माता सावित्रीबाई फुले फोटो

  1. Savitribai Phule's birth anniversary: All about India's first female teacher
  2. 132nd death anniversary of Savitribai Phuleji celebrated
  3. Savitribai Phule Birth Anniversary: यूं ही नहीं देश की पहली महिला शिक्षक बन गई सावित्रीबाई फुले, बेमिसाल है इनकी कहानी
  4. Mata Savitribai Phule 39 s birth anniversary celebrated with pomp
  5. जिजाऊ ते सावित्री
  6. 132nd death anniversary of Savitribai Phuleji celebrated
  7. Mata Savitribai Phule 39 s birth anniversary celebrated with pomp
  8. Savitribai Phule's birth anniversary: All about India's first female teacher
  9. जिजाऊ ते सावित्री
  10. Savitribai Phule Birth Anniversary: यूं ही नहीं देश की पहली महिला शिक्षक बन गई सावित्रीबाई फुले, बेमिसाल है इनकी कहानी


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Savitribai Phule's birth anniversary: All about India's first female teacher

January 3 marks the birth anniversary of a social reformer and feminist icon Savitribai Phule. Phule was born on January 3, 1831 in Maharashtra, and is remembered for her vital role in championing women rights in India. Hailed as one of India’s first modern feminists, Savitribai Phule was born on January 3, 1831 in Maharashtra’s Satara district.(Biswajit Debnath/HT Photo) Savitribai, together with her husband Jyotirao Phule, founded one of India's first girls' schools in Pune, at Bhide Wada, in 1848. Apart from that, Savitribai Phule also broke the shackles of patriarchy by becoming the first Indian woman to become a teacher at a time when girls were not allowed to attend schools. She is also regarded as the first female teacher of India. As India celebrates Savitribai Phule's birth anniversary, here are a few facts about her: Phule was married off to Jyotiba at the age of nine. She was illiterate at the time, but her husband taught her to read and write at their home. After completing her education, she enrolled herself in two teacher's training programs, one in Ahmedabad and another in Pune, according to reports. Following her training, she became India's first female teacher as well as the first Indian headmistress. Savitribai Phule later established three schools for girls in Pune by the end of 1851, with her husband. Phule later opened a women's shelter called the Home for the Prevention of Infanticide where widows could deliver their children and leave them for adopt...

132nd death anniversary of Savitribai Phuleji celebrated

पहली शिक्षिका एवं महान समाज सुधारक माता सावित्रीबाई फुले की 132वीं पुण्यतिथि मनाई गई। ज्योती सावित्रीबाई फुल विकास समिति के तत्वावधान में देश की पहली शिक्षिका एवं महान समाज सुधारक माता सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि मनाई गई। इस मौके पर समिति के कैंप कार्यालय मोहल्ला जोगीयान कॉलेज रोड पर आयोजित कार्यक्रम में समिति पदाधिकारियों ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान वक्ताओं ने उनके जीवन परिचय पर प्रकाश डालते हुए विचार रखे। बैठक में समिति अध्यक्ष अजब सिंह सैनी, सचिव राधेश्याम सैनी, संयोजक सुमेर चंद सैनी, ओमप्रकाश गौतम, आर्य सैनी, विनोद सैनी, मास्टर रमेश चंद सैनी, संजय सैनी, सुनील कुमार आदि मौजूद रहे।

Savitribai Phule Birth Anniversary: यूं ही नहीं देश की पहली महिला शिक्षक बन गई सावित्रीबाई फुले, बेमिसाल है इनकी कहानी

