औद्योगो में उपयोग की जाने वाली बिजली खपत को मापने के लिए यूनिट शब्द का उपयोग किया जाता है | यह भी पढ़ें – • • • • • एक यूनिट किसे कहते है यदि 1000 वाट की कोई बिजली से चलने वाली मशीन या उपकरण 1 घंटे तक उपयोग किया जाये यानि की बिजली से जोड़ा जाये तो वह उपकरण या मशीन 1 यूनिट बिजली की खपत करता है | और इस खपत को KWH ( Kilo Watt Hour ) में मापा जाता है | जिसमे 1 KWH बराबर 1 यूनिट होता है | एक यूनिट किसे कहते है – यदि 1000 वाट की कोई बिजली से चलने वाली मशीन या उपकरण 1 घंटे तक उपयोग किया जाये यानि की बिजली से जोड़ा जाये तो वह उपकरण या मशीन 1 यूनिट बिजली की खपत करता है | और इस खपत को KWH ( Kilo Watt Hour ) में मापा जाता है | जिसमे 1 KWH बराबर 1 यूनिट होता है | यह भी पढ़ें – • • • • • कितने वाट में कितने यूनिट आइये उदहारण से समझाते है कितने वाट मे कितना यूनिट बनता है | एक 500 वाट का विद्युत् हीटर 1 घंटे में पानी को गर्म करता है | तो इस हीटर द्वारा ...

धारा 107 क्या है

धारा 107 का विवरण भारतीय दंड संहिता की धारा 107 के अनुसार, वह व्यक्ति किसी चीज़ के किए जाने का दुष्प्रेरण करता है, जो - • उस चीज़ को करने के लिए किसी व्यक्ति को उकसाता है; अथवा • उस चीज़ को करने के लिए किसी षड्यंत्र में एक या अधिक अन्य व्यक्ति या व्यक्तियों के साथ सम्मिलित होता है, यदि उस षडयंत्र के अनुसरण में, कोई कार्य या अवैध चूक होती है; अथवा • उस चीज़ के किए जाने में किसी कार्य या अवैध लोप द्वारा जानबूझ कर सहायता करता है । स्पष्टीकरण 1-- अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर दुर्व्यपदेशन या तात्विक तथ्य द्वारा, जिसे प्रकट करने के लिए वह आबद्ध है, जानबूझकर छिपाने द्वारा, स्वेच्छा से किसी चीज़ का किया जाना कारित करता है अथवा कारित करने का प्रयत्न करता है, तो उसे उस चीज़ को करने के लिए उकसाना कहा जाता है । भारतीय दंड संहिता की धारा 107 (किसी बात का दुष्प्रेरण करना) भारतीय दंड संहिता की धारा 107 में दुष्प्रेरण के अपराध के बारे में समझाया है, दुष्प्रेरण का शाब्दिक अर्थ है, किसी व्यक्ति को कोई कार्य करने के लिए, और यदि वह व्यक्ति कोई कार्य कर रहा है, तो उसे वह कार्य करने से रोकने के लिए उकसाना या प्रेरित करना होता है। सामान्यतः किसी व्यक्ति को किसी कार्य के लिए उकसाना कोई अपराध नहीं माना जाता है, किन्तु जब ऐसे किसी दुष्प्रेरण में कोई गैर क़ानूनी तत्त्व आ जाता है, तो ऐसा दुष्प्रेरण एक अपराध की श्रेणी में आ जाता है। भारतीय दंड संहिता में दुष्प्रेरण के कई प्रकारों को समझाया गया है, और दुष्प्रेरण के अपराध के साथ - साथ इस अपराध की सजा के बारे में भी बताया गया है। दुष्प्रेरण क्या और कैसे होता है भारतीय दंड संहिता की धारा 107 में दुष्प्रेरण की परिभाषा को कई उदाहरणों के साथ समझाया गया है, जिसके ...

