ज्योतिष शास्त्र pdf

  1. प्रैक्टिकली ज्योतिष शास्त्र कैसे सीखे
  2. भारतीय ज्योतिष : शास्त्री, नेमीचंद : Free Download, Borrow, and Streaming : Internet Archive
  3. Brihad Jyotish Sar With Hindi PDF
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  5. भारतीय ज्योतिष शास्त्र


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प्रैक्टिकली ज्योतिष शास्त्र कैसे सीखे

Jyotish sikhe in hindi विषय प्रवेश - मेरे द्वारा पत्र पत्रिकाओं में वैसे तो ज्‍योतिष में प्रवेश करने के लिए बाजार में पुस्‍तकों की कमी नहीं , जिसका रेफरेंस मैं अपने पाठकों को देती आ रही हूं , पर अधिक वैज्ञानिक ढंग से पाठकों को ज्‍योतिष की जानकारी दी जा सके , इसलिए मैं खेल खेल में वैज्ञानिक ढंग से ज्‍योतिष की सामान्य जानकारी देने के लिए यह कोर्स तैयार किया, जिसका पीडीऍफ़ आप सबों के साथ साझा करूंगी! आप सबों का साथ मिले तो दुनिया के जान-जान तक ज्योतिषीय ज्ञान पहुंचाने का मेरा प्रयास अवश्‍य सफल होगा। Aao jyotish sikhe in hindi कोई भी कुंडली खोलकर आप जातक के जन्म के वक्त विभिन्न दिशाओ में मौजूद ग्रहों को समझ सकते हैँ! राशि परिचय - हमारे लिए हमारी यह धरती कितनी भी बडी क्‍यूं न हो , पर इतने बडे ब्रह्मांड में इसकी स्थिति एक विंदू से अधिक नहीं है और इसके चारो ओर फैला है विस्‍तृत आसमान। हमारे ऋषि महर्षियों ने पृथ्‍वी को एक विंदू के रूप में मानते हुए 360 डिग्री में फैले आसमान को 30-30 डिग्री के 12 भागों में बांटा था। इन्‍ही 12 भागों को राशि कहा जाता है , जिनका नामकरण मेष , वृष , मिथुन , कर्क , सिंह , कन्‍या , तुला , वृश्चिक , धनु , मकर , कुंभ और मीन के रूप में किया गया है। यह ज्‍योतिष का एक मुख्‍य आधार है और इन्‍हीं राशियों तथा उनमें अनंत की दूरी तक स्थित ग्रहों के आधार पर ज्‍योतिष के सिद्धांतों की सहायता से भविष्‍यवाणियां की जाती है। पर हमेशा से जो ज्‍योतिष विरोधी हैं , वे ज्‍योतिष के इस मुख्‍य आधार को ही गलत सिद्ध करने की चेष्‍टा करते हैं। वे बेतुका तर्क करते हैं कि ज्‍योतिष पृथ्‍वी को अचल मानते हुए अपना अध्‍ययन शुरू करता है , जबकि पृथ्‍वी सूर्य के चारो ओर चक्‍कर लगाती है। विरोधी यह...

भारतीय ज्योतिष : शास्त्री, नेमीचंद : Free Download, Borrow, and Streaming : Internet Archive

Book Source: dc.contributor.author: शास्त्री, नेमीचंद dc.date.accessioned: 2015-08-12T21:22:08Z dc.date.available: 2015-08-12T21:22:08Z dc.date.copyright: 1111 dc.date.digitalpublicationdate: 2009/09 dc.date.citation: 1111 dc.identifier.barcode: 99999990234752 dc.identifier.origpath: /data3/upload/0088/983 dc.identifier.copyno: 1 dc.identifier.uri: http://www.new.dli.ernet.in/handle/2015/341974 dc.description.scannerno: Banasthali University dc.description.scanningcentre: Banasthali University dc.description.main: 1 dc.description.tagged: 0 dc.description.totalpages: 706 dc.format.mimetype: application/pdf dc.language.iso: Hindi dc.publisher.digitalrepublisher: Digital Library Of India dc.publisher: सन्मति मुद्रणालय, वाराणसी dc.source.library: Central Library, Jain Vishva Bharti University, Ladnun dc.subject.classification: ज्योतिष-शास्त्र dc.subject.classification: भारतीय ज्योतिष dc.subject.keywords: ज्योतिष dc.title: भारतीय ज्योतिष dc.type: Print - Paper dc.type: Book Addeddate 2017-01-21 17:20:07 Identifier in.ernet.dli.2015.341974 Identifier-ark ark:/13960/t03z3mr4r Ocr tesseract 5.0.0-alpha-20201231-10-g1236 Ocr_detected_lang hi Ocr_detected_lang_conf 1.0000 Ocr_detected_script Devanagari Ocr_detected_script_conf 0.9978 Ocr_module_version 0.0.13 Ocr_parameters -l hin Pdf_module_version 0.0.13 Ppi 300 Scanner Internet Archive Python library 1.1.0

