स्वामी नारायण मंदिर नाशिक

  1. त्र्यंबकेश्वर शिव ज्योतिर्लिंग मंदिर। त्र्यंबकेश्वर मंदिर ऑनलाइन पूजा बुकिंग।
  2. Where is the Swami Narayan temple, Akshardham located ? / स्वामी नारायण मंदिर, अक्षरधाम कहाँ स्थित है?
  3. श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर
  4. स्वामिनारायण
  5. Nashik : स्वामी महाराजांच्या संकल्पनेतून उभं राहिलं मंदिर, पाहा निर्मितीची प्रेरणा Video
  6. 8 साल पूरे होने पर ​​​​​​​स्वामीनारायण मंदिर में 441वीं सभा हुई, भजन
  7. स्वामी नारायण मंदिरात ब्रह्मस्वरूप महंत स्वामींचे जल्लोषात स्वागत..!
  8. Nashik; Swami Narayan Mandir is under construction


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त्र्यंबकेश्वर शिव ज्योतिर्लिंग मंदिर। त्र्यंबकेश्वर मंदिर ऑनलाइन पूजा बुकिंग।

त्र्यंबकेश्वर शिव मंदिर लाइव दर्शन: त्र्यंबकेश्वर देवस्थान ट्रस्ट द्वारा त्र्यंबकेश्वर देवस्थान ट्रस्ट द्वारा लिया गया इस लाइव स्ट्रीमिंग का महत्वपूर्ण कदम उन सभी भक्तों के लिए है जो इस साल " आप दिए गए लिंक पर क्लिक कर के त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के लाइव दर्शन कर सकते हैं। त्र्यंबकेश्वर महादेव मंदिर का समय त्र्यंबकेश्वर मंदिर के खुलने और बंद होने का समय सुबह 7 बजे से रात 8 बजे तक है। भक्तों को केवल दर्शन के समय त्र्यंबकेश्वर आने की आवश्यकता है। त्रिम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग का रहस्य: शिव पुराण के अनुसार, एक बार भगवान ब्रह्मा ( सृजन ) और विष्णु (संरक्षण) की आपस मे सृजन के वर्चस्व के लिए बहस हुइ। भगवान शिवा ने उन दोनों की प्रकाश स्तम्भ को ढूंढने के लिए परीक्षा ली। दोनों भगवान ब्रह्मा और विष्णु ने अपना मार्ग उस प्रकाश स्तम्भ पाने के कारन विभाजित कर लिया और भगवन ब्रह्मा ने झूट बोला जबकि भगवान विष्णु ने अपनी हार का स्वीकार कर लिया। तब भगवान शिवा ने ब्रह्म देव को शाप दिया की वे कभी भी किसी पूजा मे नहीं होंगे जबकि भगवान विष्णु की पूजा आखिरी अनुष्ठान तक होगी। तब से, सभी ज्योतिर्लिंग स्थान एक प्रकाश स्तम्भ को दर्शाती है। भारत के १२ ज्योतिर्लिंग ऐसा कहा जाता है की, कुल ६४ ज्योतिर्लिंग है उनमे से सभी ज्योतिर्लिंग असीम प्रकाश स्तम्भ को दर्शाती है| वह भगवन शिव के स्वभाव का प्रतिक है। त्रिम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग पर रोज त्रिम्बकेश्वर शिव मंदिर का इतिहास नासिक, त्र्यंबकेश्वर मंदिर यह एक धार्मिक स्थल है, जहा विभिन्न पूजा करना लाभदायक है। यह कहा जाता है कि, बहुत सी घटनाओ की साक्षी यहाँ मंदिर की शुरुआत मे, एक सफेद संगमरमर से बना नंदी है| यह नंदी भगवान शिव शंकर का वाहन है। ऐसा माना जाता है कि, ...

Where is the Swami Narayan temple, Akshardham located ? / स्वामी नारायण मंदिर, अक्षरधाम कहाँ स्थित है?

