स्वर्ण भस्म 1 ग्राम प्राइस

  1. स्वर्ण भस्म के फायदे, कीमत व अन्य जानकारी
  2. स्वर्ण प्राशन स्वर्णप्राशन क्या है ? What is Swarna Prashan?
  3. Unjha Swarna Bhasma (1g) / उंझा स्वर्ण भस्म (1 ग्राम) के लाभ, फायदे, साइड इफेक्ट, इस्तेमाल कैसे करें, उपयोग जानकारी, कीमत, खुराक और सावधानियां
  4. अभ्रक भस्म
  5. स्वर्ण माक्षिक भस्म के फायदे / Swarna Makshik Bhasma Benefits
  6. स्वर्ण भस्म के फायदे और नुकसान
  7. वृहत वात चिंतामणि रस बनाने की विधि
  8. स्वर्ण भस्म 1 ग्राम कितने रुपए की आती है? – Expert


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स्वर्ण भस्म के फायदे, कीमत व अन्य जानकारी

आज हम बात करेंगे पतंजलि आयुर्वेद के स्वर्ण भस्म के बारे में , स्वर्ण भस्म को आप इंटरनल और एक्सटर्नल दोनो तरह से उपयोग कर सकते है। आयुर्वेदिक दवाओं में स्वर्ण भस्म swarna bhasma uses in hindi का नाम प्रथम स्थान पर आता है स्वर्ण भस्म का प्रयोग प्राचीन समय से ही किया जाता रहा है। प्राचीन समय में राजा और महाराजा अपने बल और सोर्या को बनाए रखने के लिए स्वर्ण भस्म divya swarna bhasma का प्रयोग करते थे। रानी और महारानी अपनी कांति और सौंदर्य को बढ़ाने के लिए फेस पैक के रुप में प्रयोग करती थी। Table of Contents • • • • • • पतंजलि स्वर्ण भस्म के फायदे swarna bhasma benefits in hindi • वात और कफ रोगों के लिए यह एक रामबाण औषधि है। • हृदय और मानसिक रोगों में भी इसका अच्छा प्रभाव देखा गया है। • स्वर्ण भस्म का उपयोग स्टैमिना को बढ़ाता है • इसका प्रोग शारीर के सभी अंगों को सुरक्षित रखने और कार्य क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जाता है। • स्वर्ण भस्म वात रोगों की एक सुप्रसिद्ध औषधी हैं • स्वर्ण भस्म हड्डियों और मासपेशियों को मजबूत बनाता है। • सभी प्रकार के • अर्थराइटिस की दावा • स्वर्ण भस्म को विष हर के रूप में जाना जाता है यह शारीर से हर प्रकार के विष को निकालता हैं। • यह सभी प्रकार के यों रोगों के लिए सुप्रसिद्ध औषधी हैं यह टेस्टोस्टेरोन के लेवल को बढ़ाता है और स्पर्म काउंट को बढ़ाता है। • बहुत से लोग स्ट्रेस और अनिद्रा की समस्या से गुजर रहे हैं स्वर्ण भस्म का सेवन नर्वस सिस्टम को ठीक करता है। और मस्तिष्क की कोशिकाओं को ताकत मिलती है। • सभी प्रकार के हृदय संबंधि रोगों में स्वर्ण भस्म को बहुत ही महतत्वपूर्ण माना गया है यह हृदय की धमनियों को साफ करती हैं और और हृदय को स्वस्थ बनती हैं • डायबिटी...

स्वर्ण प्राशन स्वर्णप्राशन क्या है ? What is Swarna Prashan?

