26 जनवरी के बैनर

  1. Republic Day 2022 Speech : gantantra diwas Speech and Essay Ideas why it celebrated on 26 january history
  2. REPUBLIC DAY 2023: गणतंत्र दिवस परेड में पहली बार NCB की झांकी शामिल होगी, जिसके जरिये नशा से दूरी का संदेश दिया जाएगा
  3. सरदार (2022 फिल्म)
  4. Republic Day 2023 january 26 know indian constitution interesting facts bharat ka samvidhan pcup
  5. 1965 के युद्ध में पाकिस्तान के 156 बम मंदिर को छू नहीं सके, 2001 का भूकंप भी बेअसर रहा
  6. Independence Day 2022:गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस में क्या अंतर है? जानें दोनों का इतिहास और महत्व
  7. Independence Day 2022:गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस में क्या अंतर है? जानें दोनों का इतिहास और महत्व
  8. Republic Day 2022 Speech : gantantra diwas Speech and Essay Ideas why it celebrated on 26 january history
  9. 1965 के युद्ध में पाकिस्तान के 156 बम मंदिर को छू नहीं सके, 2001 का भूकंप भी बेअसर रहा


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Republic Day 2022: हर साल आप 26 जनवरी के अवसर पर राजपथ पर आयोजित परेड को दूरदर्शन या अन्य के माध्यम से देखते हैं| लेकिन क्या आपको पता है कि 26 जनवरी की परेड के आयोजन की जम्मेवारी किसकी है एवं इसके आयोजन में कितना खर्च होता है? इस लेख में हम 26 जनवरी की परेड से जुड़े 13 रोचक तथ्यों का विवरण दे रहें हैं| Republic Day 2022: यह हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है और इस साल भारत अपना 73वां गणतंत्र दिवस मनाएगा. यह बुधवार को पड़ रहा है. इस साल 26 जनवरी 2022 को गणतंत्र दिवस परेड के समय में बदलाव किया गया है. अधिकारियों के अनुसार परेड के दिन दिल्ली में कोहरे के पूर्वानुमान के कारण परेड सुबह 10 बजे के बजाय 10:30 बजे शुरू होगी. गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर अहमदाबाद का साबरमती रेलवे स्टेशन आकर्षक लाइटिंग से सजा हुआ है International airport at Chennai colorfully decked up for the भारत में 26 जनवरी को एक राष्ट्रीय पर्व का दर्जा प्राप्त है. 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस भी कहा जाता है क्योंकि इसी दिन सन 1950 में हमारे देश में संविधान लागू किया गया था. इस दिन लगभग 2 लाख लोग गणतंत्र दिवस की परेड को देखने आते हैं. परेड के दौरान राष्ट्रपति को 21 तोपों की सलामी दिए जाने की प्रथा है. क्या आप जानते है कि 21 तोपों की यह सलामी 21 बंदूकों से नहीं, बल्कि भारतीय सेना की 7 तोपों से दी जाती है जिन्हें '25 पाउंडर्स' कहा जाता है. राष्ट्रगान शुरू होते ही पहली सलामी दी जाती है और ठीक 52 सेकंड बाद आखिरी सलामी दी जाती है. परेड से कुछ दिन पहले ही इंडिया गेट और आसपास के क्षेत्र को एक अभेद्य किले में बदल दिया जाता है. परेड को सुचारू ढ़ंग से संचालित करने के लिए सेना के हजारों जवानों के अलावा कई अन्य लोग भ...

Republic Day 2022 Speech : gantantra diwas Speech and Essay Ideas why it celebrated on 26 january history

