Lodi vansh

  1. Lodi Vansh in Hindi । लोदी वंश नोट्स
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Lodi Vansh in Hindi । लोदी वंश नोट्स

यहाँ हमने लोदी वंश नोट्स हिन्दी (Lodi Vansh Notes in Hindi) मे दिये है। लोदी वंश नोट्स (Lodi Vansh in Hindi) आपको अध्याय को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेंगे और आपकी परीक्षा की तैयारी में सहायक होंगे। Lodi Vansh in Hindi । लोदी वंश नोट्स लोदी वंश (1451-1556 ई.) • यह दिल्ली सल्तनत का अंतिम राजवंश था। • इसका संस्थापक बहलोल लोदी था जो आलामशाह के स्वेक्षा से गद्दी त्याग देने के बाद एक गाजी के नाम पर दिल्ली के सिंहासन पर बैठा। • ये अफगानों की एक शाखा शाहुखेल से सम्बंधित था इसलिए इसने दिल्ली सल्तनत के दरवाजे अफगानों के लिए खोल दिए • इसने जौनपुर को दिल्ली सल्तनत में मिला लिया। • इसने बहलोली सिक्के चलवाये थे जो अकबर के पहले तक उत्तरी भारत में विनिमय का मुख्य साधन बना रहा। • बहलोल एक अत्यंत ही साधारण व्यक्ति था जो राजसभा में अपने सिंहासन पर भी नहीं बैठता था। सिकन्दर लोदी: • बहलोल का उत्तराधिकारी सिकंदर शाह हुआ जो लोदी वंश का सर्वश्रेष्ठ शासक हुआ। • 1504 ई. में सिकंदर लोदी ने राजस्थान के शासकों पर अपने अधिकार को सुरक्षित रखने तथा व्यापारिक मार्ग पर नियंत्रण के लिए आगरा नगर की स्थापना की तथा एक किले की स्थापना की जिसे बादलगढ़ का किला कहा जाता है। • 1506ई. में आगरा सिकन्दर लोदी की राजधानी बनी। • शासन को सुचारू रूप से चलाने के लिए उसने गुप्तचर विभाग को सुदृढ़ किया था। • इसने खाद्यों पर कर को हटा दिया और व्यापार मार्ग पर प्रतिबंध को हटा दिया जिसके कारण लोगों की आर्थिक समृद्धि में वृद्धि हुई। • इसने नाप के लिए एक पैमाना “गज-ए-सिकंदरी” का निर्माण करवाया जो प्रायः 30 इंच का होता है। • उसने मुहर्रम और तजिये निकालना बंद करवा दिया और मस्जिदों को सरकारी संस्थाओं का रूप प्रदान करके उसे शिक्षा क...

