नवरात्र का दूसरा दिन

  1. Navratri 2021 Second Day Of Navratri 8 October 2021 Brahmacharini Is Worshiped Know Navratri Vrat Story And Importance
  2. Ashadha Gupt Navratri Date 2023: 19 जून से आषाढ़ी गुप्त नवरात्र उज्जैन के शक्तिपीठ हरसिद्धि में होगी साधना
  3. नवरात्र का दूसरा दिन: जानिए, मां ब्रह्मचारिणी की कथा, महत्व, पूजन विधि, मंत्र और आरती
  4. नवरात्रि का दूसरा दिन मां दुर्गा दूसरा स्वरूप "मां ब्रह्मचारिणी"
  5. Gupt Navratri 2023 : गुप्त नवरात्रि पर करें इन 10 महाविद्या मंत्र का जाप, सभी मनोकामना होगी पूरी
  6. Navratri 2022: नवरात्रि का दूसरा दिन आज, जानें माता ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि और कथा
  7. नवरात्रि 2022 Navratri 2022, नवरात्रि कब से है 2022, नवरात्रि 2022 दिनांक, शरद नवरात्रि 2022, शारदीय नवरात्र 2022 शुभ मुहूर्त, नवरात्रि 2022 घटस्थापना मुहूर्त, शारदीय नवरात्रि 2022 घटस्थापना विधि, Shardiya Navratri 2022 Date, Navratri 2022 Ghatasthapana Shubh Muhurat, Navratri Ghatasthapana Vidhi, Navratri Kab Hai 2022
  8. chaitra navratri 2023 2nd day maa brahmacharini puja vidhi aarti katha bhog mantra
  9. Gupt Navratri 2023 : गुप्त नवरात्रि पर करें इन 10 महाविद्या मंत्र का जाप, सभी मनोकामना होगी पूरी
  10. Navratri 2022: नवरात्रि का दूसरा दिन आज, जानें माता ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि और कथा


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Navratri 2021 Second Day Of Navratri 8 October 2021 Brahmacharini Is Worshiped Know Navratri Vrat Story And Importance

Second Day of Navratri 2021: हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व बहुत ही पवित्र माना गया है. 7 अक्टूबर 2021 से नवरात्रि का पावन पर्व आरंभ हो चुका है. 8 अक्टूबर 2021, शुक्रवार को मां ब्रह्मचारिणी (Brahmacharini) की पूजा की जाएगी. मां ब्रह्मचारिणी कौन हैं और इनकी पूजा का क्या महत्व है, आइए जानते हैं. मां ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) शास्त्रों में मां ब्रह्मचारिणी को मां दुर्गा का विशेष स्वरूप माना गया है. नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है. मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की आराधना से तप, शक्ति ,त्याग ,सदाचार, संयम और वैराग्य में वृद्धि होती है और शत्रुओं को पराजित कर उन पर विजय प्रदान करती हैं. नवरात्रि के द्वितीय दिवस पर विधि पूर्वक पूजा करने से मां ब्रह्मचारिणी सभी मनाकोमनाओं को पूर्ण कर जीवन में आने वाली परेशानियों को दूर करती हैं. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व पौराणिक कथाओं में मां ब्रह्मचारिणी को महत्वपूर्ण देवी के रूप में माना गया है. मां ब्रह्मचारिणी नाम का अर्थ तपस्या और चारिणी यानि आचरण से है. मां ब्रह्मचारिणी को तप का आचरण करने वाली देवी माना गया है. मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में तप की माला और बांए हाथ में कमण्डल है. धार्मिक मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से जीवन में तप त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम प्राप्त होता है.मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है. जीवन की सफलता में आत्मविश्वास का अहम योगदान माना गया है. मां ब्रह्मचारिणी की कृपा प्राप्त होने से व्यक्ति संकट आने पर घबराता नहीं है. नवरात्रि का दूसरा दिन और पूजा की विधि (Navratri 2021 Second Day) शुक्रवार को प्रात: उठकर नित्यकर्मों...