Republic Day 2022 : हर वर्ष 26 जनवरी का दिन भारत में गणतंत्र दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस बार देश अपना 73वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। दरअसल 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू किया गया था। भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया गया। इस वजह से हर साल 26 जनवरी का दिन राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस के तौर पर मनाया जाता है। 26 नवंबर, 1949 को देश की संविधान सभा ने वर्तमान संविधान को विधिवत रूप से अपनाया था, इसलिए इस दिन को देश में संविधान दिवस के तौर पर मनाया जाता है। 2- आजादी से पहले 26 जनवरी को ही स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता था। करीब 18 वर्ष तक 26 जनवरी को पूर्ण स्वराज दिवस (स्वतंत्रता दिवस) मनाया जाता रहा। 3- आजादी के आंदोलन से लेकर देश में संविधान लागू होने तक, 26 जनवरी की तारीख का अपना महत्व रहा है। 31 दिसंबर 1929 को कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में प्रस्ताव पारित कर भारत के लिए पूर्ण स्वराज की मांग की गई थी। कहा गया कि अगर ब्रिटिश सरकार ने 26 जनवरी, 1930 तक भारत को उपनिवेश का दर्जा (डोमीनियन स्टेटस) नहीं दिया, तो भारत को पूर्ण स्वतंत्र घोषित कर दिया जाएगा। 26 जनवरी 1930 को पहली बार स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। इसी दिन जवाहर लाल नेहरु ने तिरंगा फहराया था। फिर देश को आजादी मिलने के बाद 15 अगस्त 1947 को अधिकारिक रूप से स्वतंत्रता दिवस घोषित किया गया। इस तरह आजादी मिलने से पहले ही 26 जनवरी, अनौपचारिक रूप से देश का स्वतंत्रता दिवस बन गया था। 4- 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव लागू होने की तिथि को महत्व देने के लिए ही 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू किया गया था। इसके बाद 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस घोषित किया गया। 5- साल 1950 में देश के पहल...

REPUBLIC DAY 2023: गणतंत्र दिवस परेड में पहली बार NCB की झांकी शामिल होगी, जिसके जरिये नशा से दूरी का संदेश दिया जाएगा

Last Updated: January 23, 2023 20:21 IST REPUBLIC DAY 2023: गणतंत्र दिवस परेड में पहली बार NCB की झांकी शामिल होगी, जिसके जरिये नशा से दूरी का संदेश दिया जाएगा NCB To Make Republic Day Parade : नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड के दौरान पहली बार अपने कुछ कर्मियों के साथ एक झांकी प्रदर्शित करेगा। जानिए क्या और कैसे काम करती है 'NCB'? Narcotics Control Bureau की स्थापना मार्च 1986 में हुई थी। NCB देश की खुफिया एजेंसी CBI, CID और IB की तरह ही एक ब्यूरो है। यह गृह मंत्रालय के अधीन काम करता है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो डायरेक्टर जनरल IPS (Indian Police Services) या IRS (Internal Revenue Service) के अधिकारी होते हैं। देश में हो रहे अवैध ड्रग्स तस्करी पर रोक लगाने का काम करती है। इसे देश के किसी भी हिस्से में जाकर जांच करने का अधिकार प्राप्त है और साथ में अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ भी संबंध बनाना भी इसका काम होता है। झांकी का मुख्य संदेश झांकी द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले संदेश को और प्रकट करते हुए एनसीबी की उप महानिदेशक मोनिका बत्रा ने कहा, “हमारी झांकी में संदेश सबसे ऊपर है, 'नशा मुक्त भारत’, और इसके सामने खड़े लोगों का एक समूह, भारत की विभिन्न वेशभूषा पहने और अपनी बाहें पकड़े हुए है। नीचे बैनर के साथ 'टुगेदर वी कैन डू इट' लिखा है। मोनिका ने कहा,"हम अपने देश को नशीली दवाओं के खतरे से सुरक्षित रख सकते हैं"। यह पढ़ें: गणतंत्र दिवस में शामिल होंगी 23 झांकियां इस साल के गणतंत्र दिवस परेड में 23 झांकियों को शामिल किया जा रहा है, जिनमें से 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की हैं, जबकि छह झांकियां विभिन्न मंत्रालयों और विभागों की हैं। सभी झांकियां...