• • Special Hindi • Savitribai Phule Birth Anniversary: यूं ही नहीं देश की पहली महिला शिक्षक बन गई सावित्रीबाई फुले, बेमिसाल है इनकी कहानी Savitribai Phule Birth Anniversary: यूं ही नहीं देश की पहली महिला शिक्षक बन गई सावित्रीबाई फुले, बेमिसाल है इनकी कहानी सावित्रीबाई फुले (Savitribai Phule Story) को समाज फैली कुरीतियों जैसे सतीप्रथा, छुआछूत और विधवा विवाह जैसी बुराईयों के खिलाफ आवाज उठाने व इसे खत्म करने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा. ऐसे में जब आज सावित्रीबाई फुले का जन्मदिवस है. ऐसे में हम आपको आज उनके ही बारे में काफी कुछ बताने वाले हैं. भारत की पहली महिला टीचर की कहानी Savitribai Phule Story: 3 जनवरी 1831 यानी आज ही के दिन देश की पहली महिला शिक्ष सावित्रीबाई (Savitribai Phule) फुल का जन्म हुआ था. महाराष्ट्र के एक दलित परिवार में जन्मी सावित्रीबाई फुले के पिता का नाम खण्डोसी नेवसे और माता का नाम लक्ष्मीबाई है. सावित्रीबाई फुले (Savitribai Phule Story) को समाज फैली कुरीतियों जैसे सतीप्रथा, छुआछूत और विधवा विवाह जैसी बुराईयों के खिलाफ आवाज उठाने व इसे खत्म करने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा. ऐसे में जब आज सावित्रीबाई फुले का जन्मदिवस है. ऐसे में हम आपको आज उनके ही बारे में काफी कुछ बताने वाले हैं. Also Read: • • • एक वाक्ये ने बदली जिंदगी सावित्रीबाई फुले का विवाह मात्र 9 साल की उम्र में ज्योतिराव फुले से हो गया था. जब सावित्रीबाई की शादी हुई इस दौरान वे अनपढ़ थीं. वहीं उनके पति मात्र तीसरी कक्षा तक ही पढ़े थे. पढ़ाई का जो ख्वाब सावित्रीबाई ने देखा था उन्होंने शादी के बाद उसपर रोक नहीं लगने दी. एक दिन जब वो कमरे में अंग्रेजी किताब के पन्ने पलट रही थीं, इस दौरान उनेके पिता...

Mata Savitribai Phule 39 s birth anniversary celebrated with pomp

भागीरथ सेना संगठन के तत्वाधान में थानाभवन में माता सावित्रीबाई फुले की जयंती दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें आसपास के क्षेत्र से अनेक लोग शामिल हुए। वक्ताओं ने लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि समाज में सबसे पहले शिक्षा को महत्व देना चाहिए और शिक्षा को आगे बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज के कुछ युवा भटक कर नशे की ओर जा रहे हैं हमें चाहिए कि हम युवा पीढ़ी को नशे से दूर हटा कर शिक्षा की ओर ले जाएं। कार्यक्रम का संचालन महेश कुमार सैनी एवं पवन कुमार सैनी ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम में राजकुमार सैनी बसपा प्रभारी, मुकेश सैनी रालोद जिलाध्यक्ष, राकेश सैनी, सत्य सैनी, अतर सिंह सैनी आदि मौजूद रहे। इसके अलावा कांधला के मोहल्ला खैल स्थित माता सावित्रीबाई फुले धर्मशाला में सावित्री बाई फुले की जयंती धूमधाम से मनाई गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भाजपा नेता प्रमोद सैनी अट्टा व नरेश सैनी ने जयंती पर सावित्री बाई फुले के चित्र के समीप दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभांरभ किया। इस मौके डॉक्टर विक्रम सैनी, सुभाष सैनी, नरेश सैनी, घनश्याम सैनी, डॉ रामकुमार सैनी, दीपक सैनी, विनोद सैनी आदि मौजूद रहे।

