तिरंगा किसने बनाया था

  1. तिरंगा का इतिहास
  2. तिरंगा कब और किसने बनाया? – ElegantAnswer.com
  3. 15 अगस्त 1947 को फहराए जाने वाले तिरंगे की कहानी
  4. S & F: अपने तिरंगे के बारे मे
  5. तिरंगा का डिज़ाइन किसने बनाया
  6. भारत के राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) का इतिहास और महत्वपूर्ण तथ्य
  7. तिरंगा: ‘राष्ट्रीय ध्वज’ से जुड़े 25 ग़ज़ब रोचक तथ्य
  8. तिरंगा का इतिहास
  9. भारत के राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) का इतिहास और महत्वपूर्ण तथ्य
  10. 15 अगस्त 1947 को फहराए जाने वाले तिरंगे की कहानी


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तिरंगा का इतिहास

1. भारत में पहला राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक (कोलकाता) में लहराया गया था. और इसकी रचना कुछ इस प्रकार की थी, झंडे में केसरिया रंग सबसे उपर, बीच में पीला, और सबसे नीचे हरे रंग का इस्तेमाल किया गया था. 2. भारत में दूसरा ध्वज 1908 में भीकाजी कामा ने जर्मनी में तिरंगा झंडा लहराया, इस तिरंगे में सबसे ऊपर हरा रंग था, बीच में केसरिया, सबसे नीचे लाल रंग था. 3. भारत में तीसरा ध्वज, 1916 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने एक निश्चित ध्वज निर्माण करने का फैसला किया. इस ध्‍वज में 5 लाल और 4 हरी क्षैतिज पट्टियां थीं 4. भारत में पहला गैर आधिकारिक ध्वज 1921 में विजयवाड़ा में हुई अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक के दौरान इस झंडे का इस्तेमाल किया गया, ये झंडा यह दो रंगों का बना था- लाल और हरा, इस झंडे पर गांधी के चरखे का भी निशान था. ५. हमारे वर्तमान तिरंगे को आंध्रप्रदेश के पिंगली वैंकैया ने बनाया था.बताया जाता है कि भारत के राष्ट्रीय ध्वज में जब चरखे की जगह अशोक चक्र लिया गया तो महात्मा गांधी नाराज हो गए थे. तिरंगा के तीन रंग का मतलब क्या है? हमारे भारत देश के रास्ट्रीय झंडे को हम तिरंगा कहते है. जिसकी विशेषता कुछ इस प्रकार से है. तिरंगे में तिन रंग है सबसे ऊपर में केसरिया बिच में सफ़ेद तथा सबसे निचे गहरा हरा रंग है. इन तीनो रंग की पट्टिया एकसमान लम्बाई तथा चोडाई की होती है. बीच वाले सफ़ेद रंग में नीले रंग का अशोक चक्र होता है, जिसमे 24 तिल्लिया होती है. यह अशोक चक्र सम्राट अशोक की राजधानी सारनाथ के शेर स्तंभ से लिया गया है. तिरंगे में मौजूद केशरिया रंग साहस और बलिदान का प्रतीक माना जाता है वाही इसमे जो सफ़ेद रंग है वह सच्चाई, शांति और पवित्रता की न‍िशानी है. और तिरंगे में...