Brihad Jyotish Sar With Hindi PDF

संस्कृत भाषा में धर्म शास्त्र कई हैं, जैसे कि मनुस्मृति, याज्ञवल्क्य स्मृति, वैष्णव धर्मशास्त्र, शिव धर्मशास्त्र, बौद्ध धर्मशास्त्र आदि। संस्कृत साहित्य में व्याकरण भी एक बहुत महत्वपूर्ण विषय है। पाणिनि का अष्टाध्यायी संस्कृत व्याकरण का मूल ग्रंथ है। संस्कृत न्याय शास्त्र भी महत्वपूर्ण है, जो कि तर्कशास्त्र के रूप में जाना जाता है। न्याय सूत्रों, न्यायवैशेषिक और मीमांसा शास्त्र भी संस्कृत साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। इसके अतिरिक्त, आधुनिक संस्कृत साहित्य में अनेक उपन्यास, कहानियां, कविताएं, नाटक, विज्ञान, इतिहास, धर्म, समाज और संस्कृति से संबंधित अन्य विषयों पर भी लेखन उपलब्ध है। अधिकतम शब्द सीमा के लिए, यह बताया जा सकता है कि संस्कृत साहित्य में अनेक विषयों पर लगभग २०,००० से भी अधिक पुस्तकें उपलब्ध होती हैं।

[PDF] 10 Best Astrology Hindi Books PDF

• • • • • • • • • • Only read: कुछ भावुक लोग होते हैं। वे दूसरों की देखा-देखी तथा कुछ अन्य भावुकों के हाँ-हाँ कर देने से संस्था का गठन कर डालते हैं, सरकार से पंजीकृत भी करा लेते हैं, इसके साथ धन होना चाहिए। यदि कार्यकारिणी के सदस्य ठीक हैं तो धन आ जायेगा और यदि वे ठीक नहीं है तो धन रहते हुए भी संस्था प्रगति नहीं कर सकती। उलटे धन का दुरुपयोग हो जायेगा। यह भली भांति समझ लेना चाहिए की धन धन नहीं है किन्तु मनुस्य धन हैं। जिस संस्था का मुखिया धन का महत्व देता है, संस्था के मनुष्यों एवं सदस्यों को नहीं, उसकी संस्था देर सबेर टूटकर रहती है। यदि संस्था के कार्यकारिणी सदस्य ठीक है तो धन आता है और यदि सदस्य खोटे तथा विभाजित विचार के हैं तो आया हुआ धन चला जाता है। धन धन नहीं है, मनुष्य धन हैं इस बात को हमें अपने अन्तःकरणपातल पर लिख लेना चाहिए। खेद है कि धन के लिए लोग परिवार, समाज एवं संस्था के सदस्यों के साथ विद्वेष कर लेते हैं। वे यह नहीं संघाते की हम अपनी और परिवार, समाज एवं संस्था की बहुत हानि कर रहे हैं। हमें चाहिए कि हम धन की परवाह छोड़कर परिवार, समाज एवं संस्था के सदस्यों को अपना बनाये रखने का प्रयत्न रखें। यह व्यवहार कि बात कि जा रही है, वैराग्य की नहीं। वैराग्य में किसी को अपना पराया मानने कि बात ही नहीं है।

भारतीय ज्योतिष शास्त्र

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