नागिन की नाटक

  1. सफेद नागिन : चीन की लोक
  2. इच्छाधारी नागिन...!
  3. इच्छाधारी नागिन...!
  4. सफेद नागिन : चीन की लोक


Download: नागिन की नाटक
Size: 42.47 MB

सफेद नागिन : चीन की लोक

पूर्वी चीन के हानचाओ शहर में स्थित पश्चिमी झील अपने असाधारण प्राकृतिक सौंदर्य से विश्वविख्यात है। देश विदेश के अनेक कवियों ने इस पर कविताएँ लिखी हैं और अनेक लोककथाओं में इसका वर्णन है। ऐसी ही लोक कथाओं में से एक है सफेद नागिन की कहानी। कहानी इस प्रकार है- एक सफेद नागिन ने हजार साल तक कड़ी तपस्या कर अंत में मानव का रूप धारण किया, वह एक सुन्दर व शीलवती युवती में परिणत हुई, नाम हुआ पाईल्यांगची। एक नीली नागिन ने पाँच सौ साल तपस्या की और एक छोटी लड़की के रूप में बदल गयी, नाम पड़ा श्योछिंग। पाईल्यांगची और श्योछिंग दोनों सखी के रूप में पश्चिमी झील की सैर पर आईं, जब दोनों टुटे पुल के पास पहुँचीं तो श्योछिंग ने अलोकिक शक्ति से वर्षा बुलाई, वर्षा में श्युस्यान नाम का एक सुन्दर युवा छाता उठाए झील के किनारे पर आया। वर्षा के समय पाईल्यांगची और श्योछिंग के पास छाता नहीं था, वे काफी बुरी तरह पानी से भीग रही थीं, उन की मदद के लिए श्युस्यान ने अपना छाता उन दोनों को थमा दिया, स्वयं पानी में भीगता खड़ा रहा। ऐसे सदचरित्र वाला युवा पाईल्यांगची को बहुत पसंद आया और श्युस्यान को भी सुंदर युवती पाईल्यांगची के प्रति प्रेम का अनुभव हुआ। श्योछिंग की मदद से दोनों की शादी हुई और उन्होंने झील के किनारे दवा की एक दुकान खोली। श्युस्यान बीमारियों की चिकित्सा जानता था, दोनों पती पत्नी निस्वार्थ रूप से मरीजों का इलाज करते थे और स्थानीय लोगों में वे बहुत लोकप्रिय हो गए। शहर के पास स्थित चिनशान मठ के धर्माचार्य फाहाई को पाईल्यांगची के पिछले जन्मों का रहस्य मालूम था। उसने गुप्त रूप से श्य़ुस्यान को उसकी पत्नी का रहस्य बताया कि पिछले जन्मों में सफेद नाग थी। उसने श्युस्यान को यह भी बताया कि वह पाईल्यांगची का असली ...

इच्छाधारी नागिन...!

- वेबदुनिया डेस् क आज तक आपने इच्छाधारी नागिन या नागकन्या का रूप फिल्मों में ही देखा होगा, परंतु आज हम आपको ऐसी इच्छाधारी नागिन से रूबरू कराने जा रहे हैं, जो अपने नाग पति को पाने के लिए इस मृत्युलोक में साधना कर रही है। स्वयं नागकन्या होने का दावा करने वाली माया का कहना है कि वह हर 24 घंटे में हवन के दौरान नागिन का रूप धारण कर अपनी तीन बहनों से मिलने जाती है जो उसे अपने नाग पति को पाने के लिए किस तरह साधना की जाए, यह निर्देश देती हैं। माया के मुताबिक ये तीनों बहनें भी इच्छाधारी नागिनें हैं। WD खुद को बचपन से शादीशुदा समझने वाली माया नाग के नाम का सिंदूर भरती है और उसे पूरा विश्वास है कि जल्द ही उसके पति के साथ उसका मिलन होगा। माया कहती है कि फिलहाल उसका पति इस मृत्युलोक में उसके परिवार के मोह में फँसा हुआ है और उससे सारी शक्तियाँ छीनी जा चुकी हैं। अपने पूर्व जन्म की कहानी सुनाते हुए वह कहती है कि द्वापर युग के दौरान वह एक खाई में गिर गई थी तब किसी बाबा ने गोपाल नामक नाग को उसकी मदद के ‍लिए भेजा था, तभी से उन दोनों में प्रेम हो गया था। परंतु शादी न हो पाने की वजह से उसने आत्महत्या कर ली थी। ...और तब से आज तक अपने साथी को पाने के लिए भटक रही है। नागलोक और मृत्युलोक की अजीबो-गरीब कहानियाँ सुनाने वाली यह इच्छाधारी नागिन माया मध्यप्रदेश के बड़नगर स्थित एक आश्रम में निवास करती है। इन कहानियों से प्रभावित वहाँ के निवासी इनकी महामाया माँ भगवती के रूप में आराधना करते हैं। लोगों द्वारा माया की पूजा करना आस्था का प्रतीक है या उसका इच्छाधारी नागिन होने के अंधविश्वास का प्रभाव है? आज के इस वैज्ञानिक युग में यह घटना कितनी प्रासंगिक है, अपनी राय से हमें जरूर अवगत कराएँ।

इच्छाधारी नागिन...!

