ईस्ट इंडिया एसोसिएशन की स्थापना किसने की थी

  1. [Solved] निम्नलिखित में से किसने 'ईस्ट इंडिया एसोसिए�
  2. ईस्ट इण्डिया कम्पनी
  3. हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन
  4. ईस्ट इंडिया कंपनी और बंगाल के नवाब
  5. इंडियन नेशनल एसोसिएशन की स्थापना कलकत्ता में किसने की थी?
  6. इंडियन एसोसिएशन की स्थापना किसने की थी?
  7. दादाभाई नौरोजी का धन
  8. ईस्ट इंडिया कंपनी और बंगाल के नवाब
  9. दादाभाई नौरोजी का धन


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[Solved] निम्नलिखित में से किसने 'ईस्ट इंडिया एसोसिए�

सही उत्‍तर दादाभाई नौरोजी है। Key Points • ईस्ट इंडिया एसोसिएशन की स्थापना दादाभाई नौरोजी ने 1866में लंदन में भारतीयों और सेवानिवृत्त ब्रिटिश अधिकारियों के सहयोग से की थी। • इसने लंदन इंडियन सोसाइटी का स्थान लिया और भारत के बारे में मामलों और विचारों पर चर्चा करने और सरकार को भारतीयों के लिए प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए एक मंच था। • संगठन ने अपनी स्थापना से एक पत्रिका ( जर्नल ऑफ द ईस्ट इंडिया एसोसिएशन ) का निर्माण किया जिसमें वे पत्र शामिल थे जो उनकी बैठकों से पहले वितरित किए गए थे। Additional Information • दादाभाई नौरोजी, "भारत के ग्रैंड ओल्ड मैन", ब्रिटिश संसद के पहले भारतीय सदस्य थे। • 1865और 1866में नौरोजी ने क्रमशः लंदन इंडियन सोसाइटीऔर ईस्ट इंडिया एसोसिएशनकी स्थापना में मदद की। • वह 1886, 1893 और 1906में तीन बार कांग्रेस अध्यक्षरहे। • दादाभाई नौरोजी 'ड्रेन थ्योरी'के प्रमुख समर्थकों में से थे, उन्होंने अपनी 1901 की पुस्तक 'पॉवर्टी एंड अन-ब्रिटिश रूल इन इंडिया'में इसका प्रसार किया। • दादाभाई नौरोजी का जन्म ब्रिटिश भारत के बॉम्बे में एक गुजराती भाषी पारसी परिवार में हुआ था। • उन्होंने भारतीय राजनीतिक, सामाजिक और साहित्यिक विषयों पर विचार रखने के लिए 1865 में लंदन इंडिया सोसाइटीका गठन किया। • वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके संस्थापक सदस्यथे, जिसे उन्होंने 1885 में दिनशॉ वाचा और एलन ऑक्टेवियन ह्यूम के साथ मिलकर बनाया था। • उन्होंने पारसी धर्म को पुनर्जीवित करने के लिए 1851में रहनुमा मज़्दायस्ने सभाकी भी स्थापना की। • 1917में 91 वर्ष की आयु में बॉम्बेमें उनका निधन हो गया।