तिरंगा कब और किसने बनाया? – ElegantAnswer.com

तिरंगा कब और किसने बनाया? इसे सुनेंरोकेंतिरंगे का निर्माण करने वाले शख्स का नाम पिंगली वेंकैया है। 1921 में पिंगली वेंकैया ने ध्वज का निर्माण किया था। भारत के लिए एक बेहतर ध्वज का निर्माण करना इतना भी आसान नहीं था। पिंगली वेंकैया ने साल 1916 से 1921 तक करीब 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वज का अध्ययन किया, जिसके बाद उन्होंने तिरंगे को डिजाइन किया था। तिरंगा का रचयिता कौन है? इसे सुनेंरोकेंभारत के राष्ट्रीय ध्वज जिसे तिरंगा भी कहते हैं, तीन रंग की क्षैतिज पट्टियों के बीच नीले रंग के एक चक्र द्वारा सुशोभित ध्वज है। इसकी अभिकल्पना पिंगली वैंकैया ने की थी। इसे १५ अगस्त १९४७ को अंग्रेजों से भारत की स्वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व २२ जुलाई, १९४७ को आयोजित भारतीय संविधान-सभा की बैठक में अपनाया गया था। राष्ट्रीय ध्वज का प्रथम आरोहण कब हुआ? इसे सुनेंरोकेंयह ध्‍वज भारतीय राष्‍ट्रीय सेना का संग्राम चिन्‍ह भी था। प्रथम राष्‍ट्रीय ध्‍वज 7 अगस्‍त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) कलकत्ता में फहराया गया था जिसे अब कोलकाता कहते हैं। भारत का सबसे पहला झंडा कौन सा था? इसे सुनेंरोकेंपहला राष्‍ट्रीय ध्‍वज 7 अगस्‍त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) कलकत्ता में फहराया गया था. जिसे अब कोलकाता कहते हैं. इस ध्‍वज को लाल, पीले और हरे रंग की क्षैतिज पट्टियों से बनाया गया था. इसमें ऊपर हरा, बीच में पीला और नीचे लाल रंग था. तिरंगे में कुल कितने रंग होते हैं? इसे सुनेंरोकेंयूं तो सभी जानते हैं कि तिरंगे में तीन रंग होते हैं: केसरिया, सफेद और हरा, लेकिन इस गणतंत्र दिवस के मौके पर पूर्व भारतीय क्रिकेटर गौतम गंभीर ने एक भावुक वीडियो शेयर की है, जिसमें तिरंगे के 3 नहीं बल्कि 5 रंगों का जिक्र करते हुए एक सं...

15 अगस्त 1947 को फहराए जाने वाले तिरंगे की कहानी

क्या आपको पता है पं. जवाहर लाल नेहरू द्वारा 15 अगस्त 1947 के दिन लाल किले पर फहराया गया तिरंगा किस कपड़े से बना था? और इसे किसने बनाया था? यह तिरंगा खादी के कपड़े से बनाया गया था। यह खादी का कपड़ा था राजस्थान के दौसा जिले का। दौसा जिले के ग्राम आलूदा के बुनकरों शंभु दयाल, नानगराम, चौथमल और रेवड़ मल ने अपनी कुशलता से इस तिरंगे के लिए खादी का कपड़ा तैयार किया था। इस तिरंगे को पूर्ण रूप से तैयार कराने में हीरालाल शास्त्री, माणिक्य लाल वर्मा आदि स्वतंत्रता सेनानियों का भी अहम योगदान था। आलूदा के बुनकरों द्वारा तैयार कपड़े से तिरंगा बनने के बाद इस गांव को एक नई पहचान मिली। बुनकर चौथमल महावर जी के मृत्यु के बाद भी उनके परिवार के लोगों द्वारा झंडे के लिए कपड़ा बुनने की प्रथा को आगे बढ़ाया जा रहा था। लेकिन यह बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि बीते 40 वर्षों से आलूदा में झंडे का कपड़ा नहीं तैयार किया जा रहा है। हालांकि अब भी वहां चार-पांच परिवार ऐसे हैं जो खादी का कपड़ा बनाते हैं। लेकिन अब झंडे के लिए कपड़ा बनाने का काम बनेठा ग्राम के 14 बुनकर परिवार कर रहे हैं। इन बुनकरों द्वारा बुने हुए खादी के कपड़ों से क्षेत्रीय खादी समिति की देख रेख में मुम्बई में तिरंगा बनवाया जाता है। यह बीएसआई स्टैंडर्ड व आईएसआई मार्क का होता है। एक वर्ष में समिति द्वारा करीब 10 हजार तिरंगे तैयार किए जाते हैं। आपको जानकर बड़ा ही आश्चर्य होगा कि आलूदा ग्राम में कभी 200 परिवार खादी के कपड़े बुनते थे। लेकिन अब अधिकांश लोग दिल्ली जा कर बस गए जिससे दुर्भाग्यवश अब इस गांव में केवल एक ही मशीन बची है। खादी समिति द्वारा अब केवल चार-पांच परिवार ही जीवन व्यापन कर रहे हैं। देवराम के वशंज हरिनारायण देवराम और प्रभुदयाल देवर...

