कल्लू कुम्हार का नाम उनाकोटी से किस प्रकार जुड़ गया?

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कल्लू कुम्हार का नाम उनाकोटी से किस प्रकार जुड़ गया ?

उनाकोटी में पहाड़ों को काटकर विशाल आधार-मूर्तियां बनी हुई हैं। स्थानीय आदिवासियों का मानना है कि इन मूर्तियों का निर्माता कल्लू कुम्हार था। वह माता पार्वती जी का भक्त था। माता पार्वती और भगवान् शिव जी के साथ उनके निवास कैलाश पर जाना चाहता था। भगवान् शिव जी इसके लिए राज़ी नहीं थे लेकिन माता पार्वती जी के जोर देने पर वह उनको ले जाने के लिए राज़ी हो गए। इसके लिए उन्होंने कल्लू कुम्हार से एक शर्त रखी कि उसे एक रात में उनकी एक करोड़ मूर्तियां बनानी होगी। कल्लू कुम्हार इसके लिए राजी हो गया और अपने काम पर जुट गया। लेकिन जब सुबह हुई तो मूर्तियां एक करोड़ से एक कम निकली। इसलिए भगवान् शिव जी ने कल्लू कुम्हार को अपनी मूर्तियों के साथ उनाकोटी में ही छोड़ दिया और माता पार्वती जी के साथ कैलाश चले गए।

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 3 कल्लू कुम्हार की उनाकोटी

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 3 कल्लू कुम्हार की उनाकोटी These Solutions are part of बोध-प्रश्न (पाठ्यपुस्तक से) प्रश्न 1.‘उनाकोटी’ का अर्थ स्पष्ट करते हुए बतलाएँ कि यह स्थान इस नाम से क्यों प्रसिद्ध है? 2. पाठ के संदर्भ में उनाकोटी में स्थित गंगावतरण की कथा को अपने शब्दों में लिखिए। 3. कल्लू कुम्हार का नाम उनाकोटी से किस प्रकार जुड़ गया? 4. ‘मेरी रीढ़ में एक झुरझुरी-सी दौड़ गई’-लेखक के इस कथन के पीछे कौन-सी घटना जुड़ी है? 5. त्रिपुरा ‘बहुधार्मिक समाज’ का उदाहरण कैसे बना? 6. टीलियामुरा कस्बे में लेखक का परिचय किन दो प्रमुख हस्तियों से हुआ? समाज-कल्याण के कार्यों में उनका क्या योगदान था? 7. कैलाशशहर के जिलाधिकारी ने आलू की खेती के विषय में लेखक को क्या जानकारी दी? 8. त्रिपुरा के घरेलू उद्योगों पर प्रकाश डालते हुए अपनी जानकारी के कुछ अन्य घरेलू उद्योगों के विषय में बताईए। उत्तर 1. उनाकोटी का अर्थ है-एक करोड़ से एक कम। उनाकोटी में शिव की कोटि से एक कम मूर्तियाँ हैं। भारत के | यह सबसे बड़े शैव तीर्थों में से एक है। यहाँ आदिवासी धर्म फलते-फूलते हैं। यह स्थान जंगल में काफी भीतर है। यह पूरा इलाका देवी-देवताओं से भरा पड़ा है। इन मूर्तियों का निर्माता कल्लू कुम्हार था। वह पार्वती का भक्त था। वह शिव-पार्वती के साथ उनके निवास कैलाश पर्वत पर जाना चाहता था। पार्वती के जोर देने पर शिव कल्लू को कैलाश ले जाने के लिए तैयार हो गए, लेकिन उसके लिए यह शर्त रखी कि उसे एक रात में शिव की एक कोटी मूर्तियाँ बनानी होंगी। कल्लू धुन के पक्के व्यक्ति की तरह अपने काम में जुट गया। लेकिन जब गिनती हुई तो मूर्तियाँ एक कोटि से कम निकलीं। कल्लू नाम की इस मुसीबत से पीछा छुड़ाने पर अड़े शि...