Where is the Swami Narayan temple, Akshardham located ? / स्वामी नारायण मंदिर, अक्षरधाम कहाँ स्थित है? (1) Dwaraka, Gujarat / द्वारका, गुजरात (2) Puri, Orissa / पुरी, उड़ीसा (3) Mathura, Uttar Pradesh / मथुरा, उत्तर प्रदेश (4) Gandhinagar, Gujarat / गांधीनगर, गुजरात (SSC CPO Sub-Inspector Exam. 12.01.2003) Answer / उत्तर :- (4) Gandhinagar, Gujarat / गांधीनगर, गुजरात Explanation / व्याख्या :- गांधीनगर में अक्षरधाम भारत के गुजरात राज्य के सबसे बड़े मंदिरों में से एक है। मंदिर परिसर 23 एकड़ के क्षेत्र में फैले एक स्थान पर भक्ति, कला, वास्तुकला, शिक्षा, प्रदर्शनियों और अनुसंधान को जोड़ता है। सितंबर 2002 में जब दो भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों ने इस पर हमला किया तो यह मंदिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आया। यह दिल्ली में अक्षरधाम का पूर्ववर्ती है, जिसे प्रमुख स्वामी महाराज के नेतृत्व में एक ही धार्मिक संगठन बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) द्वारा बनाया गया था। इसका उद्घाटन 2 नवंबर 1992 को हुआ था। अक्षरधाम एक राजसी, जटिल नक्काशीदार पत्थर की संरचना है जो गांधीनगर (गांधीनगर जिले) में 23 एकड़ के भूखंड में स्थापित विशाल उद्यानों के बीच है। इसे 6000 टन गुलाबी बलुआ पत्थर से बनाया गया है और इसमें ज़रा भी स्टील का इस्तेमाल नहीं किया गया है। मंदिर की ऊंचाई 108 फीट, लंबाई 240 फीट और चौड़ाई 131 फीट है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि हिंदू धर्म का यह आधुनिक स्मारक वास्तु शास्त्र के आदेश के अनुसार बनाया गया था। भगवान स्वामीनारायण की सात फुट ऊंची, सोने की पत्ती वाली मूर्ति (मूर्ति) को स्थापित करने वाला स्मारक परिसर का केंद्र बिंदु है। स्मारक 7 मूर्तिकला स्तंभों,...

श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर

श्री लक्ष्मीनारायण(S hri Laxmi Narayan Nashik Temple) मंदिर नाशिक पंचवटी के तपोवन का एक महत्वपूर्ण मंदिर है। नाशिक में कुम्भ मेले के दौरान मंदिर का बड़ा और महत्वपूर्ण योगदान है। प्रशासन द्वारा भी सर्व प्रथम संत, महंतो और महामंडलेश्वरों के रुकने की व्यवस्था इसी मंदिर में की जाती है। कुंभ में दो महीने तक आने वाले भक्तों को भी यहाँ निशुल्क भोजन प्राप्त होता है। मंदिर में श्री लक्ष्मीनारायण भगवान की मूर्ति पूर्व महंत श्री राम रतन दासजी महाराज के द्वारा कराई गयी थी। इस लक्ष्मीनारायण धाम के दाहिनी ओरश्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता तथा बाईं ओर श्री द्वारकाधीश का धाम है। श्री राम दरबार के सामने हनुमानजी तथा द्वारकाधीश मंदिर के सामने गरुड़जी स्थापित हैं। 11 जुलाई 2015 को भगवान शिव सह-परिवार प्रतिष्ठित किए गये है। मंदिर को चलाने वाला ट्रस्ट सन् 9 फेब 1955 को पंजीकृत किया गया है। मंदिर के पूर्व और दक्षिण दिशा की ओर करीब 1.5 एकर में फैली गौशाला मे 80-90 गाये हैं। मंदिर के समीप ही पूर्व महंतजनो की चरण पादुकाएं स्थापित की गयी है। जानकारियां - Information of S hri Laxmi Narayan Nashik Temple. 1. धर्मार्थ सेवाएं - गौशाला, संत निवास, औषधालय, स्कूल 2. संस्थापक - महंत श्री राम रतन दासजी महाराज 3. स्थापना - सन् 1700 के आस-पास 4. देख-रेख संस्था - लक्ष्मीनारायण मंदिर बड़ा ट्रस्ट 5. फोटोग्राफी - ✓ हाँ जी (मंदिर के अंदर तस्वीर लेना अ-नैतिक है जबकि कोई पूजा करने में व्यस्त है! कृपया मंदिर के नियमों और सुझावों का भी पालन करें।) क्रमवद्ध - Timeline Thanks for visiting us. We are working on providing information and details of devotional literature and temples in India. Knowing about Bhakti and value of r...

