हरि सिंह नलवा

  1. हरि सिंह ‘उप्पल’ से कैसे बने ‘नलवा’ सरदार?
  2. सरदार हरि सिंह नलवा
  3. देश की खबरें
  4. पाकिस्तान में रातों
  5. सिख विरासत मिटाने में जुटी सरकार, महान सिख योद्धा हरि सिंह नलवा की मूर्ति हटाई


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हरि सिंह ‘उप्पल’ से कैसे बने ‘नलवा’ सरदार?

अपनी तलवार के एक वार से शेर की गर्दन उसके तन से जुदा करने वाले हरि सिंह नलवा की शहादत अफ़ग़ानों के हाथों हुई थी। उनकी शहादत की ख़बर सुनकर शेर-ए- पंजाब महाराजा रणजीत सिंह ने कुछ देर ख़ामोश रहने के बाद कहा था , “मेरे वीर सेनापति हरि सिंह का वियोग मेरे लिए असहनीय है। आज खालसा राज्य के मज़बूत क़िले का बुर्ज ढह गया।” महाराजा के प्रिय और बहादुर सेनापति सरदार हरि सिंह नलवा की शहादत, 30 अप्रैल 1837 को, पाकिस्तान के पख़्तूनख़्वा के क़िले जमरोद में हुई थी।महाराजा रणजीत सिंह के वो शब्द बिल्कुल सच साबित हुए और सरदार नलवा की शहादत के साथ ही खालसा राज्य की नींव में दरारें पड़ गईं थीं । उसी के बाद से सिख राज्य का पतन शुरू हो गया था । एक बार जब महाराजा जंगल में शिकार के लिए गए थे, तब शेर ने अचानक हरि सिंह पर हमला कर दिया था। हरि सिंह ख़िदमतगार के तौर शिकार के वक़्त भी हमेशा महाराजा के साथ होते थे। शेर ने झपट्टा मारकर उन्हें घोड़े से नीचे गिरा दिया। यह सब इतनी तेज़ी से हुआ, कि हरि सिंह म्यान में से तलवार भी नहीं खींच सके। इसके बावजूद, इस बहादुर योद्धा ने हिम्मत नहीं हारी और अपने दोनों हाथों से शेर के जबड़े पकड़ लिए। उन्होंने शेर को पूरी ताक़त से हवा में घुमा दिया। इस तरह शेर की पकड़ ढ़ीली पड़ गई और हरि सिंह को अपनी म्यान से तलवार निकालने का मौक़ा मिल गया। फिर क्या था,पलक झपकते ही शेर का सिर, धड़ से अलग हो गया। इस संबंध में दीवान अमरनाथ ने फ़ारसी में लिखी गई किताब ‘ज़फ़रनामा रणजीत सिंह’ में कुछ इस तरह लिखा है, “महाराजा ने हरि सिंह से ख़िदमतगरी का पद छुड़ा कर उन्हें सरदारी की उपाधि भेंट की और आठ सौ सवार और पैदल सेना का अधिकारी नियुक्त कर सम्मान बख़्श कर हौसला अफज़ाई की।“ सरदार हरि सिंह नलवा की तस्वीर...