स्वर्ण प्राशन क्या है ? What is Swarna Prashan-आयुर्वेद (Ayurveda) में सोलह संस्कारों का विधान है जिनमें से एक संस्कार है जात कर्म संस्कार जिसके अंतर्गत स्वर्ण प्राशन Swarna Prashan करवाया जाता है। बच्चे के जन्म के समय किया जाने वाला यह संस्कार आयुर्वेद के ग्रंथों (Ayurved traditional books )अनुसार वैद्यो द्वारा मंत्रोच्चार के साथ स्वर्ण भस्म (gold preparation ) युक्त स्वर्ण प्राशन करवाया जाता था। प्राचीन शास्त्र अनुसार स्वर्ण प्राशन में गाय के घी (Ghee )मधु यानी कि शहद (honey )तथा स्वर्ण भस्म (gold preparation )के साथ मेधा वर्धक औषधियों का प्रयोग किया जाता था। इस संस्कार को समय के साथ भुला दिया गया जिससे इसका लाभ आधुनिक पीढ़ी modern generation को नहीं मिल पाया। 21वीं सदी में भी आयुर्वेद (Ayurveda)के कुछ वैद्य ( traditional Ayurvedic physician) है जो इस संस्कार को जीवित रखते हुए । नई पीढ़ी को बेहतर भविष्य बेहतर स्वास्थ्य देने के उद्देश्य से इस संस्कार को पुनः समाज में समाज कल्याण society development के लिए प्रयास कर रहे हैं। Table of Contents • • • • • • • • स्वर्णप्राशन के घटक- content of Swarna prashana स्वर्ण प्राशन में मुख्यतः असमान मात्रा में शहद (honey) तथा गाय के घी (cow ghee)गिर गाय का तथा स्वर्ण भस्म को एक निश्चित अनुपात (ratio) में मिलाकर 6 माह से 16 वर्ष तक के बच्चों को इसका सेवन पुष्य नक्षत्र में आयुर्वेद वैद्य (Ayurvedic physician) द्वारा करवाया जाता है। स्वर्णप्राशन का इतिहास- history of Swarna Prashan आयुर्वेद के अनुसार सोलह संस्कारों में एक संस्कार जिसका नाम है जातकर्म संस्कार जिसमें नवजात को शहद(honey) घृत (ghee) तथा स्वर्ण भस्म को एक निश्चित अनुपात में रा...

Unjha Swarna Bhasma (1g) / उंझा स्वर्ण भस्म (1 ग्राम) के लाभ, फायदे, साइड इफेक्ट, इस्तेमाल कैसे करें, उपयोग जानकारी, कीमत, खुराक और सावधानियां

Name उंझा स्वर्ण भस्म (1 ग्राम) Other Names Swarn Bhasma, गोल्ड भस्म, Suvarna Bhasma Brand उंझा MRP ₹ 10100 Category आयुर्वेद ( ayurveda ), Bhasm & Pishti Sizes 1g, 100 मिलीग्राम ( mg ), 500 मिलीग्राम ( mg ) Prescription Required No Length 0 सेंटिमीटर Width 0 सेंटिमीटर Height 0 सेंटिमीटर Weight 0 ग्राम स्वर्ण भस्म के बारे में स्वर्ण भस्म (जिसे स्वर्ण भस्म, स्वर्ण भस्म और सुवर्ण भस्म भी कहा जाता है) एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसका इस्तेमाल गैर-स्पेसिफिक इम्युनिटी बढ़ाने और बिमारियों की एक व्यापक समूह के ट्रीटमेंट ( treatment ) में किया जाता है। यह भिन्न-भिन्न औषधियों और जड़ी-बूटियों के लिए मददगार के रूप में भी काम करता है और उनके कार्यों को बढ़ाता है और उनकी प्रभावकारिता को बढ़ाता है। आयुर्वेद ( ayurveda ) के अनुरूप ( accordingly ), यह एक बढ़िया नर्व टॉनिक है और समस्त सेहत में इम्प्रूवमेंट करता है। यह आयु, बुद्धि, याददाश्त, स्किन की चमक बढ़ाता है और अनेक रोगों से बचाता है। इसके अतिरिक्त, यह ताकत और सहनशक्ति को बढ़ाता है और दिमाग़ी और दैहिक प्रदर्शन में इम्प्रूवमेंट करता है। स्वर्ण भस्म यक्ष्मा, क्षय बीमारी, जीर्ण ज्वर, जीवन शक्ति की नुक्सान, दमा, कफ, दाह, अम्लता ( खट्टापन ), सूक्ष्म बैक्टीरिया इनफ़ेक्शन, गंभीर विषाक्तता, बांझपन आदि में मददगार है। इसका इस्तेमाल भिन्न-भिन्न मददगार या और औषधियों या जड़ी-बूटियों के साथ सब के सब बिमारियों में किया जा सकता है। रेकवरी प्रोसेस में तेजी लाने और बिमारियों के लिए बॉडी ( body ) के प्रतिक्रिया को बढ़ाने के लिए। Ingredients Of Swaran Bhasma • शुद्ध ( pure ) सोना स्वर्ण भस्म का प्रमुख घटक है। • सोने की भस्म शुद्ध ( pure ) सोने से बनाई जाती है। ...

