बुरांश का फूल

  1. जानें बुरांश के जूस का आयुर्वेद में क्या है महत्व
  2. बुरांश फूल के फायदे व नुकसान
  3. कैंसर और दिल की बीमारियों का बेजोड़ इलाज है बुरांश..जानिए इसके फायदे – Sajapost.com
  4. उत्तराखण्ड का राज्य वृक्ष बुरांश
  5. बुरांश के फूलों से सजा उत्तराखंड के पहाड़ों का आँचल।
  6. बुरांश फूल : लाभ और उपयोग - miniwebsansar.com
  7. Buransh flower in hindi
  8. ढाक के तीन पात: बुरांश (Buransh) बनाम पलाश


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जानें बुरांश के जूस का आयुर्वेद में क्या है महत्व

बसंत ऋतु में 1500 मीटर से अधिक हिमालयी क्षेत्र में बुरांश के फूल सभी को अपनी ओर आकृषित करता है। बुरांश दिखने मे ही सुंदर नहीं होता इस में कई लाभदाई गुण होते हैं। इसलिए ही प्राचीन काल से ही आयुर्वेद में बुरांश को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। रोडोडेंड्रोन प्रचाति के इस पेड़ में सीजन में ही फूल खिलते हैं। इन फूलों का रंग लाल, गुलाबी और सफेद होता है। लेकिन लाल बुरांश सबसे ज्यादा औषधिय गुणों से भरपूर होता है। बुरांश के फूल का जूश हृदय रोग, किडनी, लिवर के अलावा रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने और हड्डियों को सामान्य दर्द के लिए बहुत लाभदायी होता है। राज्य वृक्ष और इतने सारे औषधिय गुण होने के बावजूद भी बुरांश के फूलों का वैज्ञानिक तौर पर दोहन नहीं होता है। स्थानीय स्तर पर ही इस के फूलों का जूस बनाया जाता है। यदि इस का ब्यवसायिक उपयोग के लिए प्रयोग किया जाये तो इससे प्रदेश का राजस्व भी बढ़ सकता है। बुरांश के जूस की मांग अन्य प्रदेशों में भी बहुत है। पौड़ी की ही बात करें तो यहां से प्रत्येक सीजन में 5 हजार लीटर से अधिक जूस बिकता है। 80 रूपए प्रति लीटर के हिसाब से पौड़ी के जूस विक्रेता इसे बेच रहे हैं। जूस के अलावा बुरांश की पत्तियां जैविक खाद बनाने में और इस की लकड़ी फर्नीचर व कृषि उपकरण बनाने में प्रयोग की जाती है। आप फेसबुक और टि्वटरपर फॉलो कर सकते हैं. .

बुरांश फूल के फायदे व नुकसान

बुरांश के फूलों में मेथेनॉलिक और इथाइल एसिटेट गुण होता है, जिनकी वजह से यह एक बढ़िया एंटी-इंफ्लेमेटरी साबित हुआ है. इसमें सैपोनिन, फ्लेवोनॉइड, फाइटोकेमिकल और टैनिन भी है. ये सब मिलकर एक बढ़िया एंटीइंफ्लेमेटरी मेडिसिन के तौर पर काम करते हैं. (और पढ़ें - myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को सेक्स समस्याओं के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं। सालों से बुरांश के फूलों का इस्तेमाल डायरिया को ठीक करने में किया जाता है. इसके फूलों को सुखाकर पाउडर बनाया जाता है और फिर इसका इस्तेमाल किया जाता है. कई अध्ययन बताते हैं कि बुरांश के फूलों में इथाइल एसिटेट पाया जाता है, जो एंटी-डायरिया एक्टिविटी के तौर पर शानदार तरीके से काम करता है. फ्लेवोनॉयड, टैनिन, स्टेरॉल और शुगर की कम मात्रा डायरिया को ठीक करने में असरकारी माने जाते हैं. बुरांश के फूलों में ये सारे फाइटोकेमिकल्स होते हैं. (और पढ़ें - बुरांश के फूलों का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाइयों में कोलेस्ट्रॉल को कम करने और लिवर टॉनिक के तौर पर किया जाता रहा है. कई अध्ययन बताते हैं कि बुरांश के फूलों के एक्सट्रैक्ट के इस्तेमाल से कार्बन टेट्राक्लोराइड इनटॉक्सीकेशन से होने वाले लिवर डैमेज से बचाया जा सकता है. केरसेटिन संबंधित फ्लेवोनॉयड, सैपोनिन और फेनोलिक कंपाउंड बुरांश के फूलों में पाए जाते हैं. ये सब मिलकर लिवर को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं. बुरांश के फूल हमारे स्वास्थ्य के लिए कई तरह से लाभदायक हैं. इसका कारण इसमें एंटीमाइक्रोबियल, एंटी इन्फ्लेमेट्र...

