Rte 2009 ki dhara

  1. धारा 11 सूचना का अधिकार
  2. सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8 – The RTI EFFECT
  3. धारा 11 सूचना का अधिकार
  4. सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8 – The RTI EFFECT
  5. सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8 – The RTI EFFECT
  6. धारा 11 सूचना का अधिकार
  7. सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8 – The RTI EFFECT
  8. धारा 11 सूचना का अधिकार


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धारा 11 सूचना का अधिकार

आज के इस आर्टिकल में मै आपको “पर व्यक्ति सूचना | सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 11 क्या है | Section 11 RTI Act in hindi | Section 11 of Right to information act | धारा 11 सूचना का अधिकार अधिनियम | Third party information ” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की – सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 11 | Section 11 of Right to information act | Section 11 RTI Act in Hindi [ RTI Act Sec. 11 in Hindi ] – पर व्यक्ति सूचना- (1) जहां, यथास्थिति, किसी केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी का, इस अधिनियम के अधीन किए गए अनुरोध पर कोई ऐसी सूचना या अभिलेख या उसके किसी भाग को प्रकट करने का आशय है, जो किसी पर व्यक्ति से संबंधित है या उसके द्वारा इसका प्रदाय किया गया है और उस पर व्यक्ति द्वारा उसे गोपनीय माना गया है, वहां. यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी अनुरोध प्राप्त होने से पांच दिन के भीतर ऐसे पर व्यक्ति को अनुरोध की और इस तथ्य की लिखित रूप में सूचना देगा कि, यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी का उक्त सूचना या अभिलेख या उसके किसी भाग को प्रकट करने का आशय है, और इस बारे में कि सूचना प्रकट की जानी चाहिए या नहीं, लिखित में या मौखिक रूप से निवेदन करने के लिए पर व्यक्ति को आमंत्रित करेगा तथा सूचना के प्रकटन के बारे में कोई विनिश्चय करते समय पर व्यक्ति के ऐसे निवेदन को ध्यान में रखा जाएगा : परन्तु विधि द्वारा संरक्षित व्यापार या वाणिज्यिक गुप्त बातों की दशा में के सिवाय, यदि ऐसे प्रकटन में लोकहित, ऐसे पर व्यक्ति के हितों की किसी संभावित अपहानि या क्षत...

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8 – The RTI EFFECT

(8)सूचना के प्रकट किये जाने से छूट – ( 1 ) इस अधिनियम के अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, किसी नागरिक को निम्नलिखित सूचना देने की बाध्यता नहीं होगी – (क) सूचना, जिसके प्रकटन से भारत की प्रभुता और अखण्डता, राज्य की सुरक्षा, रणनीति, वैज्ञानिक या आर्थिक हित, विदेश से संबंध पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो या किसी अपराध को करने की उद्वीपन होता हो; (ख) सूचना, जिसके प्रकाशन को किसी न्यायालय या अधिकरण द्वारा अभिव्यक्त रूप से निषिद्ध किया गया है या जिसके प्रकटन से न्यायालय का अवमान होता है; (ग) सूचना, जिसके प्रकटन से संसद या किसी राज्य के विधान–मंडल के विशेषाधिकार का भंग कारित होगा; (घ) सूचना, जिसमे वाणिज्यिक विश्वास, व्यापर गोपनीयता या बौद्धिक संपदा सम्मिलित है, जिसके प्रकटन से किसी पर व्यक्ति की प्रतियोगी स्थिति को नुकसान होता है, जब तक की सक्षम प्राधिकारी का यह समाधान नहीं हो जाता है की ऐसी सुचना के प्रकटन से विस्तृत लोक हित का समर्थन होता है; (ङ) किसी व्यक्ति को उसकी वैश्वासिक नातेदारी में उपलब्ध सूचना, जब तक की सक्षम प्राधिकारी का यह समाधान नहीं हो जाता है की ऐसी सुचना के प्रकटन से विस्तृत लोक हित का समर्थन होता है; (च) किसी विदेशी सरकार से विश्वास पे प्राप्त सूचना; (छ) सूचना जिसको प्रकट करना किसी व्यक्ति के जीवन या शारीरिक सुरक्षा को खतरे में डालेगा या जो विधि प्रवर्तन या सुरक्षा प्रयोजनों के लिए विश्वास में दी गयी किसी सूचना या सहायता के स्रोत की पहचान करेगा; (ज) सूचना, जिससे अपराधियों के अन्वेषण, पकड़े जाने या अभियोजन की प्रक्रिया में अड़चन पड़ेगी; (झ) मंत्रिमंडल के कागजपत्र, जिसमे मंत्रिपरिषद, सचिवों और अन्य अधिकारीयों के विचार–विमर्श के अभिलेख सम्मिलित हैं; परन्तु यह की मंत्र...