ईस्ट इण्डिया कम्पनी

विवरण ईस्ट इण्डिया कम्पनी एक निजी व्यापारिक कम्पनी थी, जिसने 1600 ई. में शाही अधिकार पत्र द्वारा व्यापार करने का अधिकार प्राप्त कर लिया था। स्थापना 1600 ई. के अन्तिम दिन उद्देश्य यह अन्य जानकारी 1708 ई. में ईस्ट इण्डिया कम्पनी की प्रतिद्वन्दी कम्पनी 'न्यू कम्पनी' का 'ईस्ट इण्डिया कम्पनी' में विलय हो गया। परिणामस्वरूप 'द यूनाइटेड कम्पनी ऑफ़ मर्चेंट्स ऑफ़ इंग्लैण्ड ट्रेडिंग टू ईस्ट इंडीज' की स्थापना हुई। कम्पनी और उसके व्यापार की देख-रेख 'गर्वनर-इन-काउन्सिल' करती थी ईस्ट इण्डिया कम्पनी ( East India Company) एक निजी व्यापारिक कम्पनी थी, जिसने 1600 ई. में शाही अधिकार पत्र द्वारा व्यापार करने का अधिकार प्राप्त कर लिया था। इसकी स्थापना 1600 ई. के अन्तिम दिन कम्पनी का भारत आगमन 1608 ई. में कम्पनी का पहला व्यापारिक पोत व्यापार के लिए संघर्ष कम्पनी ने सबसे पहले व्यापार की शुरुआत मसाले वाले द्वीपों से की। 1608 ई. में उसका पहला व्यापारिक पोत कम्पनी की सफलताएँ 1615-18 ई. में सम्राट कोलकाता नगर की स्थापना 1687 ई. में कम्पनी के एक वफ़ादार सेवक कम्पनी को सीमा शुल्क से मुक्ति 1691 ई. में ईस्ट इण्डिया कम्पनी को भारत पर प्रभुसत्ता व्यापार में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के इस एकाधिकार का कई 1661 ई. में ब्रिटेन के राजा चार्ल्स द्वितीय को कम्पनी का स्वरूप कम्पनी के साधारण सदस्यों की एक सभा थी, जिसके कार्य का नियंत्रण एक गवर्नर और चौबीस समितियों को दिया गया था। ये चौबीस समितियाँ चौबीस व्यक्ति थे, जिन्हें बाद में 'निदेशक' कहा जाने लगा और उनकी सभा को 'निदेशक मंडल'। निदेशक का कार्यकाल एक वर्ष का होता था, और वे अगले वर्ष के लिए पुनः चुने जा सकते थे। कम्पनी मात्र एक व्यापारिक संस्था थी। उसे केवल व्यापारिक ...

हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन

अनुक्रम • 1 स्थापना • 2 दल का उद्देश्य और विभाग • 3 दल के प्रमुख कार्य • 4 सन्दर्भ • 5 इन्हें भी देखें स्थापना [ ] हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन की स्थापना अक्टूबर 1924 में संघीय गणराज्य संयुक्त राज्य भारत की स्थापना करना था।। भारत नौजवान सभा के सभी सदस्यों ने सभा का विलय हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन में किया और काफी विचार-विमर्श के बाद आम सहमति से ऐसोसिएशन को एक नया नाम दिया हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसिएशन।। दल का उद्देश्य और विभाग [ ] हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसिएशन का उद्देश्य व अन्तिम लक्ष्य स्वाधीनता प्राप्त करना और समाजवादी राज्य की स्थापना था। दल की ओर से बम का दर्शन नाम से प्रकाशित एक लघु पुस्तिका में क्रान्तिकारी आन्दोलन की समस्या के बारे में अपने विचार खुलकर प्रकट किये गये थे। दल के तीन विभाग रखे गये थे - संगठन, प्रचार और सामरिक संगठन विभाग। संगठन का दायित्व विजय कुमार सिन्हा, प्रचार का दायित्व भगत सिंह और सामरिक विभाग का दायित्व चन्द्र शेखर आजाद को सौंपा गया था।। दल के प्रमुख कार्य [ ] पहले दिसम्बर 1927 में राजेन्द्र लाहिडी, अशफाक उल्ला खाँ, राम प्रसाद 'बिस्मिल' तथा रोशन सिंह - चार को एक साथ फाँसी उसके बाद नवम्बर 1928 में सन्दर्भ [ ] • ↑ सान्याल, जतिन्दरनाथ; यादव, कृपाल चंद्र; सिंह, भगत व सिंह, बाबर (2006). Bhagat Singh: a biography (अंग्रेज़ी में). लॉरेंस: पिनेक्ल टैकनोलजी. पपृ॰40–44. 8178710595. सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list ( • ↑ सिंह, अयोध्या (2003). भारत का मुक्ति संग्राम (3 संस्करण). 81-7917-033-0 (PB) |isbn= के मान की जाँच करें: invalid character ( • ↑ क्रान्त, मदनलाल वर्मा (2006). स्वाधीनता संग्राम के क्रान्तिकारी साहित्य ...