कैंसर और दिल की बीमारियों का बेजोड़ इलाज है बुरांश..जानिए इसके फायदे – Sajapost.com

बुरांश का वृक्ष न सिर्फ सुंदरता बल्कि अपने औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है, यही वजह है कि बुरांश को उत्तराखंड के राज्य वृक्ष का दर्जा दिया गया है बुरांश….उत्तराखंड का राज्य वृक्ष। पर्वतीय इलाकों में जंगल आजकल बुरांश के फूलों से लद गए हैं। जिसने पर्वतों की सुंदरता पर चार चांद लगा दिए हैं चमोली जिले में भी बुरांश के फूल चमोली जिले में भी बुरांश के फूल अपनी लालिमा बिखेर रहे हैं। आमतौर पर लोगों ने लाल बुरांश देखे हैं, लेकिन अब पर्वतीय इलाकों में गुलाबी और सफेद बुरांश भी नजर आने लगे हैं। बुरांश का वृक्ष न सिर्फ सुंदरता बल्कि अपने औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है, यही वजह है कि बुरांश को उत्तराखंड के राज्य वृक्ष का दर्जा दिया गया है। नेपाल ने इसे अपना राष्ट्रीय पुष्प बनाया है। चलिए आपको बुरांश के बारे में कुछ रोचक तथ्य बताते हैं। बुरांश का सामान्य वैज्ञानिक नाम रोडोडेंड्रोन आर्बोरियम है। यह अफ्रीका के जंगलों और दक्षिणी अमेरिका को छोड़कर विश्व के सभी नमी युक्त क्षेत्रों में पाया जाता है। बुरांश की लगभग 1025 प्रजातियां सिर्फ एशिया में पाई जाती हैं 93 प्रतिशत प्रजातियां केवल हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाती है बुरांश का फूल उत्तराखंड में ही नहीं बल्कि भूटान, चीन, नेपाल, पाकिस्तान, थाईलैंड और श्रीलंका में भी पाया जाता है। इसकी 93 प्रतिशत प्रजातियां केवल हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाती है। आयुर्वेदिक पद्धति की मशहूर दवा अशोकारिष्ट में भी बुरांश का प्रयोग किया जाता है। कर्णप्रयाग के राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर इंद्रेश पांडेय कहते हैं कि बुरांश में एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी डायबिटिक, एंटी डायरिल और हिपेटोप्रोटिक्टिव एक्टिविटी होती है। आयरन की कमी, ...

उत्तराखण्ड का राज्य वृक्ष बुरांश

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बुरांश के फूलों से सजा उत्तराखंड के पहाड़ों का आँचल।

जानिए क्या है बुरांश के फूलों के औषधीय गुण ?गुलाबी रंग व लाल रंग के बुरांश के फूलों (Rhododendron Arboreum) का जूस पीने का क्या है फायदा । Rhododendron Arboreum ( बुरांश) ऋतुराज बसंतऋतु के आगमन के साथ ही धरती फिर अपने आप को सजाने संवारने में लग जाती है।प्रकृति अनेक तरीकों से अपने श्रृंगार में जुटी रहती है।उत्तराखंड की धरती भी अपने श्रृंगार में कोई कसर नहीं छोड़ती।वह भी अपनी बसंती चुनर को बुरांश के सुर्ख चटक लाल तथा गुलाबी रंग के फूलों से साथ साथ खुमानी, आडू ,पूलम ,नाशपाती, फ्योली के रंग बिरंगे फूलों से सजा कर अपने श्रृंगार में चार चांद लगाती हैं। बांटैनिकल नाम – गुलाबी रंग के बुरांश के फूलों को ( Rhododendron Campanulatum) , लाल रंग के बुरांश के फूलों (Rhododendron Arboreum) नाम से जाना जाता है। रोडोडेंड्रोन अर्बोरियम (लाल बुरांश) एरीकेसी कुल के अंतर्गत आता है । उत्तराखंड राज्य वृक्ष (Rhododendron Arboreum , State Tree) उत्तराखंड राज्य में अत्यधिक मात्रा में पाए जाने वाले बुरांश के इस वृक्ष को उत्तराखंड में“राज्य वृक्ष” की उपाधि से नवाजा है।यानी रोडोडेंड्रोन अर्बोरियम (लाल बुरांश) का यह वृक्ष उत्तराखंड का राज्य वृक्ष है। नेपाल का राष्ट्रीय फूल (Rhododendron Arboreum, National Flower of Nepal) लाल बुरांश को 2006 में पड़ोसी देश नेपाल ने अपने “राष्ट्रीय फूल” के रूप में अपनाया । इसे नेपाल में “लालगुरांस” कहते है । क्षेत्र (बुरांश के फूल उगने वाले क्षेत्र) उत्तराखंड के मध्य हिमालयी क्षेत्र मुनस्यारी में गुलाबी रंग का बुरांश 2700 मीटर की ऊंचाई में पाया जाता है।वही मुक्तेश्वर नैनीताल के निकटस्थ क्षेत्रों तथा पिथौरागढ़ के जंगलों में 2000 मीटर की ऊंचाई में भी गुलाबी और लाल रंग के बुर...