हिन्दी कल्लू कुम्हार की उनाकोटी Class 9 Chapter 3 Question Answer

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 3

प्रश्न 1.‘उनाकोटी’ का अर्थ स्पष्ट करते हुए बतलाएँ कि यह स्थान इस नाम से क्यों प्रसिद्ध है? 2. पाठ के संदर्भ में उनाकोटी में स्थित गंगावतरण की कथा को अपने शब्दों में लिखिए। 3. कल्लू कुम्हार का नाम उनाकोटी से किस प्रकार जुड़ गया? 4. ‘मेरी रीढ़ में एक झुरझुरी-सी दौड़ गई’-लेखक के इस कथन के पीछे कौन-सी घटना जुड़ी है? 5. त्रिपुरा ‘बहुधार्मिक समाज’ का उदाहरण कैसे बना? 6. टीलियामुरा कस्बे में लेखक का परिचय किन दो प्रमुख हस्तियों से हुआ? समाज-कल्याण के कार्यों में उनका क्या योगदान था? 7. कैलाशशहर के जिलाधिकारी ने आलू की खेती के विषय में लेखक को क्या जानकारी दी? 8. त्रिपुरा के घरेलू उद्योगों पर प्रकाश डालते हुए अपनी जानकारी के कुछ अन्य घरेलू उद्योगों के विषय में बताईए। उत्तर 1. उनाकोटी का अर्थ है-एक करोड़ से एक कम। उनाकोटी में शिव की कोटि से एक कम मूर्तियाँ हैं। भारत के | यह सबसे बड़े शैव तीर्थों में से एक है। यहाँ आदिवासी धर्म फलते-फूलते हैं। यह स्थान जंगल में काफी भीतर है। यह पूरा इलाका देवी-देवताओं से भरा पड़ा है। इन मूर्तियों का निर्माता कल्लू कुम्हार था। वह पार्वती का भक्त था। वह शिव-पार्वती के साथ उनके निवास कैलाश पर्वत पर जाना चाहता था। पार्वती के जोर देने पर शिव कल्लू को कैलाश ले जाने के लिए तैयार हो गए, लेकिन उसके लिए यह शर्त रखी कि उसे एक रात में शिव की एक कोटी मूर्तियाँ बनानी होंगी। कल्लू धुन के पक्के व्यक्ति की तरह अपने काम में जुट गया। लेकिन जब गिनती हुई तो मूर्तियाँ एक कोटि से कम निकलीं। कल्लू नाम की इस मुसीबत से पीछा छुड़ाने पर अड़े शिव ने इसी बात का बहाना बनाते हुए कल्लू को अपनी मूर्तियों के साथ उनाकोटी में ही छोड़ दिया और चलते बने।। 2. प्राचीन काल में एक महान राजा ह...

NCERT Solutions Class 9 Hindi Sanchyan Chapter 3 कल्लू कुम्हार की उनाकोटी

उत्तर : उनाकोटी का अर्थ है एक करोड़ से एक कम। त्रिपुरा में एक जगह है ‘उनाकोटी’। इसके लिए एक दंत कथा है कि कल्लू नाम के एक कुम्हार ने शिव के साथ रहने की प्रार्थना की। शिव ने शर्त रखी कि यदि एकरात में वह शिव की एक करोड़ मूर्ति बना देगा तो वह शिव- पार्वती के साथ कैलास पर्वत जा सकेगा। कल्लू ने मूर्तिया बनाई परन्तु एक मूर्ति रह गई और सुबह हो गई। कल्लू वहीँ रह गया। तब से इसका नाम उनाकोटी पड़ गया। प्रश्न : 2. पाठ के संदर्भ में उनाकोटी में स्थित गंगावतरण की कथा को अपने शब्दों में लिखिए। उत्तर : दंतकथा के अनुसार कहा जाता है कि ऋषि भागीरथ की प्रार्थना पर गंगा को पृथ्वी पर उतारना पड़ा। परन्तु गंगा का वेग इतना तेज़ था कि यदि वह सीधी उतरती तो पृथ्वी इसके वेग से धँस जाती। इसलिए इस को रोकने के लिए शिव को तैयार किया गया कि वह गंगा को अपनी जटाओं पर उतारें ताकि उसका वेग कम हो जाए और वह धीरे – धीरे पृथ्वी पर उतरे। प्रश्न : 3. कल्लू कुम्हार का नाम उनाकोटी से किस प्रकार जुड़ गया? उत्तर : कहा जाता है कि कल्लू कुम्हार के कारण ही इस स्थान का नाम उनाकोटी पड़ा। वह शिव-पार्वती के साथ कैलाश पर्वत पर जाना चाहता था। परन्तु शिव ने एक शर्त रखी कि उसे एक रात में शिव की कोटि (एक करोड़)मूर्तियाँ बनानी होगी। कल्लू कैलाश पर जाने की धुन में मूर्तियाँ बनाने में जुट गया परन्तु जब मूर्तियाँ गिनी गईं तो एक मूर्ति कम थी। शिव को उसे छुड़ाने का बहाना मिल गया तथा कल्लू कुम्हार वहीं रह गया। प्रश्न : 4. ‘मेरी रीढ़ में एक झुरझुरी – सी दौड़ गई’ −लेखक के इस कथन के पीछे कौन -सी घटना जुड़ी है? उत्तर : लेखक मनु में शूटिंग करने में व्यस् तथा। तभी सी. आर.पी. एफ. के एक आदमी ने बताया कि निचली पहाड़ियों पर, जहाँ दो पत्थर पड़े हैं,...