ईस्ट इंडिया कंपनी और बंगाल के नवाब

आधुनिक भारत (Modern Indian History Notes in Hindi)के अंतर्गत भारत में अंग्रेजों ने सबसे पहला राजनैतिक सत्ता बंगाल में हासिल की। भारत में अंग्रेजों का आगमन, जहाँ उन्होंने बंगाल के नवाब से पहले 23 जून 1757 में प्लासी का युद्ध (Battle of Plassey) फिर 22 अक्टूबर 1764 में बक्सर का युद्ध (Battle of Buxar) से हासिल की। जो बंगाल में द्वैध शासन लागू होने तक, कंपनी के अधिकार की एक मजबूत पकड़ बन गई। विषय- • • • • • • • • • • • • • बंगाल का इतिहास | बंगाल का उदय– बंगाल का इतिहास के प्रमुख बंगाल के नवाबों का क्रम निम्न है. स.क्र. कार्यकाल बंगाल नवाबों का नाम 1. 1717-1727 मुर्शिद कुली खां 2. 1727-1739 शुजाउद्दीन मोहम्मद खान 3. 1739-1740 सरफराज खां 4. 1740-1756 अलीवर्दी खां 5. 1756-1757 सिराजुद्दौला मुर्शिद कुली खां (1717-1727) यह मुगल काल में बंगाल का पहला हिन्दु ब्राम्हण सूबेदार (दीवान) था। • मुगल बादशाह औरंगजेब ने 1700 ई. में बंगाल का सूबेदार (दीवान) बनाया। • औरंगजेब की मृत्यु के बाद (1707 ई. में) औरंगजेब का पोता- अजीमुश्शान एवं मुर्शिद कुली खां का विवाद हुआ। • बंगाल की राजधानी ढाका को से हटाकर मुर्शिदाबाद (मकसूदाबाद) को बनाया। • मुगल काल में दिया जाने वाला वार्षिक कर को बंद कर दिया गया। पढ़ें > • प्रमुख विद्रोह उदय नारायण विद्रोह, सीता नारायण विद्रोह, सुजाद खां का विद्रोह एवं नजाद खां विद्रोह था। • फारूखशियर द्वारा 1717 ई. में मुर्शिद कुली खां को बंगाल का सुबेदार बना दिया गया। • मुर्शिद कुली खां द्वारा 1719 ई. में उड़ीसा को बंगाल में विलय कर उड़ीसा की दीवानी मिल गई। • मुर्शिद कुली खां को इजारेदारी प्रथा का जनक कहा जाता है। इजारेदारी प्रथा– किसानों की आय बढ़ाने हेतु दिया जाने वाला ऋण होता...

इंडियन नेशनल एसोसिएशन की स्थापना कलकत्ता में किसने की थी?

साल 1876 में सुरेंद्रनाथ बनर्जी और आनंद मोहन बोस ने इंडियन नेशनल एसोसिएशन की स्थापना की थी। 1886 तक, इस एसोसिएशन को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ मिला दिया गया था। एसोसिएशन ने देश के सभी हिस्सों से शिक्षित भारतीयों और नागरिक नेताओं को आकर्षित किया, और स्वतंत्रता के लिए और भारत की आकांक्षाओं के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बनाया था। इंडियन नेशनल एसोसिएशन की स्थापना 1876 में, सुरेंद्रनाथ बनर्जी और आनंद मोहन बोस ने इंडियन एसोसिएशन की स्थापना की, जो ब्रिटिश भारत में पहला खुले तौर पर राष्ट्रवादी समूह था। “सभी वैध तरीकों से लोगों की राजनीतिक, बौद्धिक और भौतिक प्रगति को बढ़ावा देना” इस संघ के घोषित लक्ष्यों में से एक था। एसोसिएशन ने देश भर से सुशिक्षित भारतीयों और नागरिक नेताओं को आकर्षित किया और भारत की स्वतंत्रता आकांक्षाओं के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में विकसित हुआ। • इंडियन नेशनल एसोसिएशन को एक सार्वजनिक निकाय बनाने के लिए, सुरेंद्रनाथ बनर्जी ने देशव्यापी दौरे को अपनाया था। • भारत के सभी महत्वपूर्ण शहरों में खास कर लखनऊ, मेरठ, लाहौर आदि के लिए व्हाइटन्स ऑफ एसोसिएशन की स्थापना की गई थी। • इंडियन एसोसिएशन से पहले, शिशिर कुमार घोष ने शंभु चरण मुखर्जी के साथ मिलकर 25 सितंबर 1875 को कलकत्ता में ‘द इंडिया लीग’ की स्थापना की। • आनंद मोहन बोस, दुर्गा मोहन दास, नबागोपाल मित्रा, सुरेंद्रनाथ बनर्जी और अन्य जैसे राष्ट्रवादी नेता इससे जुड़े थे। • इसका उद्देश्य भारत के लोगों की राजनीतिक, बौद्धिक और भौतिक उन्नति जैसे विभिन्न वैध साधनों को बढ़ावा देना। Summary: इंडियन नेशनल एसोसिएशन की स्थापना कलकत्ता में किसने की थी? इंडियन नेशनल एसोसिएशन की स्थापना कलकत्ता में सुरेंद्रनाथ बनर्जी और आनंद मो...

