कल चंद्रग्रहण है क्या

  1. Chandra Grahan 2021
  2. Chandra grahan 2021: कल लगने वाला है साल का आखिरी चंद्रग्रहण, जानें इससे जुड़ी सारी बातें
  3. Chandra Grahan 2023: चंद्रग्रहण आज, जानें सूतक काल में किन बातों का रखें ध्यान
  4. Chandra Grahan Reason: चंद्रग्रहण कल, जानिए क्या है इसके पीछे की साइंस; कब होती है यह घटना
  5. Solar Eclipse And Lunar Eclipse Difference
  6. चंद्रग्रहण


Download: कल चंद्रग्रहण है क्या
Size: 23.46 MB

Chandra Grahan 2021

इस लेख के जरिए जानिए 2021 में चंद्र ग्रहण (chandra grahan 2021) कब हो रहा है, और सूतक काल का क्या समय है। यह भी पता करें कि 2021 में किस प्रकार का चंद्र ग्रहण हो रहा है, और दुनिया के किन क्षेत्रों में यह दिखाई देगा। एस्ट्रोयोगी का यह लेख वैदिक ज्योतिष के तत्वों पर आधारित है, और चंद्र ग्रहण के दौरान क्या सावधानियां बरतें और ज्योतिष के संदर्भ में यह कैसे परिलक्षित होता है, चलिए इस पर प्रकाश डालते हैं। चंद्रग्रहण क्या है? यह एक खगोलीय घटना है, जहां चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य एक सीधी रेखा में संरेखित होते हैं, जहां पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच में आ जाती है और चंद्रमा को ढक लेती है उसे • पूर्ण चंद्रग्रहण जब पृथ्वी पूरी तरह से चंद्रमा को अपनी छाया से ढक लेती है, तो पृथ्वी के पीछे से चंद्रमा लाल या गुलाबी रंग का उभरता हुआ प्रतीत होता है। इसे पूर्ण चंद्रग्रहण या ब्लड मून कहा जाता है। इस स्थिति में, सभी तीन ग्रह, यानी पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य एक सीधी रेखा में संरेखित होते हैं। वर्ष 2021 में, 26 मई को पूर्ण चंद्र ग्रहण हो रहा है। • आंशिक चंद्र ग्रहण जब पृथ्वी चंद्रमा के कुछ हिस्सों को ही ढक पाती है और चंद्रमा पृथ्वी के पीछे पूरी तरह से नहीं छुप पाता है। इस घटना को आंशिक चंद्रग्रहण कहते हैं, जिसकी समयावधि ज्यादा लंबी नहीं होती है। • उपच्छाया चंद्रग्रहण इस घटना के दौरान चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी एक सीधी रेखा में संरेखित नहीं होते हैं। जिसकी वजह से पृथ्वी के बाहरी हिस्से की छाया ही चंद्रमा पर पड़ पाती है और चंद्रमा की सतह धुंधली दिखाई पड़ती है। इसे उपच्छाया चंद्रग्रहण कहते हैं। 2021 चंद्रग्रहण • पहला चंद्रग्रहण 26 मई 2021 दोपहर 2 बजकर 17 मिनट से शाम 07बजकर 19 मिनट तक। वहीं मुख्य रूप से...

Chandra grahan 2021: कल लगने वाला है साल का आखिरी चंद्रग्रहण, जानें इससे जुड़ी सारी बातें

Chandra Grahan 2021: हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार कार्तिक शुक्ल (Kartik Month 2021) पक्ष की पूर्णिमा तिथि यानी 19 नवंबर को सदी का सबसे बड़ा और सबसे लंबा चंद्र ग्रहण (Longest Lunar Eclipse of The Century) होगा. इस बार कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण का योग बन रहा है. आपको बता दें कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन लगने वाला वर्ष 2021 का आखिरी चन्द्र ग्रहण आंशिक रहेगा यानी इस चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक नहीं लगेगा. हांलाकि, बहुत सारे लोग आंशिक व खंडग्रास ग्रहण चंद्र ग्रहण के दौरान भी ग्रहण से जुड़े नियमों का पालन करते हैं. माना जाता है कि पृथ्वी से नजदीक होने के कारण चंद्रमा का प्रभाव राशियों पर अधिक रहता है. इसके साथ ही चंद्रमा को जल का का भी कारक माना गया है. शरीर में जल की मात्रा अधिक होने के कारण चंद्रमा का प्रभाव अधिक रहता है. इसलिए इतना महत्वपूर्ण है यह चंद्रग्रहण आंशिक चंद्रग्रहण चंद्रमा और धरती के बीच अधिक दूरी की वजह से लंबे समय तक दिखेगा. इस बार आंशिक चंद्र ग्रहण की अवधि 3 घंटा 28 मिनट और 24 सेकंड रहेगी. इससे पहले इतना लंबा चंद्र ग्रहण 18 फरवरी 1440 को लगा था. इस तरह कह सकते हैं कि 580 साल बाद इतना लंबा चंद्र ग्रहण लने जा रहा है. अगला इतनी लंबी अवधि वाला चंद्र ग्रहण 8 फरवरी 2669 को होगा. 19 नवंबर को लगने वाला चंद्र ग्रहण वृषभ राशि में लग रहा है. इस समय वृषभ राशि में राहु का गोचर हो रखा है इसलिए सदी के सबसे बड़े चंद्र ग्रहण का सबसे अधिक प्रभाव वृषभ राशि पर पड़ेगा. 19 नवंबर को लगने वाले चंद्र ग्रहण को आंशिक ग्रहण माना जा रहा है और इसलिए सूतक नियमों का पालन नहीं किया जाएगा. सूतक काल पूर्ण ग्रहण की स्थिति में ही प्रभावी माना जाता है. अगला चंद्र ग्रहण 8 नवंबर 2022 को देखा जाए...

Chandra Grahan 2023: चंद्रग्रहण आज, जानें सूतक काल में किन बातों का रखें ध्यान

Chandra Grahan 2023: खगोलीय घटना की दुनिया में आज यानि 5 मई को एक बड़ी खगोलीय घटना हो रही है। यह घटना चंद्रग्रहण के रूप में देखने को मिलेगी। हालांकि, इस बार का चंद्रग्रहण अन्य चंद्रग्रहण से अलग है। क्योंकि, इस बार चांद पृथ्वी की उपच्छाया से गुजरेगा। यही वजह है कि इस बार के चंद्रग्रहण को उपच्छाया चंद्रग्रहण कहा जा रहा है। यह चंद्रग्रहण यूरोपीयों देशों के साथ भारत में भी देखा जा सकेगा। वहीं, चंद्रग्रहण से पहले सूतककाल भी शुरू हो गया है। इस लेख के माध्यम से हम सूतककाल के बारे में जानेंगे। साथ ही इस चीज को भी समझेंगे कि इस दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। इसके अलावा क्या और क्या नहीं करना चाहिए। कब है चंद्रग्रहण (Chandra Grahan 2023 Time in India) उपच्छाया वाला चंद्रग्रहण रात 8 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगा और रात 1 बजकर 1 मिनट तक रहेगा। इस ग्रहण को यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और एशिया में देखा जा सकेगा। यह इस साल का पहला चंद्रग्रहण है, जो कि काफी वर्षों के बाद देखने को मिल रहा है। इसके बाद अलगा चंद्रग्रहण इस साल 28 अक्टूबर को देखने को मिलेगा। Check - Chandra Grahan 2023 Today Time क्या होता है चंद्रग्रहण सूतक काल (Chandra Grahan Sutak Kaal) सूतक ग्रहण के दौरान होता है। यह चंद्रग्रहण से 9 घंटे पहले और सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले शुरू होता है। दृग पंचांग के अनुसार, सूतककाल लगने के दौरान पृथ्वी का वातावरण पूरी तरह से दूषित हो जाता है। ऐसे में इस दौरान कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना होता है। क्या है चंद्रग्रहण सूतक काल की टाइमिंग (Chandra Grahan Sutak Kaal Time) दृग पंचांग के अनुसार, चंद्र ग्रहण की स्थिति में यह 9 घंटे पहले शुरू होगा, जो कि 5 मई को 11 बजकर 45 मिनट पर शुरू होग...

Chandra Grahan Reason: चंद्रग्रहण कल, जानिए क्या है इसके पीछे की साइंस; कब होती है यह घटना

15 दिन के अंदर देश में दिखेगा दूसरा ग्रहण विज्ञान इसे मानता है महज खगोलीय घटना सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है पृथ्वी नई दिल्ली. साल का अंतिम चंद्र ग्रहण 8 नवंबर को पड़ रहा है. इस तरह 15 दिन के अंदर देश में यह दूसरा ग्रहण है. इससे पहले 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण पड़ा था. शास्त्रों के अनुसार भले ही ग्रहण को अशुभ माना जाता हो, लेकिन विज्ञान में ग्रहण को महज खगोलीय घटना माना जाता है. मंगलवार को चंद्रग्रहण भारत के साथ-साथ विश्व के कई देशों में देखा जा सकेगा. जानकारी के मुताबिक, चंद्र ग्रहण की शुरुआत दोपहर 02:39 मिनट से होगी. जबकि, भारत में यह 4:23 से शुरू होगा और 6:19 तक समाप्त हो जाएगा. विदेश में अमेरिका, एशिया, उत्तर-पूर्वी यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और प्रशांत महासागर में इसे देखा जा सकेगा. भारत में ईटानगर, पुरी, रांची, कोहिमा और कोलकाता में पूर्ण चंद्रग्रहण देखा जा सकेगा. जबकि, शेष भारत में यह आंशिक ही रहेगा. क्या कहता है विज्ञान विज्ञान कहता है कि चंद्रग्रहण महज खगोलीय घटना है. इसमें एक ही बार में चंद्रग्रहण, सुपरमून और लाल रक्त चंद्रमा दिखाई देंगे. विज्ञान के मुताबिक, चंद्रग्रहण तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है. इस दौरान पृथ्वी की छाया चांद की रोशनी ढक लेती है. दूसरी ओर, सूर्य की रोशनी पृथ्वी के वायुमंडल से टकराने के बाद चांद पर पड़ती है. इससे चांद चमकीला हो जाता है. इस बीच जब चांद धीरे-धीरे पृथ्वी के पहुंचता है तो उसका रंग और ज्यादा गहरा हो जाता है. वह गहरा लाल दिखने लगता है. इस रंग के कारण इसे ब्लड मून कहा जाता है. हर पूर्णिमा को चंद्रग्रहण क्यों नहीं होता खास बात यह है कि चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा तिथि पर ही होता है. हिंदू कैलेंडर कहता है कि हर महीने प...

Solar Eclipse And Lunar Eclipse Difference

नई दिल्ली: ग्रहण को देखने के लिए लोगों में उत्सुकता बनी रहती है. इसके लिए वो सोलर-व्युइंग ग्लासेस, पर्सनल सोलर फिल्टर्स या आइक्लिप्स ग्लासेस का इस्तेमाल करते हैं. वहीं, ज्योतिषों के अनुसार ग्रहण को देखना अशुभ माना जाता है. मान्यता है कि ग्रहण के दौरान खुले आसमान में नही रहा जाता और ना ही मंदिरों के दरवाजों को खुला रखा जाता है. ज्योतिषों के अनुसार भगवान पर कष्ट होता है ग्रहण. लेकिन विज्ञान में यह एक खगोलिय घटना है, जिसमें पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा तीनों एक ही सीध में दिखते हैं. यही घटना आज 15 फरवरी को है, आज साल 2018 का पहला यहां जानिए आखिर ग्रहण क्या है? और ऐसी क्या वजह है जिसके चलते ग्रहण को देखना अशुभ माना जाता है. यहां जानें पौराणिक कथा कि वो एक कहानी जिस वजह से ग्रहण को इंसान ही नहीं बल्कि भगवान को भी नहीं दिखाया जाता. क्या कहती है पौराणिक कथा? एक पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और दानवों के बीच अमृत के लिए घमासान चला. इस मंथन में अमृत देवताओं को मिला लेकिन असुरों ने उसे छीन लिया. अमृत को वापस लाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी नाम की सुंदर कन्या का रूप धारण किया और असुरों से अमृत ले लिया. जब वह उस अमृत को लेकर देवताओं के पास पहुंचे और उन्हें पिलाने लगे तो राहु नामक असुर भी देवताओं के बीच जाकर अमृत पीने बैठ गया. जैसे ही वो अमृत पीकर हटा, भगवान सूर्य और चंद्रमा को भनक हो गई कि वह असुर है. तुरंत उससे अमृत छीन लिया गया और विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से उसकी गर्दन धड़ से अलग कर दी. क्योंकि वो अमृत पी चुका था इसीलिए वह मरा नहीं. उसका सिर और धड़ राहु और केतु नाम के ग्रह पर गिरकर स्थापित हो गए. ऐसी मान्यता है कि इसी घटना के कारण सूर्य और चंद्रमा को ग्रहण ...

चंद्रग्रहण

• Afrikaans • Alemannisch • Aragonés • العربية • অসমীয়া • Asturianu • Azərbaycanca • تۆرکجه • Башҡортса • Basa Bali • Беларуская • Беларуская (тарашкевіца) • Български • भोजपुरी • Banjar • বাংলা • བོད་ཡིག • Català • کوردی • Čeština • Kaszëbsczi • Cymraeg • Dansk • Deutsch • Ελληνικά • English • Esperanto • Español • Eesti • Euskara • فارسی • Suomi • Français • Nordfriisk • Gaeilge • Galego • עברית • Hrvatski • Kreyòl ayisyen • Magyar • Հայերեն • Bahasa Indonesia • ГӀалгӀай • Íslenska • Italiano • ᐃᓄᒃᑎᑐᑦ / inuktitut • 日本語 • Jawa • ქართული • Taqbaylit • ភាសាខ្មែរ • 한국어 • Kurdî • Кыргызча • Latina • Lëtzebuergesch • Lietuvių • Latviešu • Madhurâ • മലയാളം • Монгол • मराठी • Bahasa Melayu • مازِرونی • Nedersaksies • नेपाली • Nederlands • Norsk nynorsk • Norsk bokmål • Oromoo • ଓଡ଼ିଆ • ਪੰਜਾਬੀ • Kapampangan • Polski • پنجابی • Português • Runa Simi • Română • Русский • ᱥᱟᱱᱛᱟᱲᱤ • سنڌي • Srpskohrvatski / српскохрватски • සිංහල • Simple English • Slovenčina • Slovenščina • Anarâškielâ • ChiShona • Soomaaliga • Shqip • Српски / srpski • Sunda • Svenska • Kiswahili • தமிழ் • తెలుగు • ไทย • Tagalog • Türkçe • Татарча / tatarça • Українська • اردو • Oʻzbekcha / ўзбекча • Tiếng Việt • Winaray • 吴语 • მარგალური • ייִדיש • 中文 • Bân-lâm-gú • 粵語 • IsiZulu