Ashadha Gupt Navratri Date 2023: 19 जून से आषाढ़ी गुप्त नवरात्र उज्जैन के शक्तिपीठ हरसिद्धि में होगी साधना

Ashadha Gupt Navratri Date 2023: उज्जैन (नईदुनिया प्रतिनिधि)। पंचांग की गणना के अनुसार आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा 19 जून सोमवार को गुप्त नवरात्र का आरंभ होगा। आर्द्रा नक्षत्र, वृद्धि योग, बव करण तथा मिथुन राशि के चंद्रमा की साक्षी में गुप्त नवरात्र का आरंभ होगा। इस बार नवरात्र पूरे नौ दिनों के रहेंगे। धर्मशास्त्रीय मान्यता के अनुसार नवरात्र के नौ दिनों में मां दुर्गा की विशिष्ट साधना की जा सकेगी। पौराणिक मान्यता के अनुसार 52 शक्तिपीठ अथवा सिद्धपीठों पर उपासना का विशेष महत्व होता है। जनकल्याण, राष्ट्र कल्याण के लिए योग्य साधक उपासना करेंगे। गुप्त नवरात्र में तिथि का बढ़ना श्रेष्ठ ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला ने बताया पौराणिक मान्यता के अनुसार वर्षभर में चार नवरात्र होते हैं जिनमें जो दो गुप्त और दो प्रकट नवरात्र आते हैं। आषाढ और माघ माह के नवरात्र गुप्त तथा चैत्र व अश्विन के नवरात्र को प्रकट नवरात्र की संज्ञा दी गई है। गुप्त नवरात्र में तिथि का बढ़ना श्रेष्ठ होता है। यह साधना की सफलता के लिए श्रेष्ठ संकेत माना जाता है। इस दृष्टि से इस दौरान की जाने वाली साधना उपासना मनोवांछित फल प्रदान करती है। साधना उपासना के लिए श्रेष्ठ समय देवी भागवत के अनुसार नवरात्र में चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की पूर्णता तथा संतान उत्पत्ति व पदोन्नति के लिए विधिवत साधना उपासना का अनुक्रम बताया गया है। योग्य आचार्य के सानिध्य में देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए वैदिक उपासना का अनुसरण करना चाहिए। इसी पक्षकाल में ग्रहों के नक्षत्र परिवर्तन भी होंगे ग्रह गोचर तथा परिभ्रमण की गणना से देखें तो 19 जून से लेकर 3 जुलाई के मध्य अलग-अलग ग्रहों के नक्षत्र परिवर्तन एवं बुध ग्रह का राशि परिवर्तन होगा। 30...

नवरात्र का दूसरा दिन: जानिए, मां ब्रह्मचारिणी की कथा, महत्व, पूजन विधि, मंत्र और आरती

माता ब्रह्मचारिणी मां दुर्गा की नवशक्ति का दूसरा स्वरूप हैं। नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। भगवान शिव से विवाह हेतु प्रतिज्ञाबद्ध होने के कारण इन्हें ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना जाता है। ब्रह्म का अर्थ यहां तप से है और चारिणी का अर्थ आचरण करने वाली है। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। मां दुर्गा का यह रूप भक्तों और सिद्धों को अनंत फल देने वाला है। विधिपूर्वक इनकी आराधना करने से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की प्राप्ति और उसमें वृद्धि होती है। तो आइए, आपको बताते हैं दुर्गा मां के इस रूप की पूजा विधि, मंत्र, स्तुति, आरती, कथा, स्वरूप और महत्व के बारे में... मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप देवी ब्रह्मचारिणी साक्षात ब्रह्म का स्वरूप, यानी तपस्या का मूर्तिमान हैं। इनके दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमण्डल है। ये श्वेत वस्त्र धारण किए हुए हैं। भक्त इन्हें शिवस्वरूपा, गणेशजननी, नारायणी, विष्णुमाया, पूर्णब्रह्मस्वरूपिनी आदि नामों से जानते हैं। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा महत्व देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना करने से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य सदाचार, संयम, आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। इसलिए कठिन से कठिन परिस्थिति में भी वह मार्ग से विचलित नहीं होता। देवी ब्रह्मचारिणी अपने भक्तों में दुर्भावनाओं, दुर्गुणों और दोषों का नाश करती हैं। उनके तप के प्रभाव से जीवन में व्याप्त अविवेक, लालच और तृष्णा का नाश होता है। जीवन में धैर्य, साहस और उत्साह का समावेश होता है। व्यक्ति मज़बूत बनता है। वे लोग जिनके जीवन में अंधकार और ढेर सारी परेशानियां है, उनके लिए मां दुर्गा का यह स्वरूप दिव्य और अलौकिक प्रकाश लेकर आता है। मां ब्रह्मचारिणी...