इंडियन एसोसिएशन की स्थापना किसने की थी?

Explanation : इंडियन एसोसिएशन की स्थापना आनंद मोहन बोस और सुरेंद्रनाथ बनर्जी ने 26 जुलाई, 1876 को की थी। इस संस्था का उद्देश्य मध्यम वर्ग को ही नहीं अपित् सर्वसाधारण को इसमें लाना था और इसीलिए इसका चंदा पाँच रुपये वार्षिक रखा गया जबकि ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन का चंदा 50 रुपये वार्षिक था। शीघ्र ही इंडियन एसोसिएशन शिक्षित वर्ग के प्रतिनिधियों की मुख्य संस्था बन गई।सुरेंद्रनाथ बनर्जी ने इसके निम्न उद्देश्य बताये थे : (i) देश में सबल जनमत का निर्माण करना, (ii) विभिन्न जातियों के व्यक्तियों को समान राजनीतिक हितों और आकांक्षाओं के आधार पर संगठित करना। (iii) हिंदू-मुस्लिम मित्रता स्थापित करना, (iv) सार्वजनिक आंदोलनों में सामान्य जनता को शामिल करना। यह संस्था ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन की संकीर्ण और जमींदार समर्थक नीतियों के विरुद्ध थी। इसने सिविल सेवा प्रणाली के सुधारों की मांग भी की। इस संस्था के नेताओं ने इसे अखिल भारतीय रूप देने की कोशिश की थी किंतु सफल नहीं हो सकी। Tags :