सरदार (2022 फिल्म)

अनुक्रम • 1 उत्पादन • 1.1 विकास • 1.2 कलाकार • 1.3 फिल्माने • 1.4 संगीत • 2 सन्दर्भ उत्पादन [ ] विकास [ ] अक्टूबर 2020 में, सूत्रों ने दावा किया कि कार्ति को पीएस मिथरन द्वारा अभिनीत नई फिल्म में अभिनय करने की सूचना है, जिन्होंने विशाल की कलाकार [ ] अप्रैल 2021 में, राशी खन्ना को कार्थी के साथ अभिनय करने के लिए मुख्य अभिनेत्री के रूप में घोषित किया गया था, जिसमें सिमरन को फिल्म में एक सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका निभाने के लिए साइन किया गया था। फिल्माने [ ] फिर, पहले दिन की शूटिंग 26 अप्रैल 2021 को शुरू की गई। संगीत [ ] फिल्म का संगीत जीवी प्रकाश कुमार द्वारा तैयार किया गया है, जो मिथ्रन के मानक संगीतकार युवान शंकर राजा की जगह ले रहे हैं और तीसरी बार कार्थी के साथ काम कर रहे हैं। कार्ति द्वारा गाए गए "येरुमायलेरी" नामक फिल्म का पहला एकल 2 अक्टूबर 2022 को जारी किया गया था। सन्दर्भ [ ] • The Times of India. मूल से 24 May 2022 को . अभिगमन तिथि 24 May 2022. • m.timesofindia.com (अंग्रेज़ी में) . अभिगमन तिथि 2022-10-13. • 'Sardar' box office collection: Karthi starrer enters the Rs 100 crore club". • ↑ The Times of India. मूल से 18 June 2021 को . अभिगमन तिथि 10 May 2021. • The Times of India. मूल से 1 May 2021 को . अभिगमन तिथि 1 May 2021. • Mathrubhumi. मूल से 9 May 2021 को . अभिगमन तिथि 9 May 2021. • Sify. . अभिगमन तिथि 9 May 2021. • ↑ The Times of India. मूल से 28 March 2022 को . अभिगमन तिथि 28 March 2022. • . अभिगमन तिथि 25 October 2022. received overwhelming reviews from the audience and the critics who applauded the film for its plot line and performances. • • Tollywood. 2...

Republic Day 2023 january 26 know indian constitution interesting facts bharat ka samvidhan pcup

Republic Day 2023 january 26 know indian constitution interesting facts bharat ka samvidhan pcup | Republic Day 2023: 26 जनवरी को ही क्यों लागू हुआ संविधान, जानिए Indian Constitution से जुड़ी रोचक बातें | Hindi News, Uttar Pradesh Republic Day 2023: 26 जनवरी को ही क्यों लागू हुआ संविधान, जानिए Indian Constitution से जुड़ी रोचक बातें Constitution Of India: हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस का पर्व मनाया जाता है. इस दिन भारत का संविधान लागू हुआ था और भारत एक लोकतांत्रिक व संवैधानिक राष्ट्र बन गया था. इस वर्ष देश 74 वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. वर्ष 1947 में देश की आजादी के बाद संविधान निर्माण की तैयारी शुरू हो गई. इसके लिए भारतीय संविधान सभा का गठन हुआ और 26 जनवरी 1949 को संविधान को अपना लिया गया. हालांकि आधिकारिक तौर पर इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया. 26 जनवरी को लागू हुआ संविधान 24 जनवरी 1950 को संविधान की दो हस्तलिखित कॉपियों पर साइन किए गए. इसके दो दिन बाद यानी 26 जनवरी को देश भर में संविधान लागू हो गया.भारतीय संविधान की ये कॉपियां हिंदी और अंग्रेजी में हाथ से लिखी गई. ये Copies संसद भवन की लाइब्रेरी में सुरक्षित रखी हुई हैं. Republic Day 2023: देश की आजादी तक कितनी बार बदला राष्ट्रीय ध्वज, तस्वीरों में देखें तिरंगे की यात्रा की पूरी कहानी जानिए कुछ रोचक तथ्य 1949 को संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को भारत का संविधान सुपूर्द किया गया. इस दिन भारत का संविधान बनकर तैयार हुआ था. 1950-भारत एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित हुआ और भारत का संविधान लागू हुआ. स्वतंत्र भारत के पहले और अंतिम गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने अपने पद से त्यागपत्र दिया. डा. राज...