नवरात्रि का दूसरा दिन मां दुर्गा दूसरा स्वरूप "मां ब्रह्मचारिणी"

नवरात्र पर्व के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा - अर्चना की जाती है। साधक इस दिन अपने मन को माँ के चरणों में लगाते हैं। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएँ हाथ में कमण्डल रहता है। माँ दुर्गाजी का यह दूसरा स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनन्तफल देने वाला है। इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है। जीवन के कठिन संघर्षों में भी उसका मन कर्तव्य - पथ से विचलित नहीं होता। माँ ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से उसे सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है। दुर्गा पूजा के दूसरे दिन इन्हीं के स्वरूप की उपासना की जाती है। इस दिन साधक का मन ‘स्वाधिष्ठान ’चक्र में शिथिल होता है। इस चक्र में अवस्थित मनवाला योगी उनकी कृपा और भक्ति प्राप्त करता है। माँ दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा विधि • ज्योतिषाचार्य की माने तोदेवी ब्रह्मचारिणी जी की पूजा में सर्वप्रथम माता की फूल, अक्षत, रोली, चंदन, से पूजा करें तथा उन्हें दूध, दही, शर्करा, घृत, व मधु से स्नान करायें व देवी को प्रसाद अर्पित करें . प्रसाद के पश्चात आचमन और फिर पान, सुपारी भेंट कर इनकी प्रदक्षिणा करें . कलश देवता की पूजा के पश्चात इसी प्रकार नवग्रह, दशदिक्पाल, नगर देवता, ग्राम देवता, की पूजा करें . • देवी की पूजा करते समय सबसे पहले हाथों में एक फूल लेकर प्रार्थना करें- इधाना कदपद्माभ्याममक्षमालाक कमण्डलु देवी प्रसिदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्त्मा • इसके पश्चात् देवी को पंचामृत स्नान करायें और फिर भांति भांति से फूल, अक्षत, कुमकुम, सिन्दुर, अर्पित करें देवी को अरूहूल का फूल व कमल बेहद...

Gupt Navratri 2023 : गुप्त नवरात्रि पर करें इन 10 महाविद्या मंत्र का जाप, सभी मनोकामना होगी पूरी

नई दिल्ली : Gupt Navratri 2023 : सनातन धर्म में शक्ति की साधना के लिए नवरात्रि का पर्व बहुत ही शुभ माना गया है. मां दुर्गा की पूजा के लिए साल में चार नवरात्रि आती है. जिसमें दो नवरात्रि पर शक्ति की साधना की जाती है और दो नवरात्रि गुप्त तरीके से रखी जाती है. वहीं साल गुप्त नवरात्रि का महापर्व आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी कि दिनांक 19 जून से शुरु होने जा रहा है और इसका समापन दिनांक 28 जून को होगा. गुप्त नवरात्रि पर 10 महाविद्या की पूजा का विधान है. जिसे करने से व्यक्ति को रोग और शत्रु से मुक्ति मिल जाती है और घर में सुख-समृद्धि आती है. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में 10 महाविद्या मंत्र के बारे में बताएंगे, जिनका जाप करने से आपकी मनोकामना पूरी होगी और आपके सभी दुख दूर हो जाएंगे. ये भी पढ़ें - 1. गुप्त नवरात्रि के पहले दिन करें मां काली की पूजा और करें इस मंत्र का जाप गुप्त नवरात्रि के पहले दिन देवी दुर्गा के 10 स्वरूपों में से एक मां काली की पूजा करने का विधि-विधान है. ऐसे में गुप्त नवरात्रि के पहले दिन मां काली की पूजा उत्तर दिशा की ओर मुंह करके करें और माता की पूजा में इस मंत्र का जाप करें. ‘क्रीं ह्रीं काली ह्रीं क्रीं स्वाहा’ 2. गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन करें मां तारा की पूजा और करें इस मंत्र का जाप गुप्त नवरात्रि का दूसरा दिन मां तारा की पूजा के लिए समर्पित है, इनकी साधना करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है. इस दौरान इस मंत्र का जाप करें. ‘ॐ ह्रीं स्त्रीं हूं फट’ 3. गुप्त नवरात्रि का तीसरा दिन करें मां त्रिपुरसुंदरी की पूजा और करें इस मंत्र का जाप गुप्त नवरात्रि का तीसरा दिन मां त्रिपुरसुंदरी और मां शोडषी की पूजा के लिए समर्पित है, इनकी साध...

