- गरुड़ पुराण की 7 बातें याद रखेंगे तो कभी मात नहीं खाएंगे..
- बौद्ध धर्म का इतिहास और महत्वपूर्ण तथ्य
- दुनिया का सबसे बड़ा धर्म कौन सा है?
- जैन धर्म के सिद्धांत/आदर्श, शिक्षाएं या विशेषताएं
Download: Jain dharm ka sabse mahatvpurn maulik siddhant kya hai
Size: 19.36 MB
गरुड़ पुराण की 7 बातें याद रखेंगे तो कभी मात नहीं खाएंगे..
गरुड़ पुराण से हमे कई तरह की शिक्षाएं मिलती है। गरुण पुराण में, मृत्यु के पहले और बाद की स्थिति के बारे में बताया गया है। यह पुराण भगवान विष्णु की भक्ति और उनके ज्ञान पर आधारित है। प्रत्येक व्यक्ति को यह पुराण पढ़ना चाहिए। गरुड़ पुराण हिन्दू धर्म के प्रसिद्ध धार्मिक ग्रंथों में से एक है। 18 पुराणों में से इसे एक माना जाता है। गरुड़ पुराण में हमारें जीवन को लेकर कई गूढ बातें बताई गई है। जिनके बारें में व्यक्ति को जरूर जनना चाहिए। जिस घर में ऐसे लोग होते हैं जो गंदे वस्त्र पहनते हैं उस घर में कभी भी लक्ष्मी नहीं आती है। जिसके कारण उस घर से सौभाग्य भी चला जाता है और दरिद्रता का निवास हो जाता है। देखा गया है कि जो लोग धन और सभी सुख-सुविधाओं से संपन्न हैं, लेकिन फिर भी वह लोग गंदे कपड़े पहनते हैं उनका धन धीरे धीरे नष्ट हो जाता है। इसलिए हमें साफ एवं सुगंधित कपड़े पहननें चाहिए जिससे हमारे ऊपर महालक्ष्मी की कृपा बनी रहे। हमें हमेशा आधी से ज्यादा बीमारी इस वजह से होती है कि हम असंतुलित खान-पान लेते हैं। जिसके कारण हमारा पाचन तंत्र ठीक से काम नहीं करता है। इसलिए हमें सदैव सुपाच्य भोजन ही ग्रहण करना चाहिए। ऐसे भोजन से पाचन तंत्र ठीक से काम करता है और भोजन से पूर्ण ऊर्जा शरीर को प्राप्त होती है। पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है और इस वजह से हम रोगों से बचे रहते हैं। Pitro ki shanti ke upay : हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास हिंदू वर्ष का चौथा महीना होता है। आषाढ़ माह की अमावस्या के दिन का बहुत महत्व माना गया है। इस हलहारिणी अमावस्या भी कहते हैं। इसके बाद गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ हो जाता है। इस अमावस्या को दान-पुण्य और पितरों की शांति के लिए किए जाने वाले तर्पण के लिए बहुत ही उत्तम एवं विश...
बौद्ध धर्म का इतिहास और महत्वपूर्ण तथ्य
बौद्ध धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और दर्शन है. इसके प्रस्थापक महात्मा बुद्ध शाक्यमुनि (गौतम बुद्ध) थे. वे 563 ईसा पूर्व से 483 ईसा पूर्व तक रहे. ईसाई और इस्लाम धर्म से पहले बौद्ध धर्म की उत्पत्ति हुई थी. दोनों धर्म के बाद यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है. इस धर्म को मानने वाले ज्यादातर चीन, जापान, कोरिया, थाईलैंड, कंबोडिया, श्रीलंका, नेपाल, भूटान और भारत जैसे कई देशों में रहते हैं: (1) बौद्ध धर्म के संस्थापक थे गौतम बुद्ध. इन्हें एशिया का ज्योति पुंज कहा जाता है. (2) गौतम बुद्ध का जन्म 563 ई. पूर्व के बीच शाक्य गणराज्य की तत्कालीन राजधानी कपिलवस्तु के निकट लुंबिनी, नेपाल में हुआ था. (3) इनके पिता शुद्धोधन शाक्य गण के मुखिया थे. (4) सिद्धार्थ के जन्म के सात दिन बाद ही उनकी मां मायादेवी का देहांत हो गया था. (5) सिद्धार्थ की सौतेली मां प्रजापति गौतमी ने उनको पाला. (6) इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था. (7) सिद्धार्थ का 16 साल की उम्र में दंडपाणि शाक्य की कन्या यशोधरा के साथ विवाह हुआ. (8) इनके पुत्र का नाम राहुल था. (9) सिद्धार्थ जब कपिलावस्तु की सैर के लिए निकले तो उन्होंने चार दृश्यों को देखा: (i) बूढ़ा व्यक्ति (ii) एक बिमार व्यक्ति (iii) शव (iv) एक संयासी (10) सांसारिक समस्याओं से दुखी होकर सिद्धार्थ ने 29 साल की आयु में घर छोड़ दिया. जिसे बौद्ध धर्म में महाभिनिष्कमण कहा जाता है. (11) गृह त्याग के बाद बुद्ध ने वैशाली के आलारकलाम से सांख्य दर्शन की शिक्षा ग्रहण की. (12) आलारकलाम सिद्धार्थ के प्रथम गुरू थे. (13) आलारकलाम के बाद सिद्धार्थ ने राजगीर के रूद्रकरामपुत्त से शिक्षा ग्रहण की. (14) उरूवेला में सिद्धार्थ को कौण्डिन्य, वप्पा, भादिया, महानामा और अस्सागी नाम...