धारा 11 सूचना का अधिकार

आज के इस आर्टिकल में मै आपको “पर व्यक्ति सूचना | सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 11 क्या है | Section 11 RTI Act in hindi | Section 11 of Right to information act | धारा 11 सूचना का अधिकार अधिनियम | Third party information ” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की – सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 11 | Section 11 of Right to information act | Section 11 RTI Act in Hindi [ RTI Act Sec. 11 in Hindi ] – पर व्यक्ति सूचना- (1) जहां, यथास्थिति, किसी केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी का, इस अधिनियम के अधीन किए गए अनुरोध पर कोई ऐसी सूचना या अभिलेख या उसके किसी भाग को प्रकट करने का आशय है, जो किसी पर व्यक्ति से संबंधित है या उसके द्वारा इसका प्रदाय किया गया है और उस पर व्यक्ति द्वारा उसे गोपनीय माना गया है, वहां. यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी अनुरोध प्राप्त होने से पांच दिन के भीतर ऐसे पर व्यक्ति को अनुरोध की और इस तथ्य की लिखित रूप में सूचना देगा कि, यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी का उक्त सूचना या अभिलेख या उसके किसी भाग को प्रकट करने का आशय है, और इस बारे में कि सूचना प्रकट की जानी चाहिए या नहीं, लिखित में या मौखिक रूप से निवेदन करने के लिए पर व्यक्ति को आमंत्रित करेगा तथा सूचना के प्रकटन के बारे में कोई विनिश्चय करते समय पर व्यक्ति के ऐसे निवेदन को ध्यान में रखा जाएगा : परन्तु विधि द्वारा संरक्षित व्यापार या वाणिज्यिक गुप्त बातों की दशा में के सिवाय, यदि ऐसे प्रकटन में लोकहित, ऐसे पर व्यक्ति के हितों की किसी संभावित अपहानि या क्षत...

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8 – The RTI EFFECT

(8)सूचना के प्रकट किये जाने से छूट – ( 1 ) इस अधिनियम के अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, किसी नागरिक को निम्नलिखित सूचना देने की बाध्यता नहीं होगी – (क) सूचना, जिसके प्रकटन से भारत की प्रभुता और अखण्डता, राज्य की सुरक्षा, रणनीति, वैज्ञानिक या आर्थिक हित, विदेश से संबंध पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो या किसी अपराध को करने की उद्वीपन होता हो; (ख) सूचना, जिसके प्रकाशन को किसी न्यायालय या अधिकरण द्वारा अभिव्यक्त रूप से निषिद्ध किया गया है या जिसके प्रकटन से न्यायालय का अवमान होता है; (ग) सूचना, जिसके प्रकटन से संसद या किसी राज्य के विधान–मंडल के विशेषाधिकार का भंग कारित होगा; (घ) सूचना, जिसमे वाणिज्यिक विश्वास, व्यापर गोपनीयता या बौद्धिक संपदा सम्मिलित है, जिसके प्रकटन से किसी पर व्यक्ति की प्रतियोगी स्थिति को नुकसान होता है, जब तक की सक्षम प्राधिकारी का यह समाधान नहीं हो जाता है की ऐसी सुचना के प्रकटन से विस्तृत लोक हित का समर्थन होता है; (ङ) किसी व्यक्ति को उसकी वैश्वासिक नातेदारी में उपलब्ध सूचना, जब तक की सक्षम प्राधिकारी का यह समाधान नहीं हो जाता है की ऐसी सुचना के प्रकटन से विस्तृत लोक हित का समर्थन होता है; (च) किसी विदेशी सरकार से विश्वास पे प्राप्त सूचना; (छ) सूचना जिसको प्रकट करना किसी व्यक्ति के जीवन या शारीरिक सुरक्षा को खतरे में डालेगा या जो विधि प्रवर्तन या सुरक्षा प्रयोजनों के लिए विश्वास में दी गयी किसी सूचना या सहायता के स्रोत की पहचान करेगा; (ज) सूचना, जिससे अपराधियों के अन्वेषण, पकड़े जाने या अभियोजन की प्रक्रिया में अड़चन पड़ेगी; (झ) मंत्रिमंडल के कागजपत्र, जिसमे मंत्रिपरिषद, सचिवों और अन्य अधिकारीयों के विचार–विमर्श के अभिलेख सम्मिलित हैं; परन्तु यह की मंत्र...

