वैशाख की चौथ माता की कहानी pdf

  1. [PDF] चौथ माता की कथा
  2. करवा चौथ व्रत कथा/ कहानी PDF in Hindi
  3. वैशाख की चौथ की कहानी
  4. चौथ माता व्रत कथा


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[PDF] चौथ माता की कथा

Chauth Mata ki Katha in Hindi PDF: आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आपके साथ चौथ माता की कथा का पीडीऍफ़ शेयर करेंगे, जिसे आप बिलकुल मुफ्त में डाउनलोड करके पाठ कर सकते है| प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष के चौथे दिन संकट चतुर्थी तथा चौथमाता का व्रत किया जाता है| इस दिन व्रत करता पुरे दिन निराहार रहकर उपवास करते है| चंद्रोदय होने पर अर्घ्य देकर और चौथ माता की पूजा करके प्रसाद का भोग लगाकर की भोजन करते है| यह व्रत वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष के चौथे दिन से ही प्रारंभ हो जाता है| आप इस पोस्ट से चौथ माता की कथा PDF को डाउनलोड करके पाठ कर सकते है| Chauth Mata ki Katha in Hindi PDF अगर आप भी सकट चौथ व्रत का संपूर्ण कथा का पाठ करना चाहते है तो आप हमारे इस पोस्ट में दिए गए pdf को अपने phone या कंप्यूटर में डाउनलोड करके कर सकते है| हिंदी धरम में सबसे ज्यादा महत्व माघ महीने के चौथ व्रत को दिया जाता है| आप अगर इसका संपूर्ण पाठ करना चाहते है तो आपको पीडीऍफ़ को डाउनलोड करके जरुर पढना चाहिए| अगर आप एक विद्यार्थी है तो आपको Read Also: [PDF] सरस्वती व्रत कथा I Sarswati Vart Katha PDF Free Download चौथ व्रत की पूजा विधि • सबसे पहले सुबह उठकर अच्छे से नहा धोकर गणेश जी की पूजा करे| • गणेश जी के पूजा में लड्डू का भोग अवश्य चढ़ाये| • उसके बाद सूर्य अस्त होने के बाद फिर से नहा ले और स्वच्छकपडे जरुर पहन ले| • तत्पश्चात गणेश जी के मूर्ति या फोटो के पद एक कलश में जल भरके रखे| • फिर धुप-दीप, लड्डू, गुड आदि अर्पित करे| • कुछ-कुछ क्षेत्र में तिल्कुल का बकरा भी बनाया जाता जिसे पूजा सम्पन्न होने के बाद कोई घर का ही सदस्य काटता है| Chauth Mata ki Katha in Hindi PDF Details यहाँ हम इसके पीडीऍफ़ से जुड़े कुछ बेसिक जान...

करवा चौथ व्रत कथा/ कहानी PDF in Hindi

Karwa Chauth Vrat Katha (Kahani) PDF Download in Hindi and English languages for free from the link given below. अब आप हमारे आर्टिकल में दिए गए लिंक के माध्यम से करवा चौथ व्रत कथा व कहानी का पीडीएफ आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं। हिन्दू धर्म के अनुसार कार्तिक महीने में पूर्णिमा के चौथ दिन यानि 13 से 14 अक्टूबर को करवा चौथ वाला त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी लंबी उम्र की कामना के साथ निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन श्याम को करवा चौथ कथा की कहानी पढ़ते कर शाम के समय चंद्रमा निकलने के बाद वे चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और पति का तिलक आदि करने के बाद पति के हाथों से पानी पीकर अपना व्रत खोलती हैं। इस व्रत का हिन्दू धर्म में बहुत ही महत्व है। • • • • • • • • करवा चौथ व्रत कथा/ कहानी PDF in Hindi करवा चौथ भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए व्रत रखती हैं तथा पूजन करती हैं। Karwa Chauth Vrat (Fast) के नियम अलग-अलग स्थानों के अनुसार अलग-2 हो सकते हैं। बहुत सी जगह पर इस व्रत को निर्जला किया जाता है, मतलब कि व्रत के दौरान पानी नहीं पिया जाता। लेकिन बहुत से क्षेत्रों में इस व्रत के दौरान पानी व चाय आदि पी लिया जाता है। इसलिए आप अपने क्षेत्र के अनुसार व्रत का पालन कर सकते हैं। इस व्रत में Karwa Chauth Vrat Katha (Story) का बहुत अधिक महत्व होता है। व्रत की सफलता के लिए इस व्रत कथा को पढ़ना व सुनना दोनों ही आवश्यक है तथा इस व्रत कथा के द्वारा ही हमें इस व्रत के महत्व के बारे में पता चलता है। इस दिन भगवान शिव, गणेश जी और स्कन्द यानि कार्तिकेय के साथ बनी गौरी के चित्र की सभी उपचारों के साथ पूजा की जाती है। कहते है...