जिजाऊ ते सावित्री

जिजाऊ ते सावित्री- सन्मान महाराष्ट्राच्या लेकींचा" अभियान बालिका दिन - प्रश्नमंजुषा प्रमाणपत्र डाऊनलोड करा. भारताच्या इतिहासावर ज्यांची अमीट छाप आहे अशी दोन महत्त्वाची स्त्रीरत्ने म्हणजे राजमाता जिजाऊ आणि क्रांतिज्योती सावित्रीबाई फुले. छत्रपती शिवाजी महाराज यांना घडविण्यात आणि त्यातून स्वराज्य निर्मिती करून समस्त जनतेत स्वाभिमान, आत्मसन्मान, शौर्य यांचे प्राण फुंकण्यात ज्यांचा बहुमोल वाटा आहे त्या म्हणजे राजमाता जिजाऊ होत. जिजाऊंचे एकूणच व्यक्तिमत्त्व एक 'माता' म्हणून जितके प्रभावशाली होते तितकेच ते एक समर्थ, स्वावलंबी, स्वाभिमानी, आत्मविश्वासाने परिपूर्ण,अचूक राजकीय निर्णयक्षमता, सामाजिक भान, महिलाविषयक तळमळ आणि उत्तम प्रशासकीय जाण असलेली अष्टपैलू“स्त्री' म्हणून देखील प्रभावशाली होते. जिजाऊंच्या या समग्र गुणांचे अनुकरण जर आजच्या मुलींनी केले तर नक्कीच स्त्रीसबलीकरणाचा एक आदर्श समाजात निर्माण होईल. भारतीय स्त्रीने आज जी शैक्षणिक झेप घेतली आहे, तिला पंख देण्याचे श्रेय क्रांतिज्योती सावित्रीबाई फुले यांना जाते. अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितीत आणि कर्मठ समाजव्यवस्थेत स्त्रीशिक्षणाचा प्रारंभ करण्याचे आणि त्यासाठी समाजकंटकांच्या जाचाला धीराने सामोरे जाण्याचे धाडस त्यांनी दाखविले म्हणूनच आजची स्त्री ज्ञान तेजाने तळपत आहे. जिजाऊ आणि सावित्री या महान स्रियांच्या कर्तृत्वाचा व व्यक्तिमत्त्वाचा आदर्श घेऊन आजच्या मुलींनी आपल्या जीवनाची वाटचाल केल्यास सक्षम, स्वावलंबी आणि धाडसी समाज निर्माण होण्यास नक्कीच मदत होईल. त्यामुळे अगदी शालेय स्तरापासून विद्यार्थिनींना राजमाता जिजाऊ आणि क्रांतिज्योती सावित्रीबाई फुले यांच्या विचारांची आणि कार्याची समग्र ओळख होणे आवश्‍यक आहे. हा केवळ विचार नाही तर...

132nd death anniversary of Savitribai Phuleji celebrated

पहली शिक्षिका एवं महान समाज सुधारक माता सावित्रीबाई फुले की 132वीं पुण्यतिथि मनाई गई। ज्योती सावित्रीबाई फुल विकास समिति के तत्वावधान में देश की पहली शिक्षिका एवं महान समाज सुधारक माता सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि मनाई गई। इस मौके पर समिति के कैंप कार्यालय मोहल्ला जोगीयान कॉलेज रोड पर आयोजित कार्यक्रम में समिति पदाधिकारियों ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान वक्ताओं ने उनके जीवन परिचय पर प्रकाश डालते हुए विचार रखे। बैठक में समिति अध्यक्ष अजब सिंह सैनी, सचिव राधेश्याम सैनी, संयोजक सुमेर चंद सैनी, ओमप्रकाश गौतम, आर्य सैनी, विनोद सैनी, मास्टर रमेश चंद सैनी, संजय सैनी, सुनील कुमार आदि मौजूद रहे।

Mata Savitribai Phule 39 s birth anniversary celebrated with pomp

भागीरथ सेना संगठन के तत्वाधान में थानाभवन में माता सावित्रीबाई फुले की जयंती दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें आसपास के क्षेत्र से अनेक लोग शामिल हुए। वक्ताओं ने लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि समाज में सबसे पहले शिक्षा को महत्व देना चाहिए और शिक्षा को आगे बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज के कुछ युवा भटक कर नशे की ओर जा रहे हैं हमें चाहिए कि हम युवा पीढ़ी को नशे से दूर हटा कर शिक्षा की ओर ले जाएं। कार्यक्रम का संचालन महेश कुमार सैनी एवं पवन कुमार सैनी ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम में राजकुमार सैनी बसपा प्रभारी, मुकेश सैनी रालोद जिलाध्यक्ष, राकेश सैनी, सत्य सैनी, अतर सिंह सैनी आदि मौजूद रहे। इसके अलावा कांधला के मोहल्ला खैल स्थित माता सावित्रीबाई फुले धर्मशाला में सावित्री बाई फुले की जयंती धूमधाम से मनाई गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भाजपा नेता प्रमोद सैनी अट्टा व नरेश सैनी ने जयंती पर सावित्री बाई फुले के चित्र के समीप दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभांरभ किया। इस मौके डॉक्टर विक्रम सैनी, सुभाष सैनी, नरेश सैनी, घनश्याम सैनी, डॉ रामकुमार सैनी, दीपक सैनी, विनोद सैनी आदि मौजूद रहे।