1965 के युद्ध में पाकिस्तान के 156 बम मंदिर को छू नहीं सके, 2001 का भूकंप भी बेअसर रहा

यहां तक कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने राज्य गृहमंत्री हर्ष सांघवी को द्वारका की जिम्मेदारी सौंपी है। सांघवी दो दिनों से द्वारका में व्यवस्थाओं का जायजा ले रहे हैं। रेस्क्यू, मेडिकल, फायर, बिजली विभाग, एनडीआरएफ के साथ आर्मी की एक टीम भी द्वारका में मौजूद हैं। लेकिन, इसके बावजूद द्वारकावासी निश्चिंत हैं। उन्हें पूरा यकीन है कि यह तूफान खत्म हो जाएगा और द्वारका पर इसका कोई असर नहीं होगा। दरअसल, द्वारका के लोगों का यह विश्वास भगवान द्वारकाधीश के चलते है। मुस्लिमों ने कहा- यहां द्वारकाधीश हैं, हमें कुछ नहीं होगा भास्कर से हुई खास बातचीत में द्वारका मंदिर के एक पुजारी प्रणव ने बताया- 'तूफान के वक्त रूपेन पोर्ट की मुस्लिम बहुल बस्ती से लोगों का पलायन करवाया जा रहा था, तब यहां के मुस्लिमों ने यह कहकर कहीं जाने से मना कर दिया था कि जब तक यहां द्वारकाधीश मौजूद हैं, तब तक हमें कुछ नहीं होगा। पुजारी प्रणब ने आगे कहा- हम चाहे इस धार्मिक मान्यता को मानें या विज्ञान का पक्ष लें, लेकिन इतिहास में ऐसे एक नहीं, बल्कि कई उदाहरण मौजूद हैं, जब द्वारका पर भारी आपदाएं आईं और अंतिम समय में टल गईं। दरअसल द्वारकाधीश द्वारका के नगरपाल हैं। वे ही हमेशा से समुद्री तूफान और प्राकृतिक आपदाओ से द्वारकावासियों की रक्षा करते आ रहे हैं। आइए आगे जानते हैं कि कब-कब द्वारका के दरवाजे पर आकर टल गईं बड़ीं मुसीबतें... 1965 की भारत-पाकिस्तान जंग के दौरान 5 पाकिस्तनी जहाजों से बरसाए गए थे द्वारका पर बम। पाकिस्तान के 156 बम भी मंदिर को छू नहीं पाए यह साल 1965 की बात है, जब भारत-पाकिस्तान की जंग अपने चरम पर थी। इसी दौरान 7 सितंबर 1965 को वामन द्वादशी की रात जगत मंदिर पर पाकिस्तानी नेवी ने बम बरसाए थे। बमबारी द्वारि...

Independence Day 2022:गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस में क्या अंतर है? जानें दोनों का इतिहास और महत्व

Independence Day 2022: इस साल भारत अपना 76वां स्वतंत्रता दिवस का पर्व मनाने की तैयारी कर रहा है। देश को आजाद हुए 75 साल पूरे हो चुके हैं। इस मौके पर देश में 'आजादी का अमृत महोत्सव' की थीम पर जश्न मनाया जा रहा है। 15 अगस्त 1949 में देश ब्रिटिश सरकार की गुलामी से आजाद हुआ था। आजादी के बाद से इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के तौर पर मनाया जाता है। लाल किले, विधानसभा से लेकर देश के सरकारी कार्यालयों तक में भारत का राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। परेड निकाली जाती है। स्वतंत्रता दिवस को राष्ट्रीय पर्व घोषित किया गया। हालांकि देश में कई अन्य राष्ट्रीय पर्व भी मनाए जाते हैं। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के तौर पर मनाया जाता है। यह भी देश का एक राष्ट्रीय पर्व है। कई लोगों में 15 अगस्त और 26 जनवरी को लेकर अलग अलग धारणाएं हैं। इन दोनों तारीखों और गणतंत्र दिवस व स्वतंत्रता दिवस को लेकर भी लोगों के मन में कई सवाल होते हैं। इन्हीं सवालों और इन दोनों राष्ट्रीय दिवस को लेकर असमंजस को दूर करने के लिए यहां 26 जनवरी और 15 अगस्त के बीच के अंतर को बताया जा रहा है। अगली स्लाइड्स में जानिए गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस में क्या अंतर है। 15 अगस्त और 26 जनवरी के बीच अंतर स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस का इतिहास तारीखों के मुताबिक दोनों के इतिहास को समझकर अंतर किया जा सकता है। 15 अगस्त 1947 को हिंदुस्तान अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ था। इसलिए इस दिन को भारत के स्वतंत्रता दिवस के तौर पर हर साल मनाया जाता है। वहीं देश की आजादी के लगभग तीसरे साल में यानी 26 जनवरी 1950 को भारत में संविधान लागू हुआ था। इसलिए इस दिन गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। संविधान लागू होने के बाद भारत एक संप्रभु राष्ट्र बन गया। इसका असर...