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8 – The RTI EFFECT

(8)सूचना के प्रकट किये जाने से छूट – ( 1 ) इस अधिनियम के अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, किसी नागरिक को निम्नलिखित सूचना देने की बाध्यता नहीं होगी – (क) सूचना, जिसके प्रकटन से भारत की प्रभुता और अखण्डता, राज्य की सुरक्षा, रणनीति, वैज्ञानिक या आर्थिक हित, विदेश से संबंध पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो या किसी अपराध को करने की उद्वीपन होता हो; (ख) सूचना, जिसके प्रकाशन को किसी न्यायालय या अधिकरण द्वारा अभिव्यक्त रूप से निषिद्ध किया गया है या जिसके प्रकटन से न्यायालय का अवमान होता है; (ग) सूचना, जिसके प्रकटन से संसद या किसी राज्य के विधान–मंडल के विशेषाधिकार का भंग कारित होगा; (घ) सूचना, जिसमे वाणिज्यिक विश्वास, व्यापर गोपनीयता या बौद्धिक संपदा सम्मिलित है, जिसके प्रकटन से किसी पर व्यक्ति की प्रतियोगी स्थिति को नुकसान होता है, जब तक की सक्षम प्राधिकारी का यह समाधान नहीं हो जाता है की ऐसी सुचना के प्रकटन से विस्तृत लोक हित का समर्थन होता है; (ङ) किसी व्यक्ति को उसकी वैश्वासिक नातेदारी में उपलब्ध सूचना, जब तक की सक्षम प्राधिकारी का यह समाधान नहीं हो जाता है की ऐसी सुचना के प्रकटन से विस्तृत लोक हित का समर्थन होता है; (च) किसी विदेशी सरकार से विश्वास पे प्राप्त सूचना; (छ) सूचना जिसको प्रकट करना किसी व्यक्ति के जीवन या शारीरिक सुरक्षा को खतरे में डालेगा या जो विधि प्रवर्तन या सुरक्षा प्रयोजनों के लिए विश्वास में दी गयी किसी सूचना या सहायता के स्रोत की पहचान करेगा; (ज) सूचना, जिससे अपराधियों के अन्वेषण, पकड़े जाने या अभियोजन की प्रक्रिया में अड़चन पड़ेगी; (झ) मंत्रिमंडल के कागजपत्र, जिसमे मंत्रिपरिषद, सचिवों और अन्य अधिकारीयों के विचार–विमर्श के अभिलेख सम्मिलित हैं; परन्तु यह की मंत्र...

धारा 11 सूचना का अधिकार

आज के इस आर्टिकल में मै आपको “पर व्यक्ति सूचना | सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 11 क्या है | Section 11 RTI Act in hindi | Section 11 of Right to information act | धारा 11 सूचना का अधिकार अधिनियम | Third party information ” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की – सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 11 | Section 11 of Right to information act | Section 11 RTI Act in Hindi [ RTI Act Sec. 11 in Hindi ] – पर व्यक्ति सूचना- (1) जहां, यथास्थिति, किसी केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी का, इस अधिनियम के अधीन किए गए अनुरोध पर कोई ऐसी सूचना या अभिलेख या उसके किसी भाग को प्रकट करने का आशय है, जो किसी पर व्यक्ति से संबंधित है या उसके द्वारा इसका प्रदाय किया गया है और उस पर व्यक्ति द्वारा उसे गोपनीय माना गया है, वहां. यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी अनुरोध प्राप्त होने से पांच दिन के भीतर ऐसे पर व्यक्ति को अनुरोध की और इस तथ्य की लिखित रूप में सूचना देगा कि, यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी का उक्त सूचना या अभिलेख या उसके किसी भाग को प्रकट करने का आशय है, और इस बारे में कि सूचना प्रकट की जानी चाहिए या नहीं, लिखित में या मौखिक रूप से निवेदन करने के लिए पर व्यक्ति को आमंत्रित करेगा तथा सूचना के प्रकटन के बारे में कोई विनिश्चय करते समय पर व्यक्ति के ऐसे निवेदन को ध्यान में रखा जाएगा : परन्तु विधि द्वारा संरक्षित व्यापार या वाणिज्यिक गुप्त बातों की दशा में के सिवाय, यदि ऐसे प्रकटन में लोकहित, ऐसे पर व्यक्ति के हितों की किसी संभावित अपहानि या क्षत...