Navratri 2022: नवरात्रि का दूसरा दिन आज, जानें माता ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि और कथा

Navratri 2022: आज नवरात्र का दूसरा दिन है। आज भक्त मां दुर्गा के दूसरे दूसरे रूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना कर रहे हैं। ब्रह्म का मतलब होता है तपस्या और चारिणी मतलब होता है आचरण करना। इनकी पूजा नवरात्र के दूसरे दिन की जाती है। ब्रह्मचारिणी इस लोक के समस्त चर और अचर जगत की विद्याओं की ज्ञाता हैं। इनका स्वरूप श्वेत वस्त्र में लिप्टी हुई कन्या के रूप में है, जिनके एक हाथ में अष्टदल की माला और दूसरे हाथ में कमंडल है। यह अक्षयमाला और कमंडल धारिणी ब्रह्मचारिणी नामक दुर्गा शास्त्रों के ज्ञान और निगमागम तंत्र-मंत्र आदि से संयुक्त हैं। अभी पढ़ें – Aaj Ka Rashifal 27 September: नवरात्रि के दूसरे दिन इनपर रहेगी मां दूर्गा की कृपा, मेष से मीन तक यहां जानें सभी 12 राशियों का आज का राशिफल अपने भक्तों को यह अपनी सर्वज्ञ सम्पन्न विद्या देकर विजयी बनाती हैं। ब्रह्मचारिणी का स्वरूप बहुत ही सादा और भव्य है। अन्य देवियों की तुलना में वह अतिसौम्य, क्रोध रहित और तुरंत वरदान देने वाली देवी हैं। इन नवदुर्गाओं का वास्तविक व्यक्तित्व दुर्गा सप्तशती के देवी कवच में वर्णित है। ये सभी देवियां अपने भक्तों का उद्धार करती हैं। मान्यता के मुताबिक मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। यही वजह है कि उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। मां ब्रह्मचारिणी के दाएं हाथ में माला है और देवी ने बाएं हाथ में कमंडल धारण किया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो साधक विधि विधान से देवी के इस स्वरूप की पूजा अर्चना करता है, उसकी कुंडलिनी शक्ति जाग्रत हो जाती है। संन्यासियों के लिए देवी की पूजा विशेष रूप से फलदायी है। मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है। कठो...

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chaitra navratri 2023 2nd day maa brahmacharini puja vidhi aarti katha bhog mantra

Navratri 2nd day Maa Brahmacharini : नवरात्रि के दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी की होगी पूजा, नोट कर लें पूजन विधि, मंत्र, आरती, भोग और कथा 23 मार्च को नवरात्रि का दूसरा दिन है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्माचारिणी की पूजा- अर्चना की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी दुष्टों को सन्मार्ग दिखाने वाली हैं। 23 मार्च को नवरात्रि का दूसरा दिन है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्माचारिणी की पूजा- अर्चना की जाती है।मां ब्रह्मचारिणी दुष्टों को सन्मार्ग दिखाने वाली हैं। माता की भक्ति से व्यक्ति में तप की शक्ति, त्याग, सदाचार, संयम और वैराग्य जैसे गुणों में वृद्धि होती है।मां ब्रह्मचारिणी का पूजन करने से आलस्य, अंहकार, लोभ, असत्य, स्वार्थ व ईर्ष्या जैसी दुष्प्रवृत्तियां दूर हो जाती हैं। मां का स्मरण करने से एकाग्रता एवं स्थिरता आती है। साथ ही बुद्धि, विवेक व धैर्य में वृद्धि होती है। मां का स्वरूप अत्यंत तेजमय और भव्य है। नवरात्र के दूसरे दिन साधक का मन स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित होता है। मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया। इस कारण मां को ब्रह्मचारिणी एवं तपस्चारिणी कहा गया। पूजा- विधि • इस दिन सुबह उठकर जल्दीस्नान कर लें, फिर पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें। • घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। • मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें। • अब मां दुर्गा को अर्घ्य दें। • मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं। • धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें। • मां को भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का ...

