कोपेन का जलवायु वर्गीकरण

  1. NCERT NOTES: भूगोल
  2. कोपेन का जलवायु वर्गीकरण
  3. जलवायु वर्गीकरण
  4. कोपेन का जलवायु वर्गीकरण, पद्धति, विशेषता, वर्गीकरण का आधार
  5. भारत के जलवायु प्रदेश


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NCERT NOTES: भूगोल

NCERT NOTES: भूगोल-कोपेन का जलवायु वर्गीकरण कोपेन जलवायु वर्गीकरण UPSC विषय: भूगोल श्रेणी: भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत विषय: कोपेन का जलवायु वर्गीकरण यूपीएससी Explore The Ultimate Guide to IAS Exam Preparation Download Now! कोपेन का जलवायु वर्गीकरण (यूपीएससी नोट्स):- पीडीएफ यहां डाउनलोड करें कोपेन का जलवायु वर्गीकरण • कोपेन की जलवायु का वर्गीकरण जलवायु का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला वर्गीकरण है। • यह जलवायु वर्गीकरण योजना 1884 में व्लादिमीर पीटर कोपेन द्वारा विकसित की गई थी। • उन्होंने वनस्पति और जलवायु के वितरण के बीच घनिष्ठसंबंध को मान्यता दी। • श्रेणियां तापमान और वर्षा के वार्षिक और मासिक औसत के आंकड़ों पर आधà...

कोपेन का जलवायु वर्गीकरण

कोपेन का जलवायु वर्गीकरण प्रसिद्ध जर्मन भूगोलविद् ब्लादीमीर कोपेन ने सन् 1918 सन् 1931 ई. एवं अंतिम रूप से सन् 1936 ई. में विश्व को जलवायु प्रदेशों में विभक्त करने का प्रयास किया और बतलाया कि, “प्राकृतिक वनस्पति समग्र जलवा का सर्वोत्तम अभिव्यक्तिकरण मानी जाती है।” कोपेन के विचार से वनस्पति का उगना एवं विकसित होना केवल वर्षा की मात्रा पर ही नहीं वरन् वर्षा की प्रभावशीलता पर निर्भर होता है। इस प्रकार, उन्होंने विश्व की जलवायु का वर्गीकरण वनस्पतियों के वितरण के आधार पर किया है। A = उष्ण कटिबंधीय आर्द्र जलवायु जिसमें शीतकाल नहीं होता है। B = शुष्क जलवायु (Dry climate) C = मध्य अक्षांशीय समशीतोष्ण जलवायु (Mid Latitude Uniform Temperate climate) D = शीत शीतोष्ण जलवायु (Cold Temperate climate) E = ध्रुवीय जलवायु (Polar Climate) उपरोक्त जलवायु की विशेषताओं को स्पष्ट करने के लिए कोपेन महोदय ने अंग्रेजी के निम्नलिखित अक्षरों का प्रयोग करने के उन्हें उपवर्गों में विभक्त किया है- W = मरूप्रदेशीय जलवायु S = स्टेपी जलवायु W= शीतकाल शुष्क w’ = शरदकाल में अधिक वर्षा w” = वर्ष में दो बार अधिकतम एवं दो बार न्यूनतम वर्षा s = ग्रीष्मकाल शुष्क f= वर्ष पर्यंत वर्षा m = मानसून प्रधान वर्षा इस प्रकार, कोपेन के अनुसार विश्व में निम्नलिखित प्रकार की जलवायु पायी जाती है- • उष्ण कटिबंधीय आर्द्र जलवायु ( A) इस जलवायु में ठंडे माह का तापमान 18 सेंटीग्रेड या 69.4 फा. से अधिक पाया जाता है। इस जलवायु में शीत ऋतु नहीं होती हे। वार्षिक वर्षा अधिक एवं वाष्पोत्सर्जन से अधिक होती है। वर्षा के आधार पर इसे निम्नलिखित तीन वर्गों में बाँटा गया है- • उष्ण कटिबंधीय आर्द्र जलवायु (Af)- इस प्रकार की जलवायु में सर्वाधि...

जलवायु वर्गीकरण

जलवायु वर्गीकरण प्रणाली, प्रमुख जलवायु वर्गीकरण प्रणालियाँ • Aridity index • Alisov climate classification • Berg climate classification • Köppen climate classification • Holdridge life zone classification • Lauer climate classification • Thornthwaite climate classification • • Troll climate classification • Vahl climate classification