सरदार हरि सिंह नलवा

सरदार हरि सिंह नलवा सरदार हरि सिंह नलवा (1791-1837) का भारतीय इतिहास में एक सराहनीय एवम् महत्वपूर्ण योगदान रहा है। भारत के उन्नीसवीं सदी के समय में उनकी उपलब्धियों की मिसाल पाना महज असंभव है। इनका निष्ठावान जीवनकाल हमारे इस समय के इतिहास को सर्वाधिक सशक्त करता है। परंतु इनका योगदान स्मरणार्थक एवम् अनुपम होने के बावज़ूद भी पंजाब की सीमाओं के बाहर अज्ञात बन कर रहे गया है। इतिहास की पुस्तकों के पन्नो भी इनका नाम लुप्त है। आज के दिन इनकी अफगानिस्तान से संबंधित उल्लेखनीय परिपूर्णताओं को स्मरण करना उचित होगा। जहाँ ब्रिटिश, रूसी और अमेरिकी सैन्य बलों को विफलता मिली, इस क्षेत्र में सरदार हरि सिंह नलवा ने अपनी सामरिक प्रतिभा और बहादुरी की धाक जमाने के साथ सिख-संत सिपाही होने का उदाहरण स्थापित किया था। आज जब अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई की सरकार भ्रष्टाचार से जूझ रही है, अपने ही राष्ट्र की सुरक्षा जिम्मेदारियों के लिये अंतरराष्ट्रीय बलों पर निर्भर है और अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा के लगभग 300,000 अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान में तैनात, तालिबानी उग्रवादियों की आंतकी घटनाओं से बुरी तरह संशयात्मक है, यह जानना अनिवार्य है कि हरि सिंह नलवा ने स्थानीय प्रशासन और विश्वसनीय संस्थानों की स्थापना कर यहाँ पर प्रशासनिक सफलता प्राप्त की थी। यह इतिहास में पहली बार हुआ था कि पेशावरी पश्तून, पंजाबियों द्वारा शासित थे। जिस एक व्यक्ति का भय पठानों और अफगानियों के मन में, पेशावर से लेकर काबुल तक, सबसे अधिक था; उस शख्सीयत का नाम जनरल हरि सिंह नलुवा है। सिख फौज के सबसे बड़े जनरल हरि सिंह नलवा ने कश्मीर पर विजय प्राप्त कर अपना लौहा मनवाया। यही नहीं, काबुल पर भी सेना चढ़ाकर जीत दर्ज की। खैबर दर्रे से होने वाले इ...

देश की खबरें

देश की खबरें | पंजाब सरकार राज्य की समृद्ध संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए विरासत उत्सव आयोजित करेगी Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. पंजाब की पर्यटन मंत्री अनमोल गगन मान ने रविवार को कहा कि राज्य सरकार राज्य की समृद्ध संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए विरासत उत्सवों का आयोजन करेगी। चंडीगढ़,11 जून पंजाब की पर्यटन मंत्री अनमोल गगन मान ने रविवार को कहा कि राज्य सरकार राज्य की समृद्ध संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए विरासत उत्सवों का आयोजन करेगी। अनमोल गगन मान ने कहा कि राज्य को 'रांगला' (जीवंत) पंजाब में बदलने के उद्देश्य से साल भर में 22 विरासत मेले और उत्सव आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि संगरूर में तीयां महोत्सव आयोजित होगा जबकि मुक्तसर में माघी पर्व, फरीदकोट में बाबा फरीद आगमन, शहीद भगत सिंह (एसबीएस) नगर में इंकलाब उत्सव, बठिंडा में बैसाखी मेला, पटियाला में विरासत उत्सव, आनंदपुर साहिब में होला मोहल्ला, मानसा में मालवा की संस्कृति और खान-पान पर प्रकाश डालता दून उत्सव, फाजिल्का में पंजाब हस्तशिल्प उत्सव और जालंधर में घुड़सवारी मेले का आयोजन किया जाएगा। पर्यटन मंत्री ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि चंडीगढ़ में सैन्य साहित्य महोत्सव, पठानकोट में नदी मेले और मलेरकोटला में सूफी महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। मंत्री ने कहा कि आनंदपुर साहिब में एक 'निहंग ओलंपिक' शुरू किया जाएगा जबकि जिला तरनतारन में 'दारा सिंह छिंझ ओलंपिक', जहां विजेता को नकद पुरस्कार और राज्य सरकार की ओर से 'रुस्तम-ए-पंजाब' की उपाधि दी जाएगी। इसके अतिरिक्त, रोपड़ और पठानकोट में वार्षिक साहसिक खेल शुरू किए जाएंगे। मंत्री ने घोषणा की कि पहला 'सरदार हरि सिंह नलवा जोश' उत्सव ग...