Independence Day 2022:गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस में क्या अंतर है? जानें दोनों का इतिहास और महत्व

Independence Day 2022: इस साल भारत अपना 76वां स्वतंत्रता दिवस का पर्व मनाने की तैयारी कर रहा है। देश को आजाद हुए 75 साल पूरे हो चुके हैं। इस मौके पर देश में 'आजादी का अमृत महोत्सव' की थीम पर जश्न मनाया जा रहा है। 15 अगस्त 1949 में देश ब्रिटिश सरकार की गुलामी से आजाद हुआ था। आजादी के बाद से इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के तौर पर मनाया जाता है। लाल किले, विधानसभा से लेकर देश के सरकारी कार्यालयों तक में भारत का राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। परेड निकाली जाती है। स्वतंत्रता दिवस को राष्ट्रीय पर्व घोषित किया गया। हालांकि देश में कई अन्य राष्ट्रीय पर्व भी मनाए जाते हैं। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के तौर पर मनाया जाता है। यह भी देश का एक राष्ट्रीय पर्व है। कई लोगों में 15 अगस्त और 26 जनवरी को लेकर अलग अलग धारणाएं हैं। इन दोनों तारीखों और गणतंत्र दिवस व स्वतंत्रता दिवस को लेकर भी लोगों के मन में कई सवाल होते हैं। इन्हीं सवालों और इन दोनों राष्ट्रीय दिवस को लेकर असमंजस को दूर करने के लिए यहां 26 जनवरी और 15 अगस्त के बीच के अंतर को बताया जा रहा है। अगली स्लाइड्स में जानिए गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस में क्या अंतर है। 15 अगस्त और 26 जनवरी के बीच अंतर स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस का इतिहास तारीखों के मुताबिक दोनों के इतिहास को समझकर अंतर किया जा सकता है। 15 अगस्त 1947 को हिंदुस्तान अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ था। इसलिए इस दिन को भारत के स्वतंत्रता दिवस के तौर पर हर साल मनाया जाता है। वहीं देश की आजादी के लगभग तीसरे साल में यानी 26 जनवरी 1950 को भारत में संविधान लागू हुआ था। इसलिए इस दिन गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। संविधान लागू होने के बाद भारत एक संप्रभु राष्ट्र बन गया। इसका असर...

Republic Day 2022 Speech : gantantra diwas Speech and Essay Ideas why it celebrated on 26 january history