S & F: अपने तिरंगे के बारे मे

क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश की हैं कि आखिर तिरंगा किसने बनाया ? क्या आपको पता हैं शहीदों पर लिपटे हुए तिरंगे का क्या होता हैं ? नही ना… आज हम आपको राष्ट्रीय ध्वज से जुड़े तमाम ऐसे ही सवालों के जवाब देंगे। आइए पढ़ते हैं, तिरंगे की कहानी ग़ज़बहिन्दी की जुबानी… 1. भारत के राष्ट्रीय ध्वज को“तिरंगा” नाम से भी सम्बोधित करते हैं. इस नाम के पीछे की वजह इसमें इस्तेमाल होने वाले तीन रंग हैं, केसरिया, सफ़ेद और हरा। 2. भारत के राष्ट्रीय ध्वज में जब चरखे की जगह अशोक चक्र लिया गया तो महात्मा गांधी नाराज हो गए थे। उन्होनें ये भी कहा था कि मैं अशोक चक्र वाले झंडे को सलाम नही करूँगा। 3. संसद भवन देश का एकमात्र ऐसा भवन हैं जिस पर एक साथ 3 तिरंगे फहराए जाते हैं। 4. किसी मंच पर तिरंगा फहराते समय जब बोलने वाले का मुँह श्रोताओं की तरफ हो तब तिरंगा हमेशा उसके दाहिने तरफ होना चाहिए। 5. राँची का‘पहाड़ी मंदिर’ भारत का अकेला ऐसा मंदिर हैं जहाँ तिरंगा फहराया जाता हैं। 493 मीटर की ऊंचाई पर देश का सबसे ऊंचा झंडा भी राँची में ही फहराया गया हैं। 6. क्या आप जानते हैं कि देश में‘फ्लैग कोड ऑफ इंडिया’ (भारतीय ध्वज संहिता) नाम का एक कानून है, जिसमें तिरंगे को फहराने के कुछ नियम-कायदे निर्धारित किए गए हैं। 7. यदि कोई शख्स ‘फ्लैग कोड ऑफ इंडिया’ के तहत गलत तरीके से तिरंगा फहराने का दोषी पाया जाता है तो उसे जेल भी हो सकती है। इसकी अवधि तीन साल तक बढ़ाई जा सकती है या जुर्माना लगाया जा सकता है या दोनों भी हो सकते हैं। 8. तिरंगा हमेशा कॉटन, सिल्क या फिर खादी का ही होना चाहिए। प्लास्टिक का झंडा बनाने की मनाही हैं। 9. तिरंगे का निर्माण हमेशा रेक्टेंगल शेप में ही होगा। जिसका अनुपात 3 : 2 ही होना चाहिए। जबकि अशोक चक...

तिरंगा का डिज़ाइन किसने बनाया

पिंगली वैंकैया (तेलुगु: పింగళి వెంకయ్య) भारत के राष्ट्रीय ध्वज के अभिकल्पक हैं। वे भारत के सच्चे देशभक्त एवं कृषि वैज्ञानिक भी थे। पिंगली वैंकैया जीवनी पिंगली वैंकैया का जन्म अगस्त 1876, को वर्तमान आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम के निकट भाटलापेनुमारू नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता का नाम पाण्डुरंग और माता का नाम काल्पवती था और यह भू-ब्राह्मण कुल नियोगी से संबद्ध थे। मद्रास से हाई स्कूल उत्तीर्ण करने के बाद वो अपने वरिष्ठ स्नातक को पूरा करने के लिए कैंब्रिज यूनिवर्सिटी चले गये। वहाँ से लौटने पर उन्होंने एक रेलवे गार्ड के रूप में और फिर लखनऊ में एक सरकारी कर्मचारी के रूप में काम किया और बाद में वह एंग्लो वैदिक महाविद्यालय में उर्दू और जापानी भाषा का अध्ययन करने लाहौर चले गए। वो कई विषयों के ज्ञाता थे, उन्हें भूविज्ञान और कृषि क्षेत्र से विशेष लगाव था। वह हीरे की खदानों के विशेषज्ञ थे। पिंगली ने ब्रिटिश भारतीय सेना में भी सेवा की थी और दक्षिण अफ्रीका के एंग्लो-बोअर युद्ध में भाग लिया था। यहीं यह गांधी जी के संपर्क में आये और उनकी विचारधारा से बहुत प्रभावित हुए। 1906 से 1911 तक पिंगली मुख्य रूप से कपास की फसल की विभिन्न किस्मों के तुलनात्मक अध्ययन में व्यस्त रहे और उन्होनें बॉम्वोलार्ट कंबोडिया कपास पर अपना एक अध्ययन प्रकाशित किया। इसके बाद वह वापस किशुनदासपुर लौट आये और 1916 से 1921 तक विभिन्न झंडों के अध्ययन में अपने आप को समर्पित कर दिया और अंत में वर्तमान भारतीय ध्वज विकसित किया। उनकी मृत्यु जुलाई, 1963 को हुई। भारत के ध्वज की रचना काकीनाड़ा में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन के दौरान वेंकैया ने भारत का खुद का राष्ट्रीय ध्वज होने की आवश्यकता पर बल दिया ...

