शिक्षा का उद्देश्य निबंध के लेखक

  1. शिक्षा पर निबंध
  2. Shiksha Ka Uddeshya Essay in Hindi


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शिक्षा पर निबंध

शिक्षा पर निबंध Essay on Education in Hindi: नमस्कार दोस्तों आज का निबंध शिक्षा अर्थात एजुकेशन पर दिया गया हैं. शिक्षा की संकल्पना क्या है व्यक्ति के जीवन में इसका क्या महत्व हैं. समाज और राष्ट्र के विकास में एजुकेशन की भूमिका पर स्टूडेंट्स के लिए शिक्षा का सारगर्भित और विस्तृत निबंध यहाँ दिया गया हैं. शिक्षा पर निबंध | Essay on Education in Hindi माँ को पहले शिक्षक की संज्ञा दी जाती हैं. शिक्षा की तुलना ब्रह्मास्त्र से की जाती हैं, जिसके बलबूते पर सब कुछ अर्जित किया जा सकता हैं. अच्छी शिक्षा ही उचित अनुचित का भेद कराती हैं तथा सही तरीके से जीवन जीने की दिशा प्रदान करती हैं. यह कारण हैं कि आज के समय में शिक्षा को सभी मूलभूत आवश्यकताओं में सबसे पहली प्राथमिकता दी जाती हैं. आज के शिक्षा निबंध, भाषण, अनुच्छेद एस्से स्पीच में हम जानेगे कि शिक्षा का जीवन में क्या महत्व हैं तथा प्रत्येक बालक को बुनियादी शिक्षा मिलनी क्यों जरुरी हैं. एजुकेशन / शिक्षा पर शोर्ट निबंध 300 शब्दों में शिक्षा को हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण उपकरण माना जा सकता हैं, जो प्रत्येक मानव के लिए बेहद उपयोगी हैं. शिक्षा के कारण ही मनुष्य पृथ्वी के अन्य प्राणियों से भिन्न हैं. मानव आज तरक्की पसंद हैं तो इसका कारण शिक्षा ही हैं. Telegram Group शिक्षा व्यक्ति को जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना करने योग्य बनाती हैं. शिक्षा के माध्यम से हम इच्छित स्वप्न को साकार कर अपने जीवन को मनचाही राह दे सकते हैं. आज के दौर में अशिक्षित व्यक्ति के लिए अच्छी तरीके से जीवन निर्वहन करना भी कठिन हैं. शिक्षा न केवल व्यक्ति को सही गलत का भेद सिखाती हैं. बल्कि अच्छे तरीके से जीविकापार्जन हेतु सक्षम बनाती हैं. आज के दौर में किसी भी ...

Shiksha Ka Uddeshya Essay in Hindi

मानव विकास का मापदण्ड ज्ञान है। ज्ञान से बुद्धि प्रशिक्षित होती है तथा मस्तिष्क में विचारों का जन्म होता है। यह विचार विवेक जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता का साधन है। शारीरिक हो या मानसिक, आधि हो या व्याधि, समस्याएँ हों या संकट, सभी का समाधान ज्ञान की चाबी से होता है। ज्ञान प्राप्ति के लिए शिक्षा-ज्ञान प्राप्ति शिक्षा का महत्वपूर्ण उद्देश्य है। आधुनिक सभ्यता शिक्षा के माध्यम द्वारा ज्ञान प्राप्त करके विकसित हुई है। न तो ज्ञान अपने आप में सम्पूर्ण शिक्षा है, न ही शिक्षा का अन्तिम उद्देश्य, यह तो शिक्षा का मात्र एक भाग है और एक साधन है। अत: शिक्षा का उद्देश्य सांस्कृतिक ज्ञान की प्राप्ति होना चाहिए ताकि मानव सभ्य, शिष्ट, संयत बने, साहित्य, संगीत और कला आदि का विकास कर सके। जीवन को मूल्यवान् बनाकर जीवन स्तर को ऊँचा उठा सके। साथ ही आने वाली पीढ़ी को सांस्कृतिक धरोहर सौंप सके। चरित्र के लिए शिक्षा-चरित्र का अर्थ है, वे सब बातें जो आचरण, व्यवहार आदि के रूप में की जायें।’ प्लूटार्क के अनुसार, ‘चरित्र केवल सुदीर्घकालीन आदत है।’ वाल्मीकि का कथन है, ‘मनुष्य के चरित्र से ही ज्ञात होता है कि वह कुलीन है या अकुलीन, वीर है या दंभी, पवित्र है या अपवित्र।’ इन्हे भी पढ़ें- • • चरित्र दो प्रकार का होता है-अच्छा और बुरा। सच्चरित्र ही समाज की शोभा है। इसके निर्माण का दायित्व वहन करती है शिक्षा। गांधीजी के शब्दों में ‘चरित्र शुद्धि ठोस शिक्षा की बुनियाद है।’ इसलिए डॉ. डी. एन. खोखला का कहना है, ‘शिक्षा का उद्देश्य सांवेगिक एवं नैतिक विकास होना चाहिए। एक अच्छा इंजीनियर या डॉक्टर बेकार है, यदि उसमें नैतिकता के गुण नहीं। कारण, चरित्र हीन ज्ञानी सिर्फ ज्ञान का भार ढोता है। वास्तविक शिक्षा मानव में ...