Republic Day 2022 : हर वर्ष 26 जनवरी का दिन भारत में गणतंत्र दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस बार देश अपना 73वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। दरअसल 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू किया गया था। भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया गया। इस वजह से हर साल 26 जनवरी का दिन राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस के तौर पर मनाया जाता है। 26 नवंबर, 1949 को देश की संविधान सभा ने वर्तमान संविधान को विधिवत रूप से अपनाया था, इसलिए इस दिन को देश में संविधान दिवस के तौर पर मनाया जाता है। 2- आजादी से पहले 26 जनवरी को ही स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता था। करीब 18 वर्ष तक 26 जनवरी को पूर्ण स्वराज दिवस (स्वतंत्रता दिवस) मनाया जाता रहा। 3- आजादी के आंदोलन से लेकर देश में संविधान लागू होने तक, 26 जनवरी की तारीख का अपना महत्व रहा है। 31 दिसंबर 1929 को कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में प्रस्ताव पारित कर भारत के लिए पूर्ण स्वराज की मांग की गई थी। कहा गया कि अगर ब्रिटिश सरकार ने 26 जनवरी, 1930 तक भारत को उपनिवेश का दर्जा (डोमीनियन स्टेटस) नहीं दिया, तो भारत को पूर्ण स्वतंत्र घोषित कर दिया जाएगा। 26 जनवरी 1930 को पहली बार स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। इसी दिन जवाहर लाल नेहरु ने तिरंगा फहराया था। फिर देश को आजादी मिलने के बाद 15 अगस्त 1947 को अधिकारिक रूप से स्वतंत्रता दिवस घोषित किया गया। इस तरह आजादी मिलने से पहले ही 26 जनवरी, अनौपचारिक रूप से देश का स्वतंत्रता दिवस बन गया था। 4- 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव लागू होने की तिथि को महत्व देने के लिए ही 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू किया गया था। इसके बाद 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस घोषित किया गया। 5- साल 1950 में देश के पहल...

1965 के युद्ध में पाकिस्तान के 156 बम मंदिर को छू नहीं सके, 2001 का भूकंप भी बेअसर रहा

यहां तक कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने राज्य गृहमंत्री हर्ष सांघवी को द्वारका की जिम्मेदारी सौंपी है। सांघवी दो दिनों से द्वारका में व्यवस्थाओं का जायजा ले रहे हैं। रेस्क्यू, मेडिकल, फायर, बिजली विभाग, एनडीआरएफ के साथ आर्मी की एक टीम भी द्वारका में मौजूद हैं। लेकिन, इसके बावजूद द्वारकावासी निश्चिंत हैं। उन्हें पूरा यकीन है कि यह तूफान खत्म हो जाएगा और द्वारका पर इसका कोई असर नहीं होगा। दरअसल, द्वारका के लोगों का यह विश्वास भगवान द्वारकाधीश के चलते है। मुस्लिमों ने कहा- यहां द्वारकाधीश हैं, हमें कुछ नहीं होगा भास्कर से हुई खास बातचीत में द्वारका मंदिर के एक पुजारी प्रणव ने बताया- 'तूफान के वक्त रूपेन पोर्ट की मुस्लिम बहुल बस्ती से लोगों का पलायन करवाया जा रहा था, तब यहां के मुस्लिमों ने यह कहकर कहीं जाने से मना कर दिया था कि जब तक यहां द्वारकाधीश मौजूद हैं, तब तक हमें कुछ नहीं होगा। पुजारी प्रणब ने आगे कहा- हम चाहे इस धार्मिक मान्यता को मानें या विज्ञान का पक्ष लें, लेकिन इतिहास में ऐसे एक नहीं, बल्कि कई उदाहरण मौजूद हैं, जब द्वारका पर भारी आपदाएं आईं और अंतिम समय में टल गईं। दरअसल द्वारकाधीश द्वारका के नगरपाल हैं। वे ही हमेशा से समुद्री तूफान और प्राकृतिक आपदाओ से द्वारकावासियों की रक्षा करते आ रहे हैं। आइए आगे जानते हैं कि कब-कब द्वारका के दरवाजे पर आकर टल गईं बड़ीं मुसीबतें... 1965 की भारत-पाकिस्तान जंग के दौरान 5 पाकिस्तनी जहाजों से बरसाए गए थे द्वारका पर बम। पाकिस्तान के 156 बम भी मंदिर को छू नहीं पाए यह साल 1965 की बात है, जब भारत-पाकिस्तान की जंग अपने चरम पर थी। इसी दौरान 7 सितंबर 1965 को वामन द्वादशी की रात जगत मंदिर पर पाकिस्तानी नेवी ने बम बरसाए थे। बमबारी द्वारि...