स्वामिनारायण

अनुक्रम • 1 परिचय • 2 रचनाएँ • 3 सन्दर्भ • 4 देखें परिचय [ ] भगवान श्री पांच वर्ष की अवस्था में बालक को अक्षरज्ञान दिया गया। आठ वर्ष का होने पर उसका जनेऊ संस्कार हुआ। छोटी अवस्था में ही उसने अनेक शास्त्रों का अध्ययन कर लिया। जब वह केवल 11 वर्ष का था, तो माता व पिताजी का देहांत हो गया। कुछ समय बाद लोगो के कल्याण के हेतु उन्होंने घर छोड़ दिया और अगले सात साल तक पूरे देश की परिक्रमा की। अब लोग उन्हें नीलकंठवर्णी कहने लगे। इस दौरान उन्होंने गोपालयोगी से अष्टांग योग सीखा। वे उत्तर में हिमालय, दक्षिण में कांची, श्रीरंगपुर, रामेश्वरम् आदि तक गये। इसके बाद पंढरपुर व नासिक होते हुए वे गुजरात आ गये। एक दिन उन दिनों स्वामी मुक्तानंद कथा करते थे। उसमें स्त्री तथा पुरुष दोनों ही आते थे। नीलकंठवर्णी ने देखा और अनेक श्रोताओं और साधुओं का ध्यान कथा की ओर न होकर महिलाओं की ओर होता है। अतः उन्होंने पुरुषों तथा स्त्रियों के लिए अलग कथा की व्यवस्था की तथा प्रयासपूर्वक महिला कथावाचकों को भी तैयार किया। उनका मत था कि संन्यासी को उसके लिए बनाये गये सभी नियमों का कठोरतापूर्वक पालन करना चाहिए। कुछ समय बाद स्वामी रामानंद ने नीलकंठवर्णी को पीपलाणा गांव में दीक्षा देकर उनका नाम 'सहजानंद' रख दिया। एक साल बाद भगवान स्वामिनारायण जी ने जो नियम बनाये, वे स्वयं भी उनका कठोरता से पालन करते थे। उन्होंने यज्ञ में हिंसा, बलिप्रथा, सतीप्रथा, कन्या हत्या, भूत बाधा जैसी कुरीतियों को बंद कराया। उनका कार्यक्षेत्र मुख्यतः धर्म के प्रति इसी प्रकार श्रद्धाभाव जगाते हुए भगवान स्वामिनारायण जी ने गुणतितानंद स्वामी को अपने आध्यात्मिक उत्तराधिकारी के तौर पर नियुक्ति कर के 1 जून 1830 में पंच भौतिक देह का त्याग किया । आज उनक...

Nashik : स्वामी महाराजांच्या संकल्पनेतून उभं राहिलं मंदिर, पाहा निर्मितीची प्रेरणा Video

नाशिक 1 ऑक्टोंबर : नाशिक हे ऐतिहासिक आणि पौराणिक शहर आहे. गोदावरी नदीच्या तीरावर वसलेल्या या शहरामध्ये कुंभमेळा भरतो. नाशिकच्या जवळच त्र्यंबकेश्वर हे आद्य ज्योतिर्लिंग आहे. पंचवटी परिसरात प्रभू रामचंद्र यांनी पत्नी सिता आणि बंधू लक्ष्मणा सोबत वनवास काळात वास्तव्य केलेलं होत त्यामुळे ही पवित्र भूमी आहे.स्वामी नारायण यांनी देखील याच केवडीबन येथे काही काळ वास्तव्य केलं होतं. नाशिकच्या पवित्र भूमी मध्ये भव्य,दिव्य स्वामी नारायण मंदिर उभ राहावं असा संकल्प विश्ववंदनीय प्रमुख स्वामी महाराजांनी केला होता. स्वामींचा हा संकल्प त्यांचे उत्तराधिकारी आणि बीपीएस अध्यक्ष महंत स्वामी यांनी पूर्ण केली आहे, अशी प्रतिक्रिया स्वामी नारायण संस्थानचे प्रवक्ते आदर्शजीवन स्वामी यांनी दिली आहे. प्रमुख स्वामी महाराजांच्या सेवा कार्याची दखल 'गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड' ने देखील घेतली आहे. संपूर्ण जगभरात त्यांनी भारतीय संस्कृतीचा प्रचार प्रसार व्हावा यासाठी अकराशेहून अधिक धर्मस्थान,मंदिर निर्माण केली आहेत. त्यांचे धार्मिक क्षेत्रात मोठ योगदान आहे, असंही आदर्शजीवन स्वामी यांनी स्पष्ट केले. • दोन तरुण उलट्या प्रवाहात सापडले अन्.. नाशिकमध्ये धक्कादायक घटना • शाळेच्या पहिल्याच दिवशी विद्यार्थी अन् पालकांवर आंदोलनाची वेळ, गेटवर खाल्ला टिफिन • Nashik News : नाशिक लोकसभेच्या जागेवरून भाजप, शिवसेनेत वादाची ठिणगी? • Political news : ...त्यामुळे माझ्याकडे 2-4कोटी रुपये असणं सामान्य बाब; खडसेंनी पुन्हा महाजनांना सुनावलं • political news : शिवसेनेच्या जाहिरातीत काय चुकलं? पवारांनी स्पष्टपणेच सांगितलं • पहाटेच्या शपथविधीवेळी अजितदादांना किती आमदारांचा पाठिंबा? झिरवाळांनी सांगितला आकडा; म्हणाले मी पण... • Nashik ...

8 साल पूरे होने पर ​​​​​​​स्वामीनारायण मंदिर में 441वीं सभा हुई, भजन

स्थानीय प्राचीन स्वामी नारायण मंदिर में पिछले 8 वर्षों से लगातार चल रही रवि सभा यानी धर्म सभा के आठ साल पूरे हुए जिसके तहत संस्कार, सत्संग और भक्ति के गुणों का संचार किया जाता है। रविवार को मंदिर में 441वीं सभा हुई। सभा का मुख्य उद्देश्य संप्रदाय के प्रति लोगों में आस्था और भक्ति जगाना है। सभा प्रत्येक रविवार को होती है। शाम 5 बजे इसका समापन हुआ। सिलमपुरा स्थित 190 साल में प्राचीन मंदिर में पिछले 8 साल से रवि सभा चल रही है जिसमें भजन कीर्तन और भक्ति रस का आयोजन किया जाता रहा है। कोरोना काल में भी रवि सभा का आयोजन वर्चुअल किया जाता रहा। 441वीं रवि सभा रविवार को हुई जिसमें सामूहिक हनुमान चालीसा का भी पाठ किया गया। वहीं भजनों पर सभी भक्त थिरके। आरती दर्शन भक्ति भजन किए गए। मंदिर प्रवक्ता गोपाल देवकर ने बताया मुख्य अतिथि पीपी स्वामी, शास्त्री चिंतन स्वामी, बाबू भगत, वल्लभ भगत, सोमेश्वर मर्चेंट, नटवर भगत और अन्य संतों की उपस्थिति में कार्यक्रम संपन्न हुआ। शास्त्री चिंतन स्वामी ने कहा कि 8 साल पहले रवि सभा की स्थापना हुई थी। रवि सभा भक्ति ज्ञान और संस्कार देने वाली सभा है। हम चाहे जितना भी ज्ञान ले लें फिर भी संस्कारों की कमी हम में रहती है जो इस प्रकार की धर्म सभाओं में पूर्ण हो जाती है। रवि सभा के बाद अब हमारे बच्चों में ऐसी संस्कार की स्थापना हो इसके लिए घनश्याम बाल संस्कार बालक बालिका सभा की भी शुरुआत की है। कोठारी पीपी स्वामी ने कहा रवि सभा हमारे जीवन का एक हिस्सा बनाना चाहिए, क्योंकि जिस तरह से हमारे शरीर को सभी तत्व लगते हैं उसी प्रकार हमें बाहरी ज्ञान के साथ साथ रवि सभा में मिलने वाला ज्ञान भक्ति भी आवश्यक है। ट्रस्टी सोमेश्वर मर्चेंट ने कहा कि आज के बच्चों को संस्कारों ...