पाकिस्तान में रातों

पाकिस्तान में रातों-रात हटाई गई महान सिख योद्धा हरि सिंह नलवा की मूर्ति, सिख समुदाय ने जताया रोष पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के हरिपुर जिले में स्थानीय प्रशासन द्वारा महान सिख योद्धा हरि सिंह नलवा की मूर्ति को हटाने के बाद सिख समुदाय में काफी रोष है। सिख समुदाय ने कहा कि हरि सिंह की मूर्ति को हटाकर उनकी भावनात्मक और धार्मिक मूल्यों को चोट पहुंचाई है। इस्लामाबाद, एएनआइ: पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के हरिपुर जिले में स्थानीय प्रशासन द्वारा महान सिख योद्धा हरि सिंह नलवा की मूर्ति को हटाने के बाद सिख समुदाय में काफी रोष है। सिख समुदाय ने हरि सिंह नलवा की मूर्ति को हटाए जाने पर गुस्सा जताया है। उहोंने कहा कि, हरि सिंह की मूर्ति को हटाकर प्रशासन ने उनके भावनात्मक और धार्मिक मूल्यों को चोट पहुंचाई है। दरअसल, हरि सिंह नलवा की मूर्ति को 2017 में चौक पर लगाया गया था। हरि सिंह नलवा ने महाराजा रणजीत सिंह के साम्राज्य की स्थापना और उसकी विजय में प्रमुख भूमिका निभाई थी। जानकारी के अनुसार, हरि सिंह का जन्म 1791 में पंजाब के गुजरांवाला में हुआ था और वह महाराजा रणजीत सिंह की सिख सेना खालसा के कमांडर-इन-चीफ थे। उन्होंने कई लड़ाइयां लड़ीं, लेकिन वे कसूर, मुल्तान, अटक, पेशावर और जमरूद को जीतने के लिए प्रसिद्ध हैं। अप्रैल 1837 में जमरूद में हरि सिंह की मृत्यु हो गई थी। जब हरि सिंह नलवा की प्रतिमा स्थापित की गई थी। तो प्रशासन की तरफ से लाख दावे किए गए थे। मूर्ति स्थापित करते वक्त ये कहा गया था कि, धार्मिक पर्यटन और सहिष्णुता को बढ़ावा दिया जा रहा है। हालांकि, मूर्ति को हटाकर प्रशासन ने अपने उन वादों को भी भुला दिया। प्रतिमा हटाए जाने से आक्रोशित सिखों का कहना है कि, पाकिस्तान में ...

सिख विरासत मिटाने में जुटी सरकार, महान सिख योद्धा हरि सिंह नलवा की मूर्ति हटाई

इस्लामाबाद. पाकिस्तान (Pakistan) में एक बार फिर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया गया है. खैबर पख्तूनख्वा (Khyber Pakhtunkhwa) के हरिपुर में स्थानीय प्रशासन द्वारा सिद्दीकी-ए-अकबर चौक (Siddique-i-Akbar Chowk) से महान सिख जनरल हरि सिंह नलवा (Great Sikh General Hari Singh Nalwa) की एक मूर्ति को हटा दिया गया है. आठ फीट लंबी धातु की संरचना का निर्माण सितंबर में किया गया था. मूर्ति को शहर के सौंदर्यीकरण योजना के तहत स्थापित किया गया था. रिपोर्ट्स में बताया गया है कि मूर्ति के साथ-साथ इसके पुख्ता बेस की कीमत लगभग 25 लाख रुपये है. दरअसल, चौराहे पर लगाई गई इस मूर्ति को लेकर धार्मिक समूहों ने आपत्ति जताई थी. इसके बाद प्रशासन ने स्मारक को चौराहे से हटा दिया. इस चौराहे का नाम इस्लाम के पहले खलीफा हजरत अब्दुल बकर (आरए) के नाम पर रखा गया है. इस वजह से ही मूर्ति को लेकर आपत्ति जताई गई थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, महाराजा हरि सिंह नलवा (Maharaja Hari Singh Nalwa) की मूर्ति को जीटी रोड पर पूर्व में आधा फरलांग दूर एक टैंक में ले जाया जाएगा. वहीं, खलीफा के नाम का एक नया स्मारक सिद्दीकी-ए-अकबर चौक पर स्थापित किया जाएगा. बलूचिस्तान में PAK सेना पर बड़ा हमला, आतंकियों ने 45 जवानों को मारने का किया दावा बीजेपी नेता मनजिंदर सिंह सिरसा (Manjinder Singh Sirsa) ने सिख समुदाय (Sikh community) के लिए भावनात्मक रूप से महत्व वाली मूर्ति को हटाने पर कड़ी आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सरकार (Pakistan government) देश से सिख इतिहास और विरासत को कम करने की कोशिश कर रही है. सिरसा ने ट्वीट कर कहा, ‘पाकिस्तान सरकार ने हरि सिंह नलवा की हवेली की मरम्मत करने का वादा किया था, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है. ...