2023 का दशहरा कब है

  1. 2023 का दशहरा (विजयदशमी) की तारीख व मुहूर्त
  2. 2023 में दशहरा कब है New Delhi, India में
  3. Ganga Dussehra 2023: इस साल कब पड़ रहा है गंगा दशहरा? जानें पूजा विधि और महत्त्व के बारे में
  4. ganga dussehra 2023 date shubh muhurat tithi and shubh muhurat importance


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2023 का दशहरा (विजयदशमी) की तारीख व मुहूर्त

दशहरा दशहरा नाम संस्कृत के शब्द दशा (दस) और हारा (हार) से बना है। यह रावण (10 सिर वाले राक्षस राजा) पर राम की जीत का प्रतीक है। कुछ लोग महिषासुर राक्षस पर देवी दुर्गा की जीत को चिह्नित करने के लिए भी इस दिन को मनाते हैं। दशहरा या विजयदशमी इस साल 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी। आप सभी दिन के इतिहास और महत्व के बारे में जानना चाहते हैं। हिंदू त्योहार हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार अश्विन के महीने के दौरान और महा नवमी के एक दिन बाद या शारदीय Table of Contents • • • • • • • • दशहरा शब्द उत्तर भारतीय राज्यों और कर्नाटक में अधिक प्रचलित है जबकि विजयदशमी शब्द पश्चिम बंगाल में अधिक लोकप्रिय है। उत्तर भारत में, दशहरा बहुत धूमधाम से मनाया जाता है और राम लीला, भगवान राम की कहानी का एक अधिनियमन, नवरात्रि के सभी नौ दिनों में आयोजित किया जाता है, जिसका समापन रावण की हत्या और दशहरा या विजयदशमी के दिन उनके आदमकद पुतले को जलाने के साथ होता है। मेघनाद और कुंभकरण के साथ रावण का पुतला बनाया जाता है और शाम को जलाया जाता है । दशहरा पापों या बुरे गुणों से छुटकारा पाने का भी प्रतीक है क्योंकि रावण का प्रत्येक सिर एक बुरे गुण का प्रतीक है। दशहरा का मतलब यह भी है की विजयादशमी के दिन शमी के पेड़ की पूजा करना देश के कुछ हिस्सों में बहुत महत्व रखता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि पूर्वी भारत समारोह में दशहरे का उत्सव पश्चिम बंगाल में दशहरे को दशहरे पर, भगवान की मूर्तियों को पानी में विसर्जित किया जाता है जिसे एक महान जुलूस द्वारा चिह्नित किया जाता है। विवाहित महिलाएं “सिंदूर-खेला” खेलती हैं जहां वे एक-दूसरे को सिंदूर के स्पर्श से बधाई देती हैं। यह सौभाग्य और लंबे वैवाहिक जीवन का प्रतीक है। यह अनुष्ठान देवी दु...

2023 में दशहरा कब है New Delhi, India में

आइए जानते हैं कि 2023 में दशहरा कब है व दशहरा 2023 की तारीख व मुहूर्त। दशहरा पर्व अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को अपराह्न काल में मनाया जाता है। यह पर्व अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है। इसी दिन पुरूषोत्तम भगवान राम ने रावण का वध किया था। कुछ स्थानों पर यह त्यौहार विजयादशमी,के रूप में जाना जाता है। पौराणिक मान्यतानुसार यह उत्सव माता विजया के जीवन से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा कुछ लोग इस त्योहार को आयुध पूजा(शस्त्र पूजा) के रूप में मनाते हैं। दशहरा मुहूर्त 1. दशहरा पर्व अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को अपराह्न काल में मनाया जाता है। इस काल की अवधि सूर्योदय के बाद दसवें मुहूर्त से लेकर बारहवें मुहूर्त तक की होती। 2.यदि दशमी दो दिन हो और केवल दूसरे ही दिन अपराह्नकाल को व्याप्त करे तो विजयादशमी दूसरे दिन मनाई जाएगी। 3.यदि दशमी दो दिन के अपराह्न काल में हो तो दशहरा त्यौहार पहले दिन मनाया जाएगा। 4.यदि दशमी दोनों दिन पड़ रही है, परंतु अपराह्न काल में नहीं, उस समय में भी यह पर्व पहले दिन ही मनाया जाएगा। श्रवण नक्षत्र भी दशहरा के मुहूर्त को प्रभावित करता है जिसके तथ्य नीचे दिए जा रहे हैं: 1.यदि दशमी तिथि दो दिन पड़ती है (चाहे अपराह्ण काल में हो या ना) लेकिन श्रवण नक्षत्र पहले दिन के अपराह्न काल में पड़े तो विजयदशमी का त्यौहार प्रथम दिन में मनाया जाएगा। 2.यदि दशमी तिथि दो दिन पड़ती है (चाहे अपराह्न काल में हो या ना) लेकिन श्रवण नक्षत्र दूसरे दