कृष्ण जन्माष्टमी कब है 2022

  1. Janmashtmi 2022 Date Shubh Muhurat And Puja Vidhi
  2. Krishna Janmashtami 2022: कब है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी? कैसे रखें व्रत? जानें ये जरूरी बातें
  3. 2022 कृष्ण जन्माष्टमी कब है मुहूर्त,कथा तथा पूजन विधि
  4. Janmashtami 2022 : कब है जन्माष्टमी, जानें तिथि, समय, इतिहास और महत्व


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Janmashtmi 2022 Date Shubh Muhurat And Puja Vidhi

Janmashtmi 2022: जन्माष्टमी का त्योहार भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद यानी भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. इस साल जन्माष्टमी (Janmashtmi) का त्योहार 18 अगस्त 2022 को मनाया जाएगा. इस दिन भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है. मान्यतानुसार, जन्माष्टमी का व्रत (Janmashtmi Vrat 2022) अष्टमी तिथि के उपवास के साथ शुरू होता है और नवमी तिथि को पारण के साथ समापन होता है. पंचांग के अनुसार जन्माष्टमी (Janmashtmi) इस साल 2 दिन मनाई जाएगी. 18 अगस्त को स्मार्त संप्रदाय के लोग मनाएंगे. यानी जो लोग गृहस्थ जीवन में हैं वो 18 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे. जबकि वैष्णव संप्रदाय के लोग 19 अगस्त को मनाएंगे. भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 18 अगस्त को रात 9 बजकर 21 मिनट से हो रहा है. अष्टमी तिथि 19 अगस्त को 10 बजकर 59 मिनट तक रहेगी. कैसे करें जन्माष्टमी का व्रत और पूजन | Janmashtmi 2022 Vrat Puja Vidhi जन्माष्टमी व्रत नियम (Janmashtmi Vrat Niyam) के मुताबिक जो लोग श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत (Janmashtmi Vrat 2022) रखना चाहते हैं, वे अष्टमी से एक दिन पहले यानी सप्तमी तिथि को हल्का भोजन करें. साथ ही साथ इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें. इसके साथ ही अगले दिन अष्टमी तिथि को सुबह उठकर नित्य कर्म से निवृत होकर साफ वस्त्र धारण करें. इसके बाद शुद्ध आसन पर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठें. सभी देवी देवताओं को प्रणाम करके हाथ में जल, फल और पुष्प लेकर अष्टमी तिथि को व्रत का संकल्प लें. इसके बाद स्वयं के ऊपर काला तिल छिड़क कर माता देवकी के लिए एक प्रसूति घर का निर्माण करें. फिर इस प्रसूति गृह मे...

Krishna Janmashtami 2022: कब है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी? कैसे रखें व्रत? जानें ये जरूरी बातें

भाद्रपद माह में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन बाल गोपाल को माखन और मिश्री का भोग लगाते हैं. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी ( Janmashtami) एक बड़ा त्योहार है. हिंदू पंचांग के अनुसार, यह भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. मथुरा और वृंदावन में कृष्ण जन्माष्टमी का बहुत महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था और उन्होंने अपना बचपन मथुरा और वृंदावन में बिताया. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पूरे देश और दुनिया में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. लोग इस दिन उपवास करके भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं. आइए पंडित इंद्रमणि शर्मा से जानते हैं जन्माष्टमी 2022 कब है? पूजा विधि क्या है? ये भी पढ़ें- कब है जन्माष्टमी: तिथि और समय इस बार कृष्ण जन्माष्टमी 18 अगस्त 2022 को मनाई जाएगी. अष्टमी तिथि 18 अगस्त 2022 को रात 09:20 बजे से शुरू होगी और 19 अगस्त 2022 को रात 10:59 बजे समाप्त होगी. ये भी पढें: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि कृष्ण जन्माष्टमी 2022 को बहुत ही शुभ त्योहार माना जाता है. इस दिन लोग एक दिन का उपवास रखते हैं- आमतौर पर यह व्रत कृष्ण के जन्म के दिन रखा जाता है और उनके जन्म का जश्न मनाने के बाद लोग अपना व्रत तोड़ते हैं. पूजा मध्यरात्रि के बाद शुरू होती है, जब कृष्ण की मूर्ति को स्नान कराया जाता है. इसके बाद विशेष रूप से कृष्ण को नये वस्त्र पहनाकर पालने में बैठाया जाता है. भक्ति गीत गाकर उनकी पूजा की जाती है और प्रार्थना की जाती है. भगवान कृष्ण को फल, मिठाई और अन्य खाद्य पदार्थ प्रसाद के रूप में चढ़ाए जाते हैं. लोग भगवान श्रीकृष्ण के लगाए गए भोग का प्रसाद ग्रहण कर अपना व्रत तोड़ते हैं. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत श्री...

2022 कृष्ण जन्माष्टमी कब है मुहूर्त,कथा तथा पूजन विधि

Janmashtami vrat 2022 :- कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण जो की विष्णु के आठवे अवतार थे उनका जनमोत्सव है। जन्माष्टमी को भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को अपने अत्याचारी मामा कंस तथा असुरों का विनाश करने के लिए मथुरा में जन्म लिया। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अधर्म के ऊपर धर्म की विजय का प्रतीक माना जाता है। इसलिये भगवान स्वयं इस दिन पृथ्वी पर अवतरित हुए थे अत: इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। इसीलिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर मथुरा नगरी भक्ति के रंगों से सराबोर हो उठती है। कृष्ण जन्मोत्सव पर मथुरा कृष्णमय हो जाता है। मंदिरों को खास तौर पर सजाया जाता है। ज्न्माष्टमी में स्त्री-पुरुष व्रत रखते हैं। देवकीनंदन के जन्मोत्सव पर पूरे भारत में उत्सव और उल्लास का माहौल रहता है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करना बहुत लाभदायक माना जाता है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी के नाम भी जाना जाता है। ग्रेगोरियन पंचांग के अनुसार, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी अक्सर अगस्त और सितंबर के महीने में पड़ती है, यह तिथि हर वर्ष बदलती रहती है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, कई बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी दो दिन पड़ती है। यह दो तिथियां स्मार्त संप्रदाय और वैष्णव संप्रदाय हैं। हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार वैष्णवे लोग हैं, जिन्होंने वैष्णव संप्रदाय में बतलाए गए नियमों के अनुसार विधिवत दीक्षा ली है। ये लोग अधिकतर अपने गले में कण्ठी माला पहनते हैं और मस्तक पर विष्णुचरण का चिन्ह (टीका) लगाते हैं। इन वैष्णव लोगों के अलावा सभी लोगों को धर्मशास्त्र में स्मार्त कहा गया है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि – वे सभी लोग, जिन्होंने विधिपूर्वक वैष...

Janmashtami 2022 : कब है जन्माष्टमी, जानें तिथि, समय, इतिहास और महत्व

जन्माष्टमी एक वार्षिक हिंदू त्योहार है, यह वह दिन है जब भगवान कृष्ण के जन्म का जश्न मनाया जाता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. यह हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है. मथुरा और वृंदावन में कृष्ण जन्माष्टमी का बहुत महत्व है. ऐसा कहा जाता है कि भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था और उन्होंने अपना बचपन मथुरा और वृंदावन दोनों में बिताया. इस शुभ दिन पर भक्त उपवास भी करते हैं. कब है 2022 में जन्माष्टमी : दिनांक कृष्ण जन्माष्टमी 18 अगस्त 2022 को मनाई जाएगी. कृष्ण भक्त एक दिन का उपवास रखने और अगले दिन इसे तोड़ने का संकल्प लेते हैं. कोई जन्माष्टमी के दिन दिन में एक बार भोजन करता है और कोई पूरे दिन केवल फल खाता है. 2022 में कब है जन्माष्टमी : समय अष्टमी तिथि 18 अगस्त 2022 को रात 09:20 बजे से शुरू हो रही है. अष्टमी तिथि 19 अगस्त 2022 को रात 10:59 बजे समाप्त हो रही है. जन्माष्टमी का इतिहास जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था, मथुरा पर उनके चाचा कंस का शासन था. कंस अपनी बहन के बच्चों को मारना चाहता था क्योंकि भविष्यवाणी में कहा गया था कि दंपति का आठवां बेटा कंस के पतन का कारण बनेगा. भविष्यवाणी को सुनने के बाद, कंस ने देवकी और वासुदेव को कैद कर लिया और उनके जन्म के तुरंत बाद उनके पहले छह बच्चों को मार डाला. देवकी के सातवें बच्चे को देवकी के गर्भ से राजकुमारी रोहिणी के गर्भ में डाल दिया गया था. जब उनके आठवें बच्चे, भगवान कृष्ण का जन्म हुआ, तो पूरा महल नींद में चला गया और वासुदेव ने वृंदावन में नंद बाबा और यशोदा के घर में बच्चे को बचाया. इसके बाद वह एक बच्ची के साथ महल में लौट आए और उसे कंस को सौंप दिया. जब दुष्ट राजा ने उसे मारने की कोशिश की, तो ...