लक्ष्मी जी का ध्यान मंत्र

  1. Chanakya Niti Motivational Laxmi Ji Never Disappoints Those Who Take Care Of These Things
  2. लक्ष्मी जी की आरती: जानिए पूरी विधि, कब और कैसे करें
  3. लक्ष्मी
  4. धन तथा समृद्धि के लिए प्रभावशाली लक्ष्मी मंत्र तथा महालक्ष्मी मंत्र
  5. Maa Laxmi Mantra: मां लक्ष्‍मी को प्रसन्न करने के लिए इन मंत्रों का करें जाप, आर्थिक परेशानी होगी दूर


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Chanakya Niti Motivational Laxmi Ji Never Disappoints Those Who Take Care Of These Things

Chanakya Niti in Hindi, Chanakya Niti Quotes in Hindi :चाणक्य नीति के अनुसान धन की देवी लक्ष्मी जी हैं. लक्ष्मी जी को वैभव और सुख समृद्धि का भी प्रतीक माना गया है. कलियुग में लक्ष्मी जी का आशीर्वाद सभी दुखों का नाश करने वाला माना गया है. यही कारण है हर व्यक्ति लक्ष्मी जी की कृपा पाना चाहता है, लेकिन लक्ष्मी जी की कृपा उन्हीं लोगों को प्राप्त होती है, जो इन बातों को कभी नहीं भूलते हैं- समर्पण- चाणक्य नीति के अनुसार जो व्यक्ति अपने जिम्मेदारियों के प्रति समर्पित रहता है. समर्पण की भावना से अपने प्रत्येक कार्यों को करता है, उस पर लक्ष्मी जी की कृपा सदैव बनी रहती है. अनुशासन- चाणक्य नीति के अनुसार अनुशासन की भावना व्यक्ति को सफल बनाती है. अनुशासन की भावना व्यक्ति को समय की अहमियत बताती है. जीवन में समय की कीमत जो पहचानता है, उसे जीवन में सफलता अवश्य मिलती है. अनुशासन से प्रत्येक कार्य को बेहतर ढंग से करने की प्रेरणा मिलती है. धन का व्यय- चाणक्य नीति के अनुसार व्यक्ति को धन का व्यय बहुत सोच समझ कर करना चाहिए. जो लोग आय से अधिक धन का व्यय करते हैं, वे सदैव धन की कमी से परेशान रहते हैं. लक्ष्मी जी की कृपा ऐसे लोगों को प्राप्त नहीं होती है. धन की बचत और रक्षा करनी चाहिए.धन का प्रयोग कभी गलत कार्यों पर नहीं करना चाहिए. इससे लक्ष्मी जी नाराज होती हैं. स्वच्छता- चाणक्य नीति के अनुसार जो लोग स्वच्छता के नियमों का पालन करते हैं वे निरोग रहते हैं. जीवन में सफल होने के लिए व्यक्ति का स्वस्थ्य रहना आवश्यक है. स्वस्थ्य रहने के लिए स्वच्छता अवश्यक है. शास्त्रों में भी बताया गया है कि लक्ष्मी जी उस स्थान को कभी नहीं छोड़ती हैं जहां स्वच्छता का ध्यान रखा जाता है. यह भी पढे़: Astrology : पढ़ाई...