भारत के राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) का इतिहास और महत्वपूर्ण तथ्य

हर देश का राष्ट्रीय ध्वज उसकी स्वतंत्रता का प्रमाण और उसकी पहचान होता है। यही कारण है कि बचपन से हमें तिरंगे का सम्मान करने की सीख दी जाती है। हर 26 जनवरी और 15 अगस्त को लोग अपने-अपने घरों, दफ्तरों, स्कूल व कॉलेज आदि में तिरंगा फेहराते तो हैं, लेकिन राष्ट्रीय ध्वज के इतिहास की जानकारी कम लोग को ही होती है। इस बात को ध्यान में रखते हुए माॅमजंक्शन के इस लेख में भारत के झंडे से जुड़ी कुछ ऐसी जानकारी दी गई है, जिसके बारे में जानना हर किसी के लिए जरूरी है। इस लेख में आप तिरंगे के इतिहास के साथ जानेंगे ध्वज का विकास, उसे फहराने का सही तरीका और उससे जुड़े कुछ अन्य रोचक तथ्य। • • • • तिरंगे का इतिहास भारत का राष्ट्रीय ध्वज आज जिस स्वरूप में उसे 22 जुलाई 1947 को कॉन्स्टिटुएंट असेंबली में हुई मीटिंग के दौरान मान्यता मिली थी। इसे तिरंगा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह तीन रंगों से मिलकर बना है – केसरिया, सफेद और हरा। साथ ही बीच में मौजूद सफेद रंग के ऊपर गहरे नीले (नेवी ब्लू) रंग का अशोक चक्र भी मौजूद होता है इस निराले तिरंगे की विकास यात्रा को जानने के लिए पढ़ते रहें यह लेख। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का विकास 1947 से पहले राष्ट्रीय ध्वज का स्वरूप पांच बार बदला गया था, जो इस प्रकार है • 1906 : राष्ट्रीय ध्वज पहली बार 7 अगस्त, 1906 को उस समय के कलकत्ता यानी आज के कोलकता में फहराया गया था। इस झंडे में तीन रंग थे – हरा, पीला और लाल। सबसे ऊपर हरा रंग, जिस पर कमल बने थे, बीच में पीले रंग पर “वंदे मातरम्” लिखा था और सबसे नीचे लाल रंग पर एक तरफ चांद व एक तरफ सूरज बना था। • 1917 : भारत का तीसरा झंडा 1917 में होम रूल मूवमेंट के दौरान डॉ. एनी बैसैंट और बाल गंगाधर तिलक द्वारा फहराया गया था। इस झंडे में ...