लोदी वंश Lodi Vansh

Lodi Vansh लोदी वंश सैयद वंश का अंत कर बहलोल लोदी ने 1451 ई. में लोदी वंश की दिल्ली सल्तनत में स्थापना की थी। यह वंश 1526 ई. तक सत्ता में रहा और सफलतापूर्वक शासन किया। यह राजवंश दिल्ली सल्तनत का अंतिम सत्तारूढ़ परिवार था, जो अफगान मूल से था। लोदी वंश के शासक • बहलोल लोदी (1451 – 1489 ई.) • सिकंदर लोदी (1489 – 1517 ई.) • इब्राहिम लोदी (1517 – 1526 ई.) बहलोल लोदी Bahlul Lodi (1451 – 1489 ई.) बहलोल लोदी ने 1451 ई. में लोदी राजवंश की स्थापना की और 1489 ई. तक दिल्ली सल्तनत पर शासन किया। सैयद वंश के अंतिम शासक आलम शाह ने बहलोल लोदी के पक्ष में दिल्ली सल्तनत के सिंहासन पर स्वेच्छा से त्याग दिया था। बहलोल लोदी अफगान मूल का था। वह एक पश्तून परिवार में पैदा हुआ था। बहलोल लोदी, सय्यद वंश के मुहम्मद शाह के शासनकाल के दौरान, सरहिंद का राज्यपाल था, जो वर्तमान पंजाब के फतेहगढ़ साहिब में स्थित है। बहलोल लोदी ने दिल्ली सल्तनत में बैठने के बाद “बहलोल शाह्गाजी” की उपाधि ली। उसने सरहिन्द के एक हिंदू सुनार की बेटी से शादी की। बहलोल लोदी की 1489 ई. में मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के बाद, उसका पुत्र सिकन्दर लोदी दिल्ली सल्तनत के सिंहासन पर बैठा। सिकंदर लोदी Sikandar Lodi (1489 – 1517 ई.) 1489 ई. में बहलोल लोदी के मृत्यु के बाद सिकंदर लोदी दिल्ली सल्तनत का उत्तराधिकारी हो गए और लोदी राजवंश के दूसरे शासक बना। उसके बचपन का नाम निजाम खान था, लेकिन सत्ता सम्भालने के बाद उसने अपना नाम “सुल्तान सिकन्दर शाह” रख दिया जो बाद में सिकन्दर लोदी के नाम से प्रसिद्ध हुआ। उन्होंने 1489 ई. से 1517 ई. तक दिल्ली सल्तनत पर शासन किया। सिकंदर लोदी, बहलोल लोदी का दूसरा पुत्र था और बारबक शाह, बहलोल लोदी का सबसे बड़ा पुत्र ...

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अनुक्रम (Contents) • • • • • • • • • • लोदी वंश हस्तलिखित Notes PDF हिन्दी में Hello दोस्तों, आज हम आपको लोगों के लिए लोदी वंश हस्तलिखित Notes PDF हिन्दी में फाइल लेकर आए है,आप नीचे की link के माध्यम से सरलतक रूम से अपने मोबाइल या PC में सेव कर सकते हैं,तो आप इतना क्या सोच रहे है |link पर क्लिक कीजिये और पलभर में अपने मोबाइल में सेव कीजिये और अपनी तैयारी को बेहतर बनाइये | दिल्ली सल्तनत का प्रथम अफगान शासक लोदी वंश थे तथा ये दिल्ली सल्तनत के आखिरी शासक थे | इनके कबीले मुल्तान और पेशावर के बीच और पश्चिम में गजनी के सुलेमान पर्वत क्षेत्र तक फैले हुए थे | सर्वप्रथम मुह्ममद तुलगक के शासन काल में एक अफगान को दौलताबाद का सूबेदार बनाया गया, तत्पश्चात इनकी राजनैतिक शक्ति क्रमशः बढ़ते गई और दौलतखान पहला अफगान शासक था जिसने दिल्ली की गद्दी हासिल की | बहलोल लोदी (1451-1489):- बहलोल लोदी, मालिक काला का पुत्र था जो पहले पंजाब का सूबेदार था | इन्होंने प्रथम अफगान शाह के रूप में 19 अप्रैल 1451 को अबू मुज्ज़फर बहलोल शाह के नाम से दिल्ली की गद्द्दी पर बैठा | 1451 ई0 में जब सैयद वंश के नाम से दिल्ली की गद्द्दी पर बैठा | 1451 ई0 जब सैयद वंश के अलाउदीन अलमशाह ने दिल्ली की तख़्त छोड़ा तो इन्होंने अपने वजीर हामिद खान की मदद से दिल्ली की तख़्त पर कब्ज़ा कर लिया | और इस प्रकार दिल्ली सल्तनत पर लोदी वंश के शासन की शुरुआत हुई | बहलोल लोदी शूरवीर, युद्प्रिय और मत्वकांक्षी व्यक्ति था | इन्होंने अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए अफगानों को भारत आमंत्रित किया | जिससे उत्तर और दक्षिण दोनों ओर अफगान बहुसंख्यक और महत्वपूर्ण हो गए | इन्होंने अपने शासन काल में राज्य को पूर्वी और पश्चिमी पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान त...