अभ्रक भस्म

अभ्रक भस्म अभ्रक की जलाई हुई राख है जिसका उपयोग आयुर्वेद में श्वसन विकारों, यकृत और पेट की बीमारियों, मानसिक बीमारियों और मनोदैहिक विकारों के लिए किया जाता है। अभ्रक भस्म को निस्तापन की प्रक्रिया के द्वारा तैयार किया जाता है, जिसमें अभ्रक मुख्य घटक होता है और पौधों के रस, अर्क और काढ़ों का उपयोग किया जाता है। इस निस्तापन की प्रक्रिया को आयुर्वेद में पुट कहते हैं। पुटों की संख्या अभ्रक भस्म की गुणवत्ता का निर्धारण करती है। आम तौर पर, यह 7 पुट अभ्रक भस्म से 1000 पुट अभ्रक भस्म तक भिन्न होती है। 1000 पुट अभ्रक भस्म का अर्थ है की इसके निर्माण की प्रक्रिया में अभ्रक में पौधों का रस मिलाकर, धूप में सुखाकर 1000 बार निस्तापन करना। पुट अभ्रक भस्म का निर्माण करने की वास्तविक प्रक्रिया एक वर्ष या उससे अधिक समय ले सकती है। Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • समानार्थक शब्द • अबर भस्म • निस्तापित अभ्रक • अभ्रक राख • ऑक्सीकृत अभ्रक • अभ्रक नैनोकण • निस्तापित और पीसा हुआ अबरक • बायोटाइट राख • अभ्रक छार • निस्तापित बायोटाइट अभ्रक भस्म के घटक अभ्रक भस्म का मुख्य घटक शुद्ध अभ्रक है। अभ्रक भस्म के निर्माण के समय पौधों के रस, तरल अर्क और काढ़ों का उपयोग किया जाता है। मुख्य घटक अभ्रक (काला अभ्रक) अभ्रक का रासायनिक सूत्र K(Mg 2Fe) 3AlSi 3O 10(F,OH) 2 निर्माण में उपयोग किये गए पौधे और जड़ी-बूटियां अभ्रक भस्म के निर्माण में 72 जड़ी-बूटियों का उपयोग किया जाता है। उनके रस और काढ़े का उपयोग अभ्रक भस्म बनाने के लिए किया जाता है। • लोह • मैगनीशियम • पोटेशियम • कैल्शियम • एल्यूमिनियम • वनस्पतियों का क्षार मौलिक संरचना घनता...

स्वर्ण माक्षिक भस्म के फायदे / Swarna Makshik Bhasma Benefits

स्वर्ण माक्षिक भस्म (Swarna Makshik Bhasma) पांडु (Anaemia), कामला (Jaundice), पुराना बुखार, निद्रानाश, मस्तिष्क की गर्मी, पित्तविकार, आंखों में जलन, आंखों की लाली, उल्टी, उबाक, व्रणदोष, पित्तप्रमेह, प्रदर, मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन), शीर्षशूल (शिर दर्द), विषविकार, बवासीर, पेट के रोग, कंडु, कुष्ठ (Skin Diseases), कृमि और पथरी आदि रोगो को दूर करती है। कफ-पित्त विकृति में यह स्वर्ण माक्षिक भस्म विशेष लाभदायक है। स्वर्ण माक्षिक , यह लोह का सौम्य कल्प है। स्वर्ण माक्षिक भस्म (Swarna Makshik Bhasma) स्वादु, तिक्त, वृष्य (पौष्टिक), रसायन, योगवाही, शामक (Soothing), शक्तिवर्धक, पित्तशामक, शीतवीर्य, स्तंभक और रक्तप्रसादक (खून को पोषण देनेवाली) है। इसके योग से रक्तप्रसादन होने से रक्ताणु सुदृढ होते है, और रक्त धातु सशक्त बनती है। लोह के अन्य कल्पो में जो उष्णता और तीव्रता आदि गुण है, वे इस भस्म में नहीं है। यह कल्प अति सौम्य होने से कोमल प्रकृति, सुकुमार और अशक्त स्त्री पुरुषों के लिये निर्भय रूप से उपयोग में आता है। केवल पित्तविकृत अथवा कफ-पित्त संसर्ग विकृति में स्वर्ण माक्षिक भस्म का अच्छा उपयोग होता है। इस लिये इस स्वर्ण माक्षिक भस्म का पित्तज शीर्षशूल , पित्तज अम्लपित्त (Acidity), पित्तज परिणामशूल (भोजन के बाद पेट में दर्द होना), पित्तज गुल्म (पित्त जन्य पेट की गांठ), इन व्याधियों पर अवस्था-भेद और अनुपान-भेद से उपयोग होता है। पित्तज शीर्षशूल में सूतशेखर रस का भी उपयोग होता है , परंतु सूतशेखर रस देने में मुख्य लक्षण भ्रम (चक्कर) होना चाहिये। परंतु जिस शीर्षशूल में उबाक, मुंह में कडवापन, कोई भी अच्छा प्रिय पदार्थ खाने में भी अरुचि और वमन (उल्टी) होने पर शीर्षशूल कम हो जाना आदि लक...