बुरांश फूल : लाभ और उपयोग - miniwebsansar.com

बुरांश क्या है ? बुरांश एक लाल रंग का फूल है जो उत्तराखंड राज्य का राष्ट्रीय वृक्ष है । बुरांश का फूल नेपाल का राष्ट्रीय फूल भी है । इसके फूलों का इस्तेमाल दवाई बनाने के लिए किया जाता है । हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों में इसके फूलों से शर्बत भी बनाया जाता है । जब गर्मी का मौसम आता है तो बुरांश के वृक्ष में फूल आते हैं । बुरांश की दो प्रजातियों का प्रयोग चिकित्सा के लिए किया जाता है, जो निम्नलिखित हैं :- बुरांश ( Rhododendron arboreum Sm.) बुरांश का यह वृक्ष लगभग 10 मीटर ऊंचा होता है । यह हमेशा हरा रहता है । इसके पत्ते शाखाओं के छोड़ पर गुच्छों में होते हैं । पत्ते 5 -15 सेमी लम्बे , चमड़े के रंग के होते हैं । इसके फूल मखमली और लाल रंग के होते हैं । मदगन्धा बुरांश ( Rhododendron campanulatum D. Don) यह पौधा लगभग 1-4.5 मीटर ऊंचा और झाड़ीदार वृक्ष होता है । यह भी हमेशा हरा रहता है । यह हिमालय और कश्मीर के उच्च पर्वतीय शिखरों में पाया जाता है । इसके पत्ते चमकीले और चिकने होते हैं । इसके फूल सफेद और गुलाबी रंग के होते हैं | बुरांश कहां पाया या उगाया जाता है ? भारत में कई स्थानों पर बुरांश के पौधे पाए जाते है । यह भारत में हिमालयी क्षेत्रों में 2500 मीटर की ऊंचाई तक पाया जाता है । नेपाल में इसकी कई प्रजातियां पाई जाती हैं । आयुर्वेद में बुरांश के बारे में कई अच्छी बातें बताई गई हैं । यहां बुरांश के फायदे के बारे में पूरी जानकारी दी जा गई है । आइए जानते हैं कि आप किस-किस बीमारी में बुरांश से लाभ ले सकते हैं। बुरांश के फायदे और उपयोग आइए जानते हैं कि बुरांश का औषधीय प्रयोग कैसे कर सकते हैं । बुरांश से इलाज करते समय प्रयोग की मात्रा क्या होनी चाहिए और इसकी विधियां क्या है- सिर दर्द ...