स्वामी नारायण मंदिरात ब्रह्मस्वरूप महंत स्वामींचे जल्लोषात स्वागत..!

तपोवन परिसरातील केवडीवन येथे बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिराच्या मूर्ती प्रतिष्ठा सोहळ्यानिमित्त ब्रह्मस्वरूप महंत स्वामींचे रविवारी नाशिकमध्ये आगमन झाले आहे. यावेळी भाविकांनी त्यांचे मोठ्या जल्लोषात स्वागत केलं. त्यांच्यावर पुष्पवृष्टी करून त्यांचे स्वागत करण्यात आले. दरम्यान ३ ऑक्टोबरपर्यंत महंत स्वामी मंदिर परिसरात राहणार आहेत. नाशिकच्या तपोवन परिसरात भव्य बीएपीएस स्वामी नारायण मंदिर साकारण्यात आले आहे. गेल्या चार वर्षांपासून या मंदिराचे काम सुरू होते. कोरोना काळात काही दिवस काम थांबवले गेले होते. आता या मंदिराचे काम पूर्ण झाले आहे. तर गेल्या २३ तारखे पासून मूर्ती प्राणप्रतिष्ठा उत्सवास सुरुवात झाली आहे. २६ तारखेला विश्वशांती महायज्ञाचे आयोजन केले गेले होते. मूर्ती प्राणप्रतिष्ठा सोहळ्या निमित्त ब्रम्हस्वरूप महंत स्वामींचे आगमन नाशिकमध्ये झालेले आहे. यावेळी मंदिर परिसरासह शहरात भक्तिमय वातावरण निर्माण झाले आहे. तपोवन केवडीबन येथे उभारण्यात आलेल महाकाय स्वामी नारायण मंदिर बघण्यासाठी आणि दर्शन घेण्यासाठी भाविक भक्त उत्सुक झाले आहेत. महोत्सवातील मुख्य वेदोक्त मूर्ती प्रतिष्ठाविधीचे बुधवार (दि.२८) रोजी आयोजन करण्यात आले आहे. तरी सर्व भाविक भक्तांनी कार्यक्रमास उपस्थिती लावून दर्शनाचा लाभ घ्यावा अस आवाहन करण्यात आले आहे. स्वागत सगळ्यात हजारहूळ अधिक भाविक उपस्थित होते. तर वीस हजारहून अधिक भाविक प्राणप्रतिष्ठेस येणार असल्याची माहिती देण्यात आली आहे. हजारो भाविक राहणार कार्यक्रमास उपस्थित स्वामीनारायण मंदिरात दहा दिवस साजरा होत असलेल्या या प्राणप्रतिष्ठा महोत्सवात नाशिक, गुजरात, मुंबई, पुणे, खानदेश एवढेच नाही तर देश-विदेशातून लाखो भक्तांची उपस्थिती लाभली आहे. शिस्तता आदेश नियमानुसा...

Nashik; Swami Narayan Mandir is under construction

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