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8 – The RTI EFFECT

(8)सूचना के प्रकट किये जाने से छूट – ( 1 ) इस अधिनियम के अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, किसी नागरिक को निम्नलिखित सूचना देने की बाध्यता नहीं होगी – (क) सूचना, जिसके प्रकटन से भारत की प्रभुता और अखण्डता, राज्य की सुरक्षा, रणनीति, वैज्ञानिक या आर्थिक हित, विदेश से संबंध पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो या किसी अपराध को करने की उद्वीपन होता हो; (ख) सूचना, जिसके प्रकाशन को किसी न्यायालय या अधिकरण द्वारा अभिव्यक्त रूप से निषिद्ध किया गया है या जिसके प्रकटन से न्यायालय का अवमान होता है; (ग) सूचना, जिसके प्रकटन से संसद या किसी राज्य के विधान–मंडल के विशेषाधिकार का भंग कारित होगा; (घ) सूचना, जिसमे वाणिज्यिक विश्वास, व्यापर गोपनीयता या बौद्धिक संपदा सम्मिलित है, जिसके प्रकटन से किसी पर व्यक्ति की प्रतियोगी स्थिति को नुकसान होता है, जब तक की सक्षम प्राधिकारी का यह समाधान नहीं हो जाता है की ऐसी सुचना के प्रकटन से विस्तृत लोक हित का समर्थन होता है; (ङ) किसी व्यक्ति को उसकी वैश्वासिक नातेदारी में उपलब्ध सूचना, जब तक की सक्षम प्राधिकारी का यह समाधान नहीं हो जाता है की ऐसी सुचना के प्रकटन से विस्तृत लोक हित का समर्थन होता है; (च) किसी विदेशी सरकार से विश्वास पे प्राप्त सूचना; (छ) सूचना जिसको प्रकट करना किसी व्यक्ति के जीवन या शारीरिक सुरक्षा को खतरे में डालेगा या जो विधि प्रवर्तन या सुरक्षा प्रयोजनों के लिए विश्वास में दी गयी किसी सूचना या सहायता के स्रोत की पहचान करेगा; (ज) सूचना, जिससे अपराधियों के अन्वेषण, पकड़े जाने या अभियोजन की प्रक्रिया में अड़चन पड़ेगी; (झ) मंत्रिमंडल के कागजपत्र, जिसमे मंत्रिपरिषद, सचिवों और अन्य अधिकारीयों के विचार–विमर्श के अभिलेख सम्मिलित हैं; परन्तु यह की मंत्र...

धारा 11 सूचना का अधिकार

आज के इस आर्टिकल में मै आपको “पर व्यक्ति सूचना | सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 11 क्या है | Section 11 RTI Act in hindi | Section 11 of Right to information act | धारा 11 सूचना का अधिकार अधिनियम | Third party information ” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की – सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 11 | Section 11 of Right to information act | Section 11 RTI Act in Hindi [ RTI Act Sec. 11 in Hindi ] – पर व्यक्ति सूचना- (1) जहां, यथास्थिति, किसी केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी का, इस अधिनियम के अधीन किए गए अनुरोध पर कोई ऐसी सूचना या अभिलेख या उसके किसी भाग को प्रकट करने का आशय है, जो किसी पर व्यक्ति से संबंधित है या उसके द्वारा इसका प्रदाय किया गया है और उस पर व्यक्ति द्वारा उसे गोपनीय माना गया है, वहां. यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी अनुरोध प्राप्त होने से पांच दिन के भीतर ऐसे पर व्यक्ति को अनुरोध की और इस तथ्य की लिखित रूप में सूचना देगा कि, यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी का उक्त सूचना या अभिलेख या उसके किसी भाग को प्रकट करने का आशय है, और इस बारे में कि सूचना प्रकट की जानी चाहिए या नहीं, लिखित में या मौखिक रूप से निवेदन करने के लिए पर व्यक्ति को आमंत्रित करेगा तथा सूचना के प्रकटन के बारे में कोई विनिश्चय करते समय पर व्यक्ति के ऐसे निवेदन को ध्यान में रखा जाएगा : परन्तु विधि द्वारा संरक्षित व्यापार या वाणिज्यिक गुप्त बातों की दशा में के सिवाय, यदि ऐसे प्रकटन में लोकहित, ऐसे पर व्यक्ति के हितों की किसी संभावित अपहानि या क्षत...

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