Gupt Navratri 2023 : गुप्त नवरात्रि पर करें इन 10 महाविद्या मंत्र का जाप, सभी मनोकामना होगी पूरी

नई दिल्ली : Gupt Navratri 2023 : सनातन धर्म में शक्ति की साधना के लिए नवरात्रि का पर्व बहुत ही शुभ माना गया है. मां दुर्गा की पूजा के लिए साल में चार नवरात्रि आती है. जिसमें दो नवरात्रि पर शक्ति की साधना की जाती है और दो नवरात्रि गुप्त तरीके से रखी जाती है. वहीं साल गुप्त नवरात्रि का महापर्व आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी कि दिनांक 19 जून से शुरु होने जा रहा है और इसका समापन दिनांक 28 जून को होगा. गुप्त नवरात्रि पर 10 महाविद्या की पूजा का विधान है. जिसे करने से व्यक्ति को रोग और शत्रु से मुक्ति मिल जाती है और घर में सुख-समृद्धि आती है. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में 10 महाविद्या मंत्र के बारे में बताएंगे, जिनका जाप करने से आपकी मनोकामना पूरी होगी और आपके सभी दुख दूर हो जाएंगे. ये भी पढ़ें - 1. गुप्त नवरात्रि के पहले दिन करें मां काली की पूजा और करें इस मंत्र का जाप गुप्त नवरात्रि के पहले दिन देवी दुर्गा के 10 स्वरूपों में से एक मां काली की पूजा करने का विधि-विधान है. ऐसे में गुप्त नवरात्रि के पहले दिन मां काली की पूजा उत्तर दिशा की ओर मुंह करके करें और माता की पूजा में इस मंत्र का जाप करें. ‘क्रीं ह्रीं काली ह्रीं क्रीं स्वाहा’ 2. गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन करें मां तारा की पूजा और करें इस मंत्र का जाप गुप्त नवरात्रि का दूसरा दिन मां तारा की पूजा के लिए समर्पित है, इनकी साधना करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है. इस दौरान इस मंत्र का जाप करें. ‘ॐ ह्रीं स्त्रीं हूं फट’ 3. गुप्त नवरात्रि का तीसरा दिन करें मां त्रिपुरसुंदरी की पूजा और करें इस मंत्र का जाप गुप्त नवरात्रि का तीसरा दिन मां त्रिपुरसुंदरी और मां शोडषी की पूजा के लिए समर्पित है, इनकी साध...

Navratri 2022: नवरात्रि का दूसरा दिन आज, जानें माता ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि और कथा

Navratri 2022: आज नवरात्र का दूसरा दिन है। आज भक्त मां दुर्गा के दूसरे दूसरे रूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना कर रहे हैं। ब्रह्म का मतलब होता है तपस्या और चारिणी मतलब होता है आचरण करना। इनकी पूजा नवरात्र के दूसरे दिन की जाती है। ब्रह्मचारिणी इस लोक के समस्त चर और अचर जगत की विद्याओं की ज्ञाता हैं। इनका स्वरूप श्वेत वस्त्र में लिप्टी हुई कन्या के रूप में है, जिनके एक हाथ में अष्टदल की माला और दूसरे हाथ में कमंडल है। यह अक्षयमाला और कमंडल धारिणी ब्रह्मचारिणी नामक दुर्गा शास्त्रों के ज्ञान और निगमागम तंत्र-मंत्र आदि से संयुक्त हैं। अभी पढ़ें – Aaj Ka Rashifal 27 September: नवरात्रि के दूसरे दिन इनपर रहेगी मां दूर्गा की कृपा, मेष से मीन तक यहां जानें सभी 12 राशियों का आज का राशिफल अपने भक्तों को यह अपनी सर्वज्ञ सम्पन्न विद्या देकर विजयी बनाती हैं। ब्रह्मचारिणी का स्वरूप बहुत ही सादा और भव्य है। अन्य देवियों की तुलना में वह अतिसौम्य, क्रोध रहित और तुरंत वरदान देने वाली देवी हैं। इन नवदुर्गाओं का वास्तविक व्यक्तित्व दुर्गा सप्तशती के देवी कवच में वर्णित है। ये सभी देवियां अपने भक्तों का उद्धार करती हैं। मान्यता के मुताबिक मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। यही वजह है कि उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। मां ब्रह्मचारिणी के दाएं हाथ में माला है और देवी ने बाएं हाथ में कमंडल धारण किया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो साधक विधि विधान से देवी के इस स्वरूप की पूजा अर्चना करता है, उसकी कुंडलिनी शक्ति जाग्रत हो जाती है। संन्यासियों के लिए देवी की पूजा विशेष रूप से फलदायी है। मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है। कठो...