तिरंगा: ‘राष्ट्रीय ध्वज’ से जुड़े 25 ग़ज़ब रोचक तथ्य

भारत के संविधान के अनुसार जब किसी राष्ट्र विभूति का निधन होता हैं व राष्ट्रीय शोक घोषित होता हैं, तब कुछ समय के लिए ध्वज को झुका दिया जाता हैं। लेकिन सिर्फ उसी भवन का तिरंगा झुका रहेगा, जिस भवन में उस विभूति का पार्थिव शरीर रखा हैं। जैसे ही पार्थिव शरीर को भवन से बाहर निकाला जाता हैं वैसे ही ध्वज को पूरी ऊंचाई तक फहरा दिया जाता हैं। देश के लिए जान देने वाले शहीदों और देश की महान शख्सियतों को तिरंगे में लपेटा जाता हैं। इस दौरान केसरिया पट्टी सिर की तरफ और हरी पट्टी पैरों की तरफ होनी चाहिए। शवों के साथ तिरंगे को जलाया या दफनाया नही जाता बल्कि उसे हटालिया जाता हैं। बाद में या तो उसे गोपनीय तरीके से सम्मान के साथ जला दिया जाता हैं या फिर वजन बांधकर पवित्र नदी में जल समाधि दे दी जाती हैं। कटे-फटे या रंग उड़े हुए तिरंगे के साथ भी ऐसा ही किया जाता हैं। ग़ज़बहिन्दी ने पूरी कोशिश की है कि वह अपने पाठकों को तिरंगे के बारे में सारी जानी-अनजानी बातें उन तक पहुंचावें. और अगर आपको लगता है कि हम आपकी उम्मीदों पर खरे उतर पाये हैं तो कृपया इस जानकारी को अपने दोस्तों के बीच साझा करें. आख़िर यह बेहतरीन और शिक्षाप्रद जानकारी उन तक भी तो पहुंचनी चाहिए, हैं कि नहीं. Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec jus...

तिरंगा का इतिहास

1. भारत में पहला राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक (कोलकाता) में लहराया गया था. और इसकी रचना कुछ इस प्रकार की थी, झंडे में केसरिया रंग सबसे उपर, बीच में पीला, और सबसे नीचे हरे रंग का इस्तेमाल किया गया था. 2. भारत में दूसरा ध्वज 1908 में भीकाजी कामा ने जर्मनी में तिरंगा झंडा लहराया, इस तिरंगे में सबसे ऊपर हरा रंग था, बीच में केसरिया, सबसे नीचे लाल रंग था. 3. भारत में तीसरा ध्वज, 1916 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने एक निश्चित ध्वज निर्माण करने का फैसला किया. इस ध्‍वज में 5 लाल और 4 हरी क्षैतिज पट्टियां थीं 4. भारत में पहला गैर आधिकारिक ध्वज 1921 में विजयवाड़ा में हुई अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक के दौरान इस झंडे का इस्तेमाल किया गया, ये झंडा यह दो रंगों का बना था- लाल और हरा, इस झंडे पर गांधी के चरखे का भी निशान था. ५. हमारे वर्तमान तिरंगे को आंध्रप्रदेश के पिंगली वैंकैया ने बनाया था.बताया जाता है कि भारत के राष्ट्रीय ध्वज में जब चरखे की जगह अशोक चक्र लिया गया तो महात्मा गांधी नाराज हो गए थे. तिरंगा के तीन रंग का मतलब क्या है? हमारे भारत देश के रास्ट्रीय झंडे को हम तिरंगा कहते है. जिसकी विशेषता कुछ इस प्रकार से है. तिरंगे में तिन रंग है सबसे ऊपर में केसरिया बिच में सफ़ेद तथा सबसे निचे गहरा हरा रंग है. इन तीनो रंग की पट्टिया एकसमान लम्बाई तथा चोडाई की होती है. बीच वाले सफ़ेद रंग में नीले रंग का अशोक चक्र होता है, जिसमे 24 तिल्लिया होती है. यह अशोक चक्र सम्राट अशोक की राजधानी सारनाथ के शेर स्तंभ से लिया गया है. तिरंगे में मौजूद केशरिया रंग साहस और बलिदान का प्रतीक माना जाता है वाही इसमे जो सफ़ेद रंग है वह सच्चाई, शांति और पवित्रता की न‍िशानी है. और तिरंगे में...

भारत के राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) का इतिहास और महत्वपूर्ण तथ्य