लक्ष्मी जी की आरती: जानिए पूरी विधि, कब और कैसे करें

श्री महालक्ष्मी धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी हैं। ये भगवान विष्णु की पत्नी हैं। ये समुद्र मंथन के दौरान प्रकट हुई थीं। लक्ष्मी जी ने खुद ही भगवान विष्णु को अपने पति के रूप में चुना। ये क्षीर सागर में भगवान विष्णु के साथ निवास करती हैं। महालक्ष्मी को श्री के रूप में भी जाना जाता है।इनकी पूजा से धन, सुख, समृद्धि और शांति मिलती है। लक्ष्मी जी की पूजा खासतौर से दीपावली पर की जाती है, लेकिन वैभव लक्ष्मी व्रत, कोजागर पूर्णिमा, लक्ष्मी जयंती (फाल्गुन पूर्णिमा) लक्ष्मी पंचमी (चैत्र शुक्ल पंचमी ) और वरलक्ष्मी व्रत आदी त्यौहार भी लक्ष्मी पूजा के लिए मनाए जाते हैं। इनके अलावा शुक्रवार को भी लक्ष्मी जी का दिन मानकर इस दिन पूजा और आरती की जाती है। इनके व्रत और त्यौहारों के अलावा भी रोज सुबह शाम लक्ष्मीजी की आरती करनी चाहिए, लेकिन रोज नहीं कर सकते हैं तो गुरुवार और शुक्रवार को विशेष रुप से करें। कैसे करें आरती - लक्ष्मी जी की आरती में 16 पंक्तियां हैं। शक्ति तत्व की देवी होने से इन पंक्तियों को ऊंची राग के साथ मध्यम स्वर और मध्यम वेग में गाया जाना चाहिए। इस बात का ध्यान रहे कि आरती का उच्चारण शुद्ध होना चाहिए। राजसिक शक्ति होने के कारण लक्ष्मी जी की आरती में मधुर स्वर उत्पन्न करने वाले वाद्य यंत्र बजाने चाहिए। इन यंत्रों को हल्के हाथ से बजाएं ताकि मधुर ध्वनि उत्पन्न हो। आरती के लिए शुद्ध कपास यानी रूई से बनी घी की बत्ती होनी चाहिए। तेल की बत्ती का उपयोग करने से बचना चाहिए। कपूर आरती भी की जाती है। बत्तियाें की संख्या एक, पांच, नौ, ग्यारह या इक्किस हो सकती है। आरती घड़ी के कांटो की दिशा में लयबद्ध तरीके से करनी चाहिए। आरती करने से पहले ये मंत्र बोलें - या श्री: स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वल...

लक्ष्मी

इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर (अप्रैल 2020) स्रोत खोजें: · · · · लक्ष्मी देवी महालक्ष्मी अपने दिव्य कमल पर वैकुंठ में विराजमान अन्य नाम भार्गवी, श्री, विष्णुप्रिया, सिंधुसूता, महालक्ष्मी, संबंध महा निवासस्थान ॐ श्रीं श्रीयें नमः अस्त्र श्री यंत्र दिवस शुक्रवार जीवनसाथी भाई-बहन अलक्ष्मी, चंद्रदेव ,शुक्राचार्य संतान सवारी लक्ष्मी (/ˈlʌkʃmi/; गायत्री की कृपा से मिलने वाले वरदानों में एक लक्ष्मी भी है। जिस पर यह अनुग्रह उतरता है, वह दरिद्र, दुर्बल, कृपण, असंतुष्ट एवं पिछड़ेपन से ग्रसित नहीं रहता। स्वच्छता एवं सुव्यवस्था के स्वभाव को भी 'श्री' कहा गया है। यह सद्गुण जहाँ होंगे, वहाँ दरिद्रता, कुरुपता टिक नहीं सकेगी। पदार्थ को मनुष्य के लिए उपयोगी बनाने और उसकी अभीष्ट मात्रा उपलब्ध करने की क्षमता को लक्ष्मी कहते हैं। यों प्रचलन में तो 'लक्ष्मी' शब्द सम्पत्ति के लिए प्रयुक्त होता है, पर वस्तुतः वह चेतना का एक गुण है, जिसके आधार पर निरुपयोगी वस्तुओं को भी उपयोगी बनाया जा सकता है। मात्रा में स्वल्प होते हुए भी उनका भरपूर लाभ सत्प्रयोजनों के लिए उठा लेना एक विशिष्ट कला है। वह जिसे आती है उसे लक्ष्मीवान्, श्रीमान् कहते हैं। शेष अमीर लोगों को धनवान् भर कहा जाता है। गायत्री की एक किरण लक्ष्मी भी है। जो इसे प्राप्त करता है, उसे स्वल्प साधनों में भी अथर् उपयोग की कला आने के कारण सदा सुसम्पन्नों जैसी प्रसन्नता बनी रहती है। श्री, लक्ष्मी के लिए एक सम्मानजनक शब्द, पृथ्वी की मातृभूमि के रूप में सांसारिक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है, जिसे पृथ्वी माता के रूप में संदर्भित किया जाता है, और उसे भु देवीऔर श्री देवी के अवतार मानी जाती हैं। ज...