कोपेन का जलवायु वर्गीकरण, पद्धति, विशेषता, वर्गीकरण का आधार

विश्व की जलवायु का वर्गीकरण तीन वृहद उपगमनो द्वारा किया गया है अनुभविक अनुभव एक पद्धति विशेष रूप से तापमान एवं वर्णन से संबंधित आंकड़ों पर आधारित है जननिक इस पद्धति में जलवायु को उनके कारणों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है अनुप्रयुक्त यह पद्धति किसी विशेष उद्देश्य के लिए प्रयुक्त की जाती है कोपेन के जलवायु वर्गीकरण की पद्धति कोपेन का जलवायु वर्गीकरण के लिए अनुभवी पद्धति का विशेष रूप से इस्तेमाल किया है कॉपर ने वनस्पति के वितरण और जलवायु के बीच एक घनिष्ठ संबंध की पहचान की है उन्होंने तापमान तथा वर्षा के कुछ निश्चित मानो का चयन करते हुए उनका वनस्पति के वितरण से संबंध स्थापित किया है वर्षा एवं तापमान के मध्यमान वार्षिक एवं मध्यमान मासिक आंकड़ों पर आधारित यह एक अनुभव एक पद्धति है कोपेन के जलवायु के समूहों एवं प्रकारों की पहचान करने के लिए बड़े तथा छोटे अक्षरों का प्रयोग आरंभ किया सन् 1918 में विकसित तथा समय के साथ संशोधित हुई कोपेन की यह पद्धति आज भी लोकप्रिय है कोपेन ने पांच प्रमुख जलवायु समूह निर्धारित किए जिनमें से चार तापमान और एक वर्षा पर आधारित है कोपेन के अनुसार जलवायु समूह A उष्णकटिबंधीय सभी महीनों का औसत तापमान 18 डिग्री सेल्सियस से अधिक B शुष्क जलवायु वर्षण की तुलना में विभव वाष्पीकरण की अधिकता C कोष्ण शीतोष्ण सर्वाधिक ठंडे महीने का औसत तापमान 3 सेल्सियस से अधिक किंतु 18 डिग्री सेल्सियस से कम मध्य अक्षांश जलवायु D शीत हिम वन जलवायु वर्षण के सार्व अधिक ठंडे महीने का औसत तापमान 0 अंश तापमान से 3 डिग्री नीचे E शीत सभी महीनों का औसत तापमान 10 सेल्सियस से कम H उच्च भूमि ऊंचाई के कारण शीत कोपेन का जलवायु वर्गीकरण उष्णकटिबंधीय जलवायु – A उष्णकटिबंधीय आदर जलवायु कर्क रेखा औ...

भारत के जलवायु प्रदेश

कोपेन का जलवायु वर्गीकरण कोपेन ने जलवायु प्रदेशों को निर्धारित करने में निम्न बातों को आधार माना है- (i) वार्षिक एवं मासिक तापांतर (ii) इन्होंने भारत को उष्ण कटिबंधीय व महाद्वीपीय भागों में बांटने के लिए उन्होंने जलवायु के पांच प्रकार माने हैं जिनके नाम हैं- (i) उष्ण कटि. जलवायु (ii) शुष्क जलवायु-शुष्कता कम होने पर यह Amw – मालाबार व कोंकण तट पर विस्तार, ग्रीष्म ऋतु में वर्षा 200 Cm. से अधिक होती है तथा शीत ऋतु शुष्क होती है। उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन मिलते हैं। Aw – उष्ण कटिबंधीय सवाना प्रकार की जलवायु, वर्षा ग्रीष्मकाल में होती है तथा शीत ऋतु शुष्क होती है, गर्मियाँ काफी गर्म, प्रायद्वीपीय भारत के अधिकांश भाग पर विस्तार मिलता है। As – Aw की सभी विशेषताएँ मिलती है लेकिन अंतर केवल इतना ही है कि यहाँ पर ग्रीष्मकाल की अपेक्षा शीतकाल में वर्षा अधिक होती है। BShw – अर्द्ध मरूस्थलीय शुष्क जलवायु पाई जाती है। वर्षा ग्रीष्मकाल में, शीत ऋतु शुष्क, वार्षिक तापमान का औसत 180C से अधिक रहता है। Bwhw – राजस्थान के बीकानेर व Dfc – शीतोष्ण कटिबंधीय आर्द्र जलवायु होती है जिसमें वर्षा सभी ऋतुओं में, शीतकाल में तापमान 100C के आसपास, ग्रीष्मकाल छोटा किन्तु वर्षा वाला होता है, सिक्किम, अरूणाचल व असम के कुछ भागों में। Cwg – यह समशीतोष्ण आर्द्र जलवायु होती है जिसमें शीतकाल शुष्क व ग्रीष्मकाल वर्षा वाला होता है तथा काफी गर्म रहता है, इसका विस्तार U.P. के मैदानी व पठारी भाग, पूर्वी राजस्थान, उत्तरी M.P., बिहार व असम पर मिलता है। E – यह धुवीय प्रकार की जलवायु है जहाँ सबसे गर्म माह का तापमान 100C से कम रहता है इसका विस्तार J&K, H.P., उत्तराखण्ड में मिलता है। जलवायु से सम्बन्धित कुछ अन्य तथ्य मानसून ...