कल्लू कुम्हार का नाम उनाकोटी से किस प्रकार जुड़ गया?

उनाकोटी का पूरा इलाका ही शब्दश: देवियों-देवताओं की मूर्तियों से भरा पड़ा है। इन आधार मूर्तियों के निर्माता अभी चिह्निनत नहीं किए जा सके हैं। स्थानीय आदिवासियों का मानना है कि इन मूर्तियों का निर्माता कल्लू कुम्हार था। वह पार्वती का भक्त था। वह शिव-पार्वती के निवास कैलाश जाना चाहता था। लेकिन इसके लिए शर्त यह रखी थी कि उसे एक रात में शिव की एक कोटी मूर्तियाँ बनानी होंगी। जब भोर हुई तो मूर्तियाँ एक कोटी से कम निकलीं। कल्लू नाम की इस मुसीबत से पीछा छुड़ाने पर अड़े शिव ने इसी बात को बहाना बनाते हुए कल्लू कुम्हार को अपनी मूर्तियों के साथ उनाकोटी में ही छोड़ दिया और चलते बने। इस प्रकार उनाकोटी की मूर्तियों के निर्माता के रूप में कल्लू कुम्हार को प्रसिद्धि मिली और उनका नाम उनाकोटी से जुड़ गया।

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प्रश्न 3-1: ‘उनाकोटी’ का अर्थ स्पष्ट करते हुए बतलाएँ कि यह स्थान इस नाम से क्यों प्रसिद्ध है? उत्तर 3-1: त्रिपुरा में एक जगह का नाम उनाकोटी है उनाकोटी का अर्थ होता है एक करोड़ से एक कम इसके बारे में एक दंत कथा प्रसिद्ध है कि कल्लू नाम का एक कुम्हार था उसने भगवान शिव की भक्ति की भगवान के प्रसन्न होने पर उसने भगवान शिव के साथ कैलाश रहने की प्रार्थना की इससे बचने के लिए भगवान शिव ने शर्त रखी कि यदि वह एक रात में भगवान शिव की एक करोड़ मूर्तियाँ बना देगा तो वे उसे अपने साथ कैलाश पर्वत पर रहने की अनुमति प्रदान कर देंगे कल्लू कुम्हार ने मूर्तियाँ बनाना शुरू कर दीं किन्तु सुबह होने पर सारी मूर्ति याँ बन चुकी थीं मगर गिनने पर एक मूर्ति कम निकली और शर्त के अनुसार कल्लू कुम्हार वहीं रह गया इसलिए इस जगह का नाम उनाकोटी पड गया। प्रश्न 3-2: पाठ के संदर्भ में उनाकोटी में स्थित गंगावतरण की कथा अपने शब्दों में लिखिए। उत्तर 3-2: पौराणिक कथा के अनुसार ऋषि भागीरथ कठोर तपस्या के बाद गंगा माँ को धरती पर लेकर आए थे गंगा यदि अपने पूरे वेग से पृथ्वी पर आती तो पृथ्वी धँस जाती गंगा के इस वेग को रोकने के लिए भगवान शिव तैयार हो गए और गंगा के वेग को अपनी जटाओं में रोककर कम कर दिया और धीरे-धीरे गंगा पृथ्वी पर उतर आई। वहाँ का प्राकृतिक सौन्दर्य ऐसा है कि ऊँचे-ऊँचे पहाडो की दूर तक फैली श्रृंखलाएं और उन पर से गिरते हुए झरने जिन्हें देखकर ऐसा लगता है कि भगवान शिव की जटाओं से साक्षात् गंगा उतर रही हो। प्रश्न 3-3: कल्लू कुम्हार का नाम उनाकोटी से किस प्रकार जुड़ गया गया? उत्तर 3-3: कल्लू कुम्हार भगवान शिव का परम भक्त था और वह उनके साथ कैलाश पर्वत पर जाना चाहता था, परन्तु भगवान शिव की शर्त के अनुसार उसे एक रात में ...

कल्लू कुम्हार की उनाकोटी

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