हर देश का राष्ट्रीय ध्वज उसकी स्वतंत्रता का प्रमाण और उसकी पहचान होता है। यही कारण है कि बचपन से हमें तिरंगे का सम्मान करने की सीख दी जाती है। हर 26 जनवरी और 15 अगस्त को लोग अपने-अपने घरों, दफ्तरों, स्कूल व कॉलेज आदि में तिरंगा फेहराते तो हैं, लेकिन राष्ट्रीय ध्वज के इतिहास की जानकारी कम लोग को ही होती है। इस बात को ध्यान में रखते हुए माॅमजंक्शन के इस लेख में भारत के झंडे से जुड़ी कुछ ऐसी जानकारी दी गई है, जिसके बारे में जानना हर किसी के लिए जरूरी है। इस लेख में आप तिरंगे के इतिहास के साथ जानेंगे ध्वज का विकास, उसे फहराने का सही तरीका और उससे जुड़े कुछ अन्य रोचक तथ्य। • • • • तिरंगे का इतिहास भारत का राष्ट्रीय ध्वज आज जिस स्वरूप में उसे 22 जुलाई 1947 को कॉन्स्टिटुएंट असेंबली में हुई मीटिंग के दौरान मान्यता मिली थी। इसे तिरंगा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह तीन रंगों से मिलकर बना है – केसरिया, सफेद और हरा। साथ ही बीच में मौजूद सफेद रंग के ऊपर गहरे नीले (नेवी ब्लू) रंग का अशोक चक्र भी मौजूद होता है इस निराले तिरंगे की विकास यात्रा को जानने के लिए पढ़ते रहें यह लेख। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का विकास 1947 से पहले राष्ट्रीय ध्वज का स्वरूप पांच बार बदला गया था, जो इस प्रकार है • 1906 : राष्ट्रीय ध्वज पहली बार 7 अगस्त, 1906 को उस समय के कलकत्ता यानी आज के कोलकता में फहराया गया था। इस झंडे में तीन रंग थे – हरा, पीला और लाल। सबसे ऊपर हरा रंग, जिस पर कमल बने थे, बीच में पीले रंग पर “वंदे मातरम्” लिखा था और सबसे नीचे लाल रंग पर एक तरफ चांद व एक तरफ सूरज बना था। • 1917 : भारत का तीसरा झंडा 1917 में होम रूल मूवमेंट के दौरान डॉ. एनी बैसैंट और बाल गंगाधर तिलक द्वारा फहराया गया था। इस झंडे में ...

15 अगस्त 1947 को फहराए जाने वाले तिरंगे की कहानी

क्या आपको पता है पं. जवाहर लाल नेहरू द्वारा 15 अगस्त 1947 के दिन लाल किले पर फहराया गया तिरंगा किस कपड़े से बना था? और इसे किसने बनाया था? यह तिरंगा खादी के कपड़े से बनाया गया था। यह खादी का कपड़ा था राजस्थान के दौसा जिले का। दौसा जिले के ग्राम आलूदा के बुनकरों शंभु दयाल, नानगराम, चौथमल और रेवड़ मल ने अपनी कुशलता से इस तिरंगे के लिए खादी का कपड़ा तैयार किया था। इस तिरंगे को पूर्ण रूप से तैयार कराने में हीरालाल शास्त्री, माणिक्य लाल वर्मा आदि स्वतंत्रता सेनानियों का भी अहम योगदान था। आलूदा के बुनकरों द्वारा तैयार कपड़े से तिरंगा बनने के बाद इस गांव को एक नई पहचान मिली। बुनकर चौथमल महावर जी के मृत्यु के बाद भी उनके परिवार के लोगों द्वारा झंडे के लिए कपड़ा बुनने की प्रथा को आगे बढ़ाया जा रहा था। लेकिन यह बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि बीते 40 वर्षों से आलूदा में झंडे का कपड़ा नहीं तैयार किया जा रहा है। हालांकि अब भी वहां चार-पांच परिवार ऐसे हैं जो खादी का कपड़ा बनाते हैं। लेकिन अब झंडे के लिए कपड़ा बनाने का काम बनेठा ग्राम के 14 बुनकर परिवार कर रहे हैं। इन बुनकरों द्वारा बुने हुए खादी के कपड़ों से क्षेत्रीय खादी समिति की देख रेख में मुम्बई में तिरंगा बनवाया जाता है। यह बीएसआई स्टैंडर्ड व आईएसआई मार्क का होता है। एक वर्ष में समिति द्वारा करीब 10 हजार तिरंगे तैयार किए जाते हैं। आपको जानकर बड़ा ही आश्चर्य होगा कि आलूदा ग्राम में कभी 200 परिवार खादी के कपड़े बुनते थे। लेकिन अब अधिकांश लोग दिल्ली जा कर बस गए जिससे दुर्भाग्यवश अब इस गांव में केवल एक ही मशीन बची है। खादी समिति द्वारा अब केवल चार-पांच परिवार ही जीवन व्यापन कर रहे हैं। देवराम के वशंज हरिनारायण देवराम और प्रभुदयाल देवर...