धन तथा समृद्धि के लिए प्रभावशाली लक्ष्मी मंत्र तथा महालक्ष्मी मंत्र

मूल शब्द ' लक्ष ' से लक्ष्मी शब्द की उत्पत्ति हुई है जिसका अर्थ है लक्ष्य या उद्देश्य । लक्ष्य प्राप्त करने का मतलब है उद्देश्य प्राप्त करना। लक्ष्मी मंत्र का जप अपने उद्देश्य को जानने और उसकी पूर्ति के लिए किया जाता है । ऐसा कहा जाता है कि लक्ष्मी मंत्र का जाप करने से जाप करनेवाले की आभा में आवृत्ति होती है जिससे वह धन की प्राप्ति करते हैं। लक्ष्मी जी सभी की अवतार है जो सौभाग्य, समृद्धि और सौंदर्य लाती है । लक्ष्मी मंत्र की देवी माता लक्ष्मी है। वह भगवान विष्णु की गतिशील ऊर्जा है। वह धन, सम्पदा, शान्ति और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। ऐसा मन जाता है कि वह धन की कमी के कारण उत्पन्न सभी दुखों को दूर करती है। उनकी उपासना अलग - अलग नामों से की जाती है: पद्मा , कमला , कल्याणी , विष्णुप्रिया , वैष्णवी इत्यादि। लक्ष्मी जी को एक मुख और चार हाथ के साथ प्रदर्शित किया जाता है। चार हाथ आदमी के जीवन के चार लक्ष्यों का प्रतिनिधित्व करता है: धर्म ( धर्म और कर्तव्य ) , अर्थ ( धन और समृद्धि ) , काम ( सांसारिक इच्छा ) और मोक्ष ( मुक्ति ) । वह अपने हाथ में कमल लिए हुए हैं जो सौंदर्य हुए चेतना का प्रतिक है। उनकी हथेलियां हमेशा खुली है और उस से धन की वर्षा हो रही है जो धन , समृद्धि और प्रचुरता का प्रतिक है। लक्ष्मी मंत्र के लाभ लक्ष्मी मंत्र के नियमित जप से व्यक्ति को धन-सम्पदा , समृद्धि , सौंदर्य और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। लक्ष्मी मंत्र का नियमित जप स्वास्थ्य , वित्त और संबंधों में बहुतायत लाता है। नौकरी में पदोंनति पाने के लिए नियमित रूप से जप कर सकते हैं; व्यवसाय में लाभ को बढ़ाने के लिए उपयोग कर सकते है और व्यापार में नए ग्राहकों को आकर्षित करने से लाभ प्राप्त कर सकते हैं ।ल...

Maa Laxmi Mantra: मां लक्ष्‍मी को प्रसन्न करने के लिए इन मंत्रों का करें जाप, आर्थिक परेशानी होगी दूर

मां लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है. मां लक्ष्मी जी की पूजा करने से आर्थिक संकट दूर होता है. लक्ष्मी पूजा करने के साथ मंत्रों का उच्चारण करने से धन लाभ होता है. कई बार कड़ी मेहनत के बाद भी पैसों की बरकत नहीं होती है, जिस कारण जीवन में आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है. लिहाजा मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. मां लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है, इसलिए लक्ष्मी जी की पूजा करने से आर्थिक संकट दूर होता है और धन का लाभ होता है. पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि शुक्रवार को धन की देवी मां लक्ष्मी का दिन माना जाता है. इस दिन लक्ष्मी की पूजा करने के साथ मंत्रों का उच्चारण करने से धन लाभ होने के साथ ही सुख-समृद्धि का वास होता है. आइये जानते हैं मां लक्ष्मी के प्रभावी मंत्र (Maa Laxmi Mantra). अगर जीवन में आर्थिक तंगी से गुजरना पड़े, तो इस मंत्र का जाप करना शुभ होता है. इसके जाप से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है और उनकी कृपा बनी रहती है. यह भी पढ़ें: यह भी पढ़ें: ऊँ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।। यह श्री लक्ष्मी महामंत्र है. इसके जाप से सुख-समृद्धि के साथ ही धन लाभ भी होता है. श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा। मां देवी लक्ष्मी के इस मंत्र से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम: अगर किसी कार्य में सफलता हासिल नहीं हो रही है तो मां लक्ष्मी के इस मंत्र का जाप करना चाहिए. लक्ष्मी नारायण नम: सुखी दांपत्य के लिए मां देवी लक्ष्मी के इस मंत्र का जाप करना चाहिए. या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी। या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥ या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी। सा ...