वैशाख की चौथ की कहानी

Vaishakh ki chauth Mata ki kahani वैशाख की चौथ की कहानी गांव में एक विधवा माता और उसका पुत्र रहता था। वह गायों को चरा कर अपना पालन पोषण करता था। उसकी माता बारहमासी चौथ माता का व्रत करती थी। वह हर महीने की विनायक चौथ को चूरमे के पांच लड्डू बनाती थी। उनमें से एक चौथ माता का, एक गणेश जी का, एक गाय का निकाल कर दान करती,एक बेटे को खिलाती और एक स्वयं खाती। जब वैशाख महीने की चौथ थी बेटा पड़ोसन के घर गया वहां चूरमा देखकर पूछने लगा तब वह बोली आज वैशाखी चौथ है,इसलिए मैंने चूरमा बनाया है। तेरी मां तो हर चौथ को ही बहुत सारे लड्डू बनाती है पर तुझे केवल एक ही लड्डू खाने को देती है। ठंडी बासी रोटी की खाने को देती है। लड़का पड़ोसन की बातों के बहकावे में आ गया और अपनी माता से बोला मां तू तो चूरमा खाती है और मुझे सिर्फ एक लड्डू देती है। इसलिए तू अब चौथ माता का व्रत करना छोड़ दें। मां ने कहा बेटा में तो चौथ माता का व्रत है तेरी ही सुख शांति के लिए करती हूं। मैं यह व्रत नहीं छोड़ सकती हूं। यह सुनकर बेटा नाराज होकर विदेश जाने लगता है, मां बोली बेटा यदि तू मेरे से नाराज होकर विदेश जाना चाहता है तो यह माताजी की आखें अपने साथ ले जा। यदि तेरे पर कोई संकट आए तो चौथ माता और विनायक जी का नाम लेकर इन्हें डाल देना। तेरा संकट दूर हो जाएगा। लड़का आखों को लेकर विदेश चला गया। रास्ते में उसे एक खून से भरी हुई नदी मिली जिसे पार करना संभव था। लेकिन उस संकट की घड़ी में उसे अपने मां की याद आई और उसने एक आखा चौथ माता का नाम लेकर उस नदी में डाल दिया और कहा चौथ माता यदि तू सच्ची है और मेरी मां मेरे लिए ही तेरा व्रत करती है तो यह नदी दूध और पानी से भर जाए और मुझे रास्ता मिल जाए उसके ऐसा कहते रास्ता मिल गया। आगे चलन...

चौथ माता व्रत कथा

चौथ माता व्रत कथा | Chauth Mata ki Katha PDF Hindi चौथ माता व्रत कथा | Chauth Mata ki Katha Hindi PDF Download Download PDF of चौथ माता व्रत कथा | Chauth Mata ki Katha in Hindi from the link available below in the article, Hindi चौथ माता व्रत कथा | Chauth Mata ki Katha PDF free or read online using the direct link given at the bottom of content. चौथ माता व्रत कथा | Chauth Mata ki Katha Hindi चौथ माता व्रत कथा | Chauth Mata ki Katha हिन्दी PDF डाउनलोड करें इस लेख में नीचे दिए गए लिंक से। अगर आप चौथ माता व्रत कथा | Chauth Mata ki Katha हिन्दी पीडीएफ़ डाउनलोड करना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह आए हैं। इस लेख में हम आपको दे रहे हैं चौथ माता व्रत कथा | Chauth Mata ki Katha के बारे में सम्पूर्ण जानकारी और पीडीएफ़ का direct डाउनलोड लिंक। हिंदू धर्म में माघ महीने में पड़ने वाली सकट चौथ का विशेष महत्व होता है। इस साल सकट चौथ का व्रत 31 जनवरी, 2021 को रखा जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सकट चौथ के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही यह व्रत पूरा माना जाता है। इस दिन को संकष्टी चतुर्थी, सकट चौथ, वक्रतुण्डी चतुर्थी, माही चौथ या तिलकुटा चौथ के नाम से भी जानते हैं। कहते हैं कि इस व्रत को रखने से संतान दीर्घायु होती है। Chauth Mata Katha/ चौथ माता व्रत पूजा विधि- 1. सुबह स्नान ध्यान करके भगवान गणेश की पूजा करें। 2. इसके बाद सूर्यास्त के बाद स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। 3. गणेश जी की मूर्ति के पास एक कलश में जल भर कर रखें। 4. धूप-दीप, नैवेद्य, तिल, लड्डू, शकरकंद, अमरूद, गुड़ और घी अर्पित करें। 5. तिलकूट का बकरा भी कहीं-कहीं बनाया जाता है। 6. पूजन के बाद तिल से बने बकरे की गर्दन घर...