धारा 463 क्या है

धारा 463 का विवरण भारतीय दंड संहिता की धारा 463 के अनुसार, जो कोई किसी मिथ्या दस्तावेज या मिथ्या इलैक्ट्रानिक अभिलेख अथवा दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख के किसी भाग कोट इस आशय से रचता है कि लोक को या किसी व्यक्ति को नुकसान या क्षति कारित की जाए, या किसी दावे या हक का समर्थन किया जाए, या यह कारित किया जाए कि कोई व्यक्ति संपत्ति अलग करे या कोई अभिव्यक्त या विवक्षित संविदा करे या इस आशय से रचता है कि कपट करे, या कपट किया जा सके, वह कूटरचना करता है । 1 1955 के अधिनियम सं0 26 की धारा 117 और अनुसूची द्वारा (1-1-1956 से) आजीवन निर्वासन के स्थान पर प्रतिस्थापित । 2 1958 के अधिनियम सं0 43 की धारा 135 और अनुसूची द्वारा (25-11-1959 से) व्यापार या शब्दों का लोप किया गया । 3 2000 के अधिनियम सं0 21 की धारा 91 और पहली अनुसूची द्वारा (17-10-200 से)कतिपय शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित । भारतीय दंड संहिता, 1860 86 क्या होती है भारतीय दंड संहिता की धारा 463? भारतीय दण्ड संहिता के अध्याय 18, में धारा 463 से 489 तक दस्तावेजों और चिन्हों संबधी जालसाई या कूटरचना के अपराधों एवं उसके दण्डों के विषय में बताया गया है। भारतीय दंड संहिता की धारा 463 में जालसाजी के अपराध की परिभाषा को व्यक्त किया गया है, जालसाजी का अर्थ यह है, कि किसी व्यक्ति के द्वारा झूठे दस्तावेज बनाना या तैयार करना। वह व्यक्ति उन दस्तावेजों का प्रयोग अपने वास्तविक रूप में करता है, या किसी अन्य व्यक्ति को धोखा देने के उद्देश्य से, कोई व्यक्ति झूठे दस्तावेज बनाता है, वह जालसाजी कहलाती है। भारतीय दंड संहिता की धारा 463 के आवश्यक तत्व भारतीय दंड संहिता की धारा 463 के प्रावधानों के अनुसार इसके निम्न आवश्यक तत्व है, जो कोई व्यक्ति किसी...

मधुमेह जाँच की सूची, मूल्य, प्रक्रिया, व लागत

रक्त शर्करा या ग्लूकोज हमारे रक्त का एक महत्वपूर्ण घटक है जो आपके शरीर को ऊर्जा देता है। जब ब्लड शुगर की मात्रा सामान्य सीमा से अधिक हो जाती है, तो उस अवस्था को मधुमेह कहा जाता है। यह समय के साथ व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। मधुमेह मूल रूप से दिल के दौरे, गुर्दे की विफलता, आंखों की बीमारियों, सुनने में परेशानी और कई अन्य स्वास्थ्य जटिलताओं के जोखिम को बढ़ाता है। इसलिए डायबिटीज़ ब्लड टेस्ट द्वारा अपने ब्लड शुगर लेवल को ट्रैक करना बहुत महत्वपूर्ण है। भारत में औसतन शुगर जाँच में लगने वाली राशि के बारे में जानने के लिए इस ब्लॉग को पढ़ें। Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • विभिन्न प्रकार के मधुमेह का पता लगाएं आमतौर पर मधुमेह के लक्षण दिखने में समय लगता है। यदि शुरुआत में ही मधुमेह का पता न चले तो यह कई स्वास्थ्य जटिलताओं को जन्म दे सकता है। इसलिए, कई डॉक्टर, हेल्थकेयर से जुड़े लोग और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग नियमित रूप से अपना शुगर टेस्ट करवाना पसंद करते हैं। यह न केवल उन्हें अपने मधुमेह और इसके प्रकार को पहचानने में मदद करता है बल्कि मधुमेह प्रबंधन या उसको मैनेज करने में भी मदद करता है। मधुमेह मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं: • टाइप-2 मधुमेह • टाइप-1 मधुमेह • गर्भावधि मधुमेह प्रत्येक प्रकार के मधुमेह का पता लगाने के लिए विभिन्न प्रकार के परीक्षण या जाँच की जाती है। हालांकि, फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज और रेंडम ब्लड शुगर जाँच सामान्य प्रकार के मधुमेह परीक्षण हैं। साथ ही, जो कोई भी अपने रक्त शर्करा के स्तर को जानना चाहता है, वह मधुमेह परीक्षण के लिए जा सकता है। हालांकि, यदि आप अधिक वजन वाले, उच्च रक्तचाप, 45 वर्ष से अधिक उम्र के हैं या मधुमे...