Savitribai Phule's birth anniversary: All about India's first female teacher

January 3 marks the birth anniversary of a social reformer and feminist icon Savitribai Phule. Phule was born on January 3, 1831 in Maharashtra, and is remembered for her vital role in championing women rights in India. Hailed as one of India’s first modern feminists, Savitribai Phule was born on January 3, 1831 in Maharashtra’s Satara district.(Biswajit Debnath/HT Photo) Savitribai, together with her husband Jyotirao Phule, founded one of India's first girls' schools in Pune, at Bhide Wada, in 1848. Apart from that, Savitribai Phule also broke the shackles of patriarchy by becoming the first Indian woman to become a teacher at a time when girls were not allowed to attend schools. She is also regarded as the first female teacher of India. As India celebrates Savitribai Phule's birth anniversary, here are a few facts about her: Phule was married off to Jyotiba at the age of nine. She was illiterate at the time, but her husband taught her to read and write at their home. After completing her education, she enrolled herself in two teacher's training programs, one in Ahmedabad and another in Pune, according to reports. Following her training, she became India's first female teacher as well as the first Indian headmistress. Savitribai Phule later established three schools for girls in Pune by the end of 1851, with her husband. Phule later opened a women's shelter called the Home for the Prevention of Infanticide where widows could deliver their children and leave them for adopt...

जिजाऊ ते सावित्री

जिजाऊ ते सावित्री- सन्मान महाराष्ट्राच्या लेकींचा" अभियान बालिका दिन - प्रश्नमंजुषा प्रमाणपत्र डाऊनलोड करा. भारताच्या इतिहासावर ज्यांची अमीट छाप आहे अशी दोन महत्त्वाची स्त्रीरत्ने म्हणजे राजमाता जिजाऊ आणि क्रांतिज्योती सावित्रीबाई फुले. छत्रपती शिवाजी महाराज यांना घडविण्यात आणि त्यातून स्वराज्य निर्मिती करून समस्त जनतेत स्वाभिमान, आत्मसन्मान, शौर्य यांचे प्राण फुंकण्यात ज्यांचा बहुमोल वाटा आहे त्या म्हणजे राजमाता जिजाऊ होत. जिजाऊंचे एकूणच व्यक्तिमत्त्व एक 'माता' म्हणून जितके प्रभावशाली होते तितकेच ते एक समर्थ, स्वावलंबी, स्वाभिमानी, आत्मविश्वासाने परिपूर्ण,अचूक राजकीय निर्णयक्षमता, सामाजिक भान, महिलाविषयक तळमळ आणि उत्तम प्रशासकीय जाण असलेली अष्टपैलू“स्त्री' म्हणून देखील प्रभावशाली होते. जिजाऊंच्या या समग्र गुणांचे अनुकरण जर आजच्या मुलींनी केले तर नक्कीच स्त्रीसबलीकरणाचा एक आदर्श समाजात निर्माण होईल. भारतीय स्त्रीने आज जी शैक्षणिक झेप घेतली आहे, तिला पंख देण्याचे श्रेय क्रांतिज्योती सावित्रीबाई फुले यांना जाते. अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितीत आणि कर्मठ समाजव्यवस्थेत स्त्रीशिक्षणाचा प्रारंभ करण्याचे आणि त्यासाठी समाजकंटकांच्या जाचाला धीराने सामोरे जाण्याचे धाडस त्यांनी दाखविले म्हणूनच आजची स्त्री ज्ञान तेजाने तळपत आहे. जिजाऊ आणि सावित्री या महान स्रियांच्या कर्तृत्वाचा व व्यक्तिमत्त्वाचा आदर्श घेऊन आजच्या मुलींनी आपल्या जीवनाची वाटचाल केल्यास सक्षम, स्वावलंबी आणि धाडसी समाज निर्माण होण्यास नक्कीच मदत होईल. त्यामुळे अगदी शालेय स्तरापासून विद्यार्थिनींना राजमाता जिजाऊ आणि क्रांतिज्योती सावित्रीबाई फुले यांच्या विचारांची आणि कार्याची समग्र ओळख होणे आवश्‍यक आहे. हा केवळ विचार नाही तर...

Savitribai Phule Birth Anniversary: यूं ही नहीं देश की पहली महिला शिक्षक बन गई सावित्रीबाई फुले, बेमिसाल है इनकी कहानी

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