स्वर्ण भस्म के फायदे और नुकसान

Swarna Bhasma ke fayde aur nuksan आयुर्वेद के अनुसार स्‍वर्ण भस्‍म के फायदे कई प्रकार की जटिल स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को दूर करने के लिए जाने जाते हैं। स्‍वर्ण भस्‍म का उपयोग समझने से पहले यह जानना जरूरी है कि भस्‍म आखिर होता क्‍या है। भस्‍म एक प्रकार का पाउडर होता है जो आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण के लिए तैयार किया जाता है। यह शुद्ध धातुओं या खनिजों से बनाए जाते हैं। स्‍वर्ण भस्‍म का उपयोग विभिन्‍न प्रकार की स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को दूर करने के लिए उपयोग किया जाता है। इसी तरह से स्‍वर्ण भस्‍म को शुद्ध सोने से तैयार किया जाता है जो हृदय स्‍वास्‍थ्‍य के लिए, बांझपन को दूर करने के लिए, रक्‍त को शुद्ध करने के लिए, मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिए, कैंसर उपचार, यौन स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देनेऔर स्‍वर्ण भस्‍म क्‍या है – Swarna Bhasma Kya Hai in Hindi मोनाटोमिक गोल्‍ड (Monatomic Gold) जिसे हम और आप स्‍वर्ण भस्‍म के नाम से जानते हैं। इसे अन्‍य नाम जैसे गोल्‍ड भस्‍म और स्‍वर्णा भस्म आदि नामों से भी जाना जाता है। यह एक आयुर्वेदिक दवा है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने और बहुत सी बीमारियों के उपचार के लिए उपयोग की जाती है। विभिन्‍न प्रकार की जड़ी-बूटीयों के लिए स्‍वर्ण भस्‍म सहायक औषधी का भी काम करती है। आयुर्वेद में इसे तंत्रिका टॉनिक के रूप में उपयोग किया जाता है जो समग्र स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार करता है। आयुर्वेद में परिभाषित किया गया है कि भस्‍म निश्चूर्णन (calcination) द्वारा प्राप्‍त पदार्थ है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी धातु या खनिज पदार्थ को राख (ash) में परिवर्तित किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि स्‍वर्ण भस्‍म में लगभग 28-35 नैनोमीटर के क्रिसटलीय कण होते हैं जो ...