दादाभाई नौरोजी का धन

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प्रश्नसमुच्चय

• . सदिश राशी • 2. संविधान के प्रारूप पर अंतिम वाचन कब समाप्त हुआ? • 3. कौन-सा तत्व सबसे ज्यादा सक्रिय होता है? • 4. किस स्थान पर बुद्ध ने पांच संन्यासियों के साथ संघ की स्थापना की? • 5. 'उमा की तपस्या', 'शिव पार्वती', 'बसंत प्रमाण'-किस चित्रकार की उत्कृष्ट कृतियां हैं? • 6. सौरमंडल की खोज किसने की? • 7. भारत में पहला उपग्रह प्रक्षेपण वाहन कौन-सा था? • 8. राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग किस मंत्रालय के अधीन है? • 9. व्रजयान बौद्ध धर्म में बुद्ध/बोधिसत्व की संगिनी को क्या कहा जाता था? • 10. 'बनी-ठनी' किस चित्र शैली से सम्बन्धित थी? • 11. 80% से अधिक कोशिकाओं में पाया जाने वाला पदार्थ कौन-सा है? • 12. संविधान सभा द्वारा कब संविधान को पारित कर दिया गया? • 13. न्यूनट की गति का प्रथम नियम क्या कहलाता है? • 14. कलिंग युद्ध का वर्णन अशोक के किस शिलालेख में है? • 15. विश्व प्रसिद्ध पेंटिंग 'मोनालिसा' किसकी कृति है? • 16. सौरमंडल का सबसे ऊँचा पर्वत 'निक्स ओलंपिया' किस ग्रह पर स्थित है? • 17. 'मोनालिसा' नामक चित्र की रचना किसने की? • 18. शिशु मृत्यु-दर में कितने वर्ष की आयु के पूर्व मृत शिशु को शामिल किया जाता है? • 19. बाजार के निरीक्षक को क्या कहा जाता था? • 20. 'मिथिला पेंटिंग' किस राज्य की प्रसिद्ध चित्रकला शैली है? उत्तर 1. सदिश राशि, 2. 26 नवम्बर, 1949 को, 3. पोटि शयम, 4. सारनाथ, 5. नंदलाल बोस की, 6. कॉपरनिकस ने, 7. एस.एल.वी.- 3 , 8. स्वास्थ्य मंत्रालय, 9. तारा, 10. किशनगढ़ शैली, 11. जल, 12. 26 नवम्बर, 1949 को, 13. जड़त्व का नियम, 14. तेरहवें शिलालेख में, 15. लियोनार्दो द विंसी की, 16. मंगल पर, 17. लियोनार्दो द विंसी ने, 18. एक वर्ष के पूर्व, 19. शहना-ए-मंडी, 20. बिहार की • 1. कौन-सा ...

ईस्ट इंडिया कंपनी और बंगाल के नवाब

आधुनिक भारत (Modern Indian History Notes in Hindi)के अंतर्गत भारत में अंग्रेजों ने सबसे पहला राजनैतिक सत्ता बंगाल में हासिल की। भारत में अंग्रेजों का आगमन, जहाँ उन्होंने बंगाल के नवाब से पहले 23 जून 1757 में प्लासी का युद्ध (Battle of Plassey) फिर 22 अक्टूबर 1764 में बक्सर का युद्ध (Battle of Buxar) से हासिल की। जो बंगाल में द्वैध शासन लागू होने तक, कंपनी के अधिकार की एक मजबूत पकड़ बन गई। विषय- • • • • • • • • • • • • • बंगाल का इतिहास | बंगाल का उदय– बंगाल का इतिहास के प्रमुख बंगाल के नवाबों का क्रम निम्न है. स.क्र. कार्यकाल बंगाल नवाबों का नाम 1. 1717-1727 मुर्शिद कुली खां 2. 1727-1739 शुजाउद्दीन मोहम्मद खान 3. 1739-1740 सरफराज खां 4. 1740-1756 अलीवर्दी खां 5. 1756-1757 सिराजुद्दौला मुर्शिद कुली खां (1717-1727) यह मुगल काल में बंगाल का पहला हिन्दु ब्राम्हण सूबेदार (दीवान) था। • मुगल बादशाह औरंगजेब ने 1700 ई. में बंगाल का सूबेदार (दीवान) बनाया। • औरंगजेब की मृत्यु के बाद (1707 ई. में) औरंगजेब का पोता- अजीमुश्शान एवं मुर्शिद कुली खां का विवाद हुआ। • बंगाल की राजधानी ढाका को से हटाकर मुर्शिदाबाद (मकसूदाबाद) को बनाया। • मुगल काल में दिया जाने वाला वार्षिक कर को बंद कर दिया गया। पढ़ें > • प्रमुख विद्रोह उदय नारायण विद्रोह, सीता नारायण विद्रोह, सुजाद खां का विद्रोह एवं नजाद खां विद्रोह था। • फारूखशियर द्वारा 1717 ई. में मुर्शिद कुली खां को बंगाल का सुबेदार बना दिया गया। • मुर्शिद कुली खां द्वारा 1719 ई. में उड़ीसा को बंगाल में विलय कर उड़ीसा की दीवानी मिल गई। • मुर्शिद कुली खां को इजारेदारी प्रथा का जनक कहा जाता है। इजारेदारी प्रथा– किसानों की आय बढ़ाने हेतु दिया जाने वाला ऋण होता...

दादाभाई नौरोजी का धन

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