दुनिया का सबसे बड़ा धर्म कौन सा है?
हमारे इस बड़ी सी दुनिया में बहुत सारे लोग रहते हैं और उन सभी लोगों के साथ उनका धर्म भी रहता हैं जो एक दूसरे से काफी अलग है. तो यह कहा जा सकता है कि इस बड़ी इस दुनिया में जितने अलग-अलग लोग हैं, उतने ही अलग-अलग धर्म भी है. यह धर्म एक-दूसरे से बिल्कुल अलग होते हैं. साथ ही इनकी मान्यताएं और उनका पालन करने का ढंग भी एक-दूसरे से बिल्कुल अलग होता है। लेकिन परेशानी तब आती है जब लोगों से सवाल किया जाता है कि दुनिया सबसे बड़ा धर्म? यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब कोई नहीं दे सकता है और अगर कोई इस सवाल का जवाब देता भी है, तो वह अपने धर्म को ही सबसे बड़ा धर्म बताता है। पृथ्वी का सबसे पहला धर्म कौन सा है? दुनिया का सबसे बड़ा धर्म कौन सा है? आंकड़े के अनुसार दुनिया का सबसे बड़ा धर्म ईसाई धर्म है. वैसे तो कोई धर्म बड़ा और कोई धर्म छोटा नहीं है. सभी धर्म एक समान है. लेकिन अगर आंकड़े के ऊपर बात करें तो इन धर्मों को मानने वाले लोगों के जनसंख्या के अनुसार यह कहा जा सकता है कि कौन से धर्म बड़ा और कौन सा धर्म छोटा है। चलिए और विस्तार पूर्वक जानते हैं कि दुनिया का सबसे बड़ा धर्म कौन सा है? अलग-अलग धर्मों को मानने वाले लोगों की जनसंख्या के अनुसार सबसे बड़े धर्म हैं। ईसाई धर्म ईसाई धर्म को दुनिया का सबसे बड़ा धर्म माना जाता है क्योंकि पूरी दुनिया में 31 फ़ीसदी आंकड़ा ईसाई धर्म का पालन करने वाले लोगों का है. 2.2 अरब से भी अधिक लोग ईसाई धर्म का पालन करते हैं। इस्लाम धर्म दुनिया के सबसे बड़े धर्मों में इस्लाम धर्म का नाम दूसरे नंबर पर आता है. इस्लाम धर्म का पालन करने वाले लोग मुसलमानों के नाम से जाने जाते हैं. ईसाइयों के बाद पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा इस्लाम धर्म का पालन किया जाता है. 1.6 अरब मुसलमान ...
जैन धर्म के सिद्धांत/आदर्श, शिक्षाएं या विशेषताएं
जैन धर्म जैन धर्म वस्तु के स्वभाव का प्रतिपादक धर्म है। " वत्थु सहावो धम्मो" - प्रवननसार-आचार्य कुन्दकुन्द चूँकि वस्तु अनादि निधन और स्वनिर्मित है। अतः वस्तु (द्रव्य) का प्रतिपादक धर्म भी अनादि निधन है। जैन मत की यह मान्यता है कि जैन धर्म का प्रारंभ किसी व्यक्ति विशेष ने नही किया। अलग-अलग युगों मे तीर्थकरों द्वारा उसको पुनर्जीवित किया जाता है। वास्तव मे जैन ग्रन्थों के अध्ययन से पता चलता है कि जैन धर्म के आदि संस्थापक ऋषभदेव या आदिनाथ भी जैन धर्म के जन्मदाता नही अपितु इस युग के आदि प्रवर्तक है। इस तरह प्रत्येक युग मे चौबीस तीर्थकरों की श्रृंखला होती है। बहरहाल इस युग विशेष मे जैनधर्म के आदि प्रवर्तक और उसे वर्तमान तक लाने मे चौबीस तीर्थकरों की श्रृंखला का योगदान महत्वपूर्ण है। जैन धर्म के 24 तीर्थकर इस प्रकार है-- 1. ऋषभदेव (आदिनाथ) 2. अजितनाथ 3. सम्भवनाथ 4. अभिनन्द नाथ 5. सुमतिनाथ 6. उद्यप्रभु 7. सुपाश्र्वनाथ 8. चन्द्रप्रभु 9. सुविधिनाथ 10. शीतलनाथ 11. श्रेयांसनाथ 12. कसुपूज्य 13. विमलनाथ 14. अनन्तनाथ 15. धर्मनाथ 16. शांतिनाथ 17. कुन्थुनाथ 18. अरनाथ 19. मल्लिनाथ 20. मुनिसुव्रत 21. नमिनाथ 22. नेमिनाथ 23. पार्श्वनाथ 24. महावीर जैन पंथ सुधारवादी और वैदिक परम्परा की शाखा जैन पंथ प्राचीन काल मे भी सामाजिक, धार्मिक विकृतियों के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुआ था। जैन धर्म के सत्य, अहिंसा, इन्द्रिय दमन, सत्कर्म, पुनर्जन्म, तपस्या, सदाचार आदि उपनिषदों के ही सिद्धांत है। जैने भिक्षु एवं साध्वियों की नैतिकता, चरित्र, ब्रह्राचर्य, अनुशासन, संन्यास, दिनचर्या आदि सभी ब्राह्मण धर्म से ही लिये गये है अथवा ब्राह्मण धर्म को आधार बनाया गया है। मेक्समूलर, जेकोबी और बार्थ ने माना है कि जैन धर्म पंथ...