धारा 80 के तहत कटौती: धारा 80C, 80CCC, 80CCD और 80D आयकर

आयकर कटौती कर योग्य आय में कमी है, जो किसी व्यक्ति की कर देयता को कम करती है। आयकर सरकार के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि किसी व्यक्ति की कमाई का एक महत्वपूर्ण हिस्सा टैक्स ब्रैकेट में आता है। निवेश के प्रकार के अनुसार धारा 80 की कटौती को कई श्रेणियों में विभाजित किया गया है। अनुभागों के अनुसार विभिन्न प्रकार की कटौती आयकर का भुगतान करने पर बचत करने के लिए 80C कटौती सबसे प्रसिद्ध तरीका है। अतिरिक्त कर कटौती भी कर बिल को कम करने में मदद कर सकती है। आइए इन कटौतियों पर करीब से नज़र डालें: धारा 80सी कटौती क्या हैं? जब हम निवेश करते हैं तो हम सभी अच्छे रिटर्न की उम्मीद करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके कुछ निवेश आपको इससे कहीं अधिक प्रदान करते हैं और आपको टैक्स बचाने में मदद करते हैं? ऐसा ही एक निवेश है सेक्शन 80सी। इसे करदाताओं द्वारा सबसे पसंदीदा वर्गों में से एक माना जाता है क्योंकि यह कर-सुविधा वाले निवेशों के माध्यम से कर योग्य आय को कम करता है। हम सभी भारतीय करदाताओं के रूप में पैसे बचाने और अपनी कर कटौती को कम करने के लिए अलग-अलग तरीके खोजते हैं। एक करदाता जो कर-बचत निवेश का उपयोग करता है और धारा 80 सी के तहत कटौती का दावा करता है, वह अपनी कर योग्य आय पर 1,50,000 रुपये तक की कटौती का हकदार है। निम्नलिखित कुछ विभिन्न निवेश संभावनाएं उपलब्ध हैं: 1. कर्मचारी भविष्य निधि: इस निवेश के तहत नियोक्ता और कर्मचारी दोनों बराबर योगदान कर सकते हैं (मूल वेतन का 12%)। 2. स्वास्थ्य बीमा के लिए प्रीमियम: यदि आप स्वास्थ्य बीमा के लिए प्रीमियम का भुगतान करते हैं, तो आप कर लाभ के पात्र हो सकते हैं। 3. पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ): भारत सरकार प...

यूरेट्रिक स्टोन (Uretric Stone) क्या है? जाने इसके कारण, लक्षण और इलाज

आपको बता दें की जब किसी व्यक्ति के पेशाब की नली में पथरी अटक जाती है तो इस स्थिति मे उसे तुरंत इलाज की आवश्यकता होती है। जब किडनी में बना हुआ पथरी या स्टोन फिसल कर मूत्रनली या युरेटर (ureter) में फस जाता है तब उस स्थिति को यूरेट्रिक स्टोन कहते है। किडनी स्टोन या यूरेट्रिक स्टोन (Uretric Stone) एक बीमारी है। इस रोग में व्यक्ति के अंदर कुछ कण जमा हो जाते हैं और यह कण पत्थर जैसा ठोस होते है। हमारे खान पान की गलत आदतों का परिणाम होता है जो बाद पथरी का रूप ले लेता है। यह शरीर के लिए बहुत हानिकारक होता है। किडनी स्टोन या यूरेट्रिक स्टोन (Uretric Stone) की बीमारी महिलाओं की तुलना में पुरुषों में तीन गुना जà¥...