वृहत वात चिंतामणि रस बनाने की विधि

वात कुपित होने से शरीर में कई प्रकार के रोग और कष्ट पैदा होते हैं । वात कुपित होने के कई कारण होते हैं। कुछ कारण आगन्तुक होते हैं और कुछ कारण निजी होते हैं। आयुर्वेद शास्त्र ने वात प्रकोप का शमन करने वाले एक से बढ़ कर उत्तम योग प्रस्तुत किये हैं। उन्हीं योगों में से योग है वृहत वात चिंतामणि रस। एक उत्तम घटक द्रव्य- स्वर्ण भस्म 1 ग्राम, चांदी भस्म 2 ग्राम, अभ्रक भस्म 2 ग्राम, मोती भस्म 3 ग्राम, प्रवाल भस्म 3 ग्राम, लौह भस्म 5 ग्राम, रस सिन्दूर 7 ग्राम। निर्माण विधि- पहले रस सिन्दूर को खूब अच्छी तरह महीन पीस लें फिर सभी द्रव्य मिला कर ग्वारपाठे के रस में घुटाई करके 1-1 रत्ती की गोलियां बना कर, सुखा लें और शीशी में भर लें। मात्रा और सेवन विधि-1-1 गोली दिन में 3 या 4 बार आवश्यकता के अनुसार शहद के साथ लेना चाहिए। लाभ- यह योग वात प्रकोप का शमन कर वातजन्य कष्टों और व्याधियों को दूर करने के अलावा और भी लाभ करता है। यह पित्त प्रधान वात विकार की उत्तम औषधि है जो तत्काल असर दिखाती है। यह योग नये और पुराने, दोनों प्रकार के रोगों पर विशेष रूप से बराबर लाभ करता है। वात प्रकोप को शान्त करने के अलावा यह शरीर में चुस्ती फुर्ती और शक्ति पैदा करता है। वात रोगों को नष्ट करने की क्षमता होने के कारण आयुर्वेद ने इस योग की बहुत प्रशंसा की है। नींद न आना, हिस्टीरिया और मस्तिष्क को ज्ञान वाहिनी नाड़ियों के दोष से उत्पन्न होने वाली बीमारी में इसके सेवन से बड़ा लाभ होता है। जब वात प्रकोप के कारण हृदय में घबराहट, बेचैनी, मस्तिष्क में गर्मी और मुंह में छाले हों तब पित्त-वर्द्धक ताम्र भस्म, मल्ल या कुचला प्रदान औषधि के सेवन से लाभ नहीं होता। ऐसी स्थिति में इस योग के सेवन से लाभ होता है। प्रसव के बाद आई ...

स्वर्ण भस्म 1 ग्राम कितने रुपए की आती है? – Expert

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • स्वर्ण भस्म 1 ग्राम कितने रुपए की आती है? स्वर्ण भस्म बेहद ही कीमती होती है। बाजार में महज 500 ग्राम स्वर्ण भस्म की कीमत ढाई से तीन हजार के बीच है। कई कंपनियां इसे बनाती हैं। यह दवा दुकानों पर अक्सर मिल जाता है। स्वर्ण भस्म खाने से क्या होता है? स्‍वर्ण भस्‍म युक्‍त दवा स्‍मृति, एकाग्रता, समन्‍वय और मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार करती है. स्‍वर्ण भस्‍म को अवसाद, मस्तिष्‍क की सूजन और मधुमेह के कारण न्‍यूरोपैथी जैसी स्थितियों के विरुद्ध भी उपयोग किया जाता है. खासतौर पर पुरुषों के यौन स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देने के लिए स्वर्ण भस्म का उपयोग किया जाता रहा है. स्वर्ण भस्म कितनी खानी चाहिए? कितना खाएं : रोजाना 12.5 – 62.5 Mg स्वर्ण भस्म का उपयोग किया जा सकता है (10)। हीरा भस्म खाने से क्या होता है? इसमें हीरे की भस्म शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। इससे रोग से अतिशीघ्र निजात मिलता है, क्योंकि हीरे की भस्म से दवाएं कैंसर ग्रस्त अंग जैसे ब्रेन, ब्लड, ब्रोन आदि तक सीधे पहुंचकर कार्य करने लगती हैं। वहीं आयुर्वेदीय ‘मोलीकुलरली टारगेटेड थिरेपी’ से उस अंग का तेजी से सुधार होता है। आयुर्वेद में भस्म कितने प्रकार के होते हैं? भस्म के प्रकार : श्रौत, स्मार्त और लौकिक ऐसे तीन प्रकार की भस्म कही जाती है। सोना भस्म क्या होता है? स्वर्ण भस्मा एक आयुर्वेदिक औषधि है, जिसका उपयोग शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने (Swarna Bhasma Increase Immunity) और बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है। आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल रोगों का इलाज करने के लिए किया जाता है। स्वर्ण भस्म एक रसायन होता है। सोना भस्म क्या होती है? भस्म कितने प्रकार के होते हैं?...