Buransh flower in hindi

यूँ तो हिमालयी क्षेत्र में कई प्रकार की दुर्लभ जडीबूंटियाँ पाई जाती हैं, जिनका इस्तेमाल विभिन्न रोगों के इलाज के लिए किया जाता है, इन्ही जड़ी बूटियों में से एक बुरांश भी है ( Buransh flower) आई-आई-टी मंडी के वैज्ञानिकों अनुसार बुरांश में ऐसे एंटीवायरल गुण पाए गए हैं, जो Corona Virus जैसे घातक संक्रमण को रोकने में असरदार साबित हो सकते हैं। तो चलिए जानते हैं, Buransh flower क्या होता है, Buransh flower in hindi, इसके health benefits क्या हैं, और जानेंगे की आख़िर क्यों बुरांश को कोरोना के रोकथाम में असरदार माना जा रहा है। Buransh flower in Hindi | बुरांश क्या है बुरांश (बुरुश) उत्तराखंड का राज्य वृक्ष है, यह उत्तराखंड के कुमाऊं व गढ़वाल क्षेत्र तथा दूसरे पहाड़ी राज्यों जैसे हिमांचल प्रदेश इत्यादि में भी पाया जाता है। बुरांश का यह वृक्ष हिमालयी क्षेत्र में 1600 से 4000 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाने वाला सदाबहार वृक्ष है। बुरांश के वृक्ष की ऊंचाई लगभग 5 से 10 मीटर होती है, इसके पत्ते गुच्छों में लगे होते हैं, और यह वृक्ष 12 महीने हरा रहता है। बुरांश के वृक्ष में मार्च व अप्रैल के महीने में गाढ़ें लाल रंग के फूल खिलते हैं, और यही वह नायाब Buransh ka fool होता है, जिसके ना सिर्फ स्वास्थ संबंधित अनगिनत फायदे हैं, बल्कि साल के इस समय में खिले हुवे यह लाल बुरांश पहाड़ की खूबसूरती में भी चार चाँद लगा देते हैं। बुरांश के वृक्ष का वैज्ञानिक नाम रोडोडेंड्रन (Rhododendron) है, जो की एक ग्रीक भाषा का शब्द है, जिसमे Rhod का अर्थ होता है, गुलाबी लाल और dendron वृक्ष को कहा जाता है। पहाड़ के निवासी पहले से ही बुरांश के फूलों का भरपूर इस्तेमाल करते आए हैं, जहाँ छोटे बच्चे इन फूलों को सीधे तोर पर खाना प...

ढाक के तीन पात: बुरांश (Buransh) बनाम पलाश

पहाड़ में एक कहावत है, “अकरमि को कपाल बुरांस (Buransh) को फूल जैकि वासना नै।” अर्थात् अभागे व्यक्ति की क़िस्मत बुरांस के फूल जैसी होती है जिसमें कोई ख़ुशबू नहीं होती है। एक और कहावत है जो पहाड़ के साथ साथ उत्तर भारत के तक़रीबन सभी मैदानी क्षेत्र में सुनने को मिलता है: ‘ढाक के तीन पात’। गूगल भी आपको बता देगा कि इस मुहावरे का अर्थ होता है, “जिसका कोई महत्व नहीं हो”। बुरांश (Buransh) और ढाक (पलाश) के फूल से सम्बंधित इन दोनो कहावतों में एक बात समान है कि कहावत गढ़ने वालों ने ढाक और बुरांश के महत्व को नकारा है। ऐसा क्यूँ होता है कि एक फूल जो स्थानीय समाज और संस्कृति में बहुत महत्व रखता है पर कहावतों में उसे बदनाम किया जाता है? इन्हीं सवालों को बीच घूमता ये लेख पढ़िए और परिचर्चा में शामिल हो: बुरांश (Buransh) सिर्फ़ उत्तराखंड में नहीं बल्कि हिमालय के लगभग सभी हिस्सों के साथ-साथ थाईलैंड और श्रीलंका में भी पाया जाता है। बुरांश उत्तराखंड का यह राजकीय वृक्ष है और नागालैंड का राजकीय फूल है वहीं नेपाल का यह राष्ट्रीय फूल है। इसी तरह पलाश का फूल भी हिंदुस्तान के लगभग सभी हिस्सों के साथ साथ पाकिस्तान से लेकर वियतनाम तक पाए जाते हैं और झारखंड का राजकीय फूल भी है। इतनी विख्यती के बावजूद इन फूलों के प्रति ये कुछ प्रसिद्ध नकारात्मक कहावतें कुछ न कुछ तो इनके इतिहास के प्रति इशारा करती है जो हमें जानने की ज़रूरत है। “इतिहास ने बुरांश (Buransh) और पलाश (पलाश) दोनो के साथ अन्याय किया है” बुरांश (Buransh), पहाड़ों का फूल, मार्च से मई तक पूरे उत्तराखंड में खिलने वाला ये फूल वैसे तो अपने लाल रंग में प्रचारित है पर तापमान और ऊँचाई के साथ इनके रंग बदलते हैं। दो हज़ार मीटर से अधिक ऊँचाई की ओर जैसे जै...