- वेबदुनिया डेस् क आज तक आपने इच्छाधारी नागिन या नागकन्या का रूप फिल्मों में ही देखा होगा, परंतु आज हम आपको ऐसी इच्छाधारी नागिन से रूबरू कराने जा रहे हैं, जो अपने नाग पति को पाने के लिए इस मृत्युलोक में साधना कर रही है। स्वयं नागकन्या होने का दावा करने वाली माया का कहना है कि वह हर 24 घंटे में हवन के दौरान नागिन का रूप धारण कर अपनी तीन बहनों से मिलने जाती है जो उसे अपने नाग पति को पाने के लिए किस तरह साधना की जाए, यह निर्देश देती हैं। माया के मुताबिक ये तीनों बहनें भी इच्छाधारी नागिनें हैं। WD खुद को बचपन से शादीशुदा समझने वाली माया नाग के नाम का सिंदूर भरती है और उसे पूरा विश्वास है कि जल्द ही उसके पति के साथ उसका मिलन होगा। माया कहती है कि फिलहाल उसका पति इस मृत्युलोक में उसके परिवार के मोह में फँसा हुआ है और उससे सारी शक्तियाँ छीनी जा चुकी हैं। अपने पूर्व जन्म की कहानी सुनाते हुए वह कहती है कि द्वापर युग के दौरान वह एक खाई में गिर गई थी तब किसी बाबा ने गोपाल नामक नाग को उसकी मदद के ‍लिए भेजा था, तभी से उन दोनों में प्रेम हो गया था। परंतु शादी न हो पाने की वजह से उसने आत्महत्या कर ली थी। ...और तब से आज तक अपने साथी को पाने के लिए भटक रही है। नागलोक और मृत्युलोक की अजीबो-गरीब कहानियाँ सुनाने वाली यह इच्छाधारी नागिन माया मध्यप्रदेश के बड़नगर स्थित एक आश्रम में निवास करती है। इन कहानियों से प्रभावित वहाँ के निवासी इनकी महामाया माँ भगवती के रूप में आराधना करते हैं। लोगों द्वारा माया की पूजा करना आस्था का प्रतीक है या उसका इच्छाधारी नागिन होने के अंधविश्वास का प्रभाव है? आज के इस वैज्ञानिक युग में यह घटना कितनी प्रासंगिक है, अपनी राय से हमें जरूर अवगत कराएँ।

सफेद नागिन : चीन की लोक

पूर्वी चीन के हानचाओ शहर में स्थित पश्चिमी झील अपने असाधारण प्राकृतिक सौंदर्य से विश्वविख्यात है। देश विदेश के अनेक कवियों ने इस पर कविताएँ लिखी हैं और अनेक लोककथाओं में इसका वर्णन है। ऐसी ही लोक कथाओं में से एक है सफेद नागिन की कहानी। कहानी इस प्रकार है- एक सफेद नागिन ने हजार साल तक कड़ी तपस्या कर अंत में मानव का रूप धारण किया, वह एक सुन्दर व शीलवती युवती में परिणत हुई, नाम हुआ पाईल्यांगची। एक नीली नागिन ने पाँच सौ साल तपस्या की और एक छोटी लड़की के रूप में बदल गयी, नाम पड़ा श्योछिंग। पाईल्यांगची और श्योछिंग दोनों सखी के रूप में पश्चिमी झील की सैर पर आईं, जब दोनों टुटे पुल के पास पहुँचीं तो श्योछिंग ने अलोकिक शक्ति से वर्षा बुलाई, वर्षा में श्युस्यान नाम का एक सुन्दर युवा छाता उठाए झील के किनारे पर आया। वर्षा के समय पाईल्यांगची और श्योछिंग के पास छाता नहीं था, वे काफी बुरी तरह पानी से भीग रही थीं, उन की मदद के लिए श्युस्यान ने अपना छाता उन दोनों को थमा दिया, स्वयं पानी में भीगता खड़ा रहा। ऐसे सदचरित्र वाला युवा पाईल्यांगची को बहुत पसंद आया और श्युस्यान को भी सुंदर युवती पाईल्यांगची के प्रति प्रेम का अनुभव हुआ। श्योछिंग की मदद से दोनों की शादी हुई और उन्होंने झील के किनारे दवा की एक दुकान खोली। श्युस्यान बीमारियों की चिकित्सा जानता था, दोनों पती पत्नी निस्वार्थ रूप से मरीजों का इलाज करते थे और स्थानीय लोगों में वे बहुत लोकप्रिय हो गए। शहर के पास स्थित चिनशान मठ के धर्माचार्य फाहाई को पाईल्यांगची के पिछले जन्मों का रहस्य मालूम था। उसने गुप्त रूप से श्य़ुस्यान को उसकी पत्नी का रहस्य बताया कि पिछले जन्मों में सफेद नाग थी। उसने श्युस्यान को यह भी बताया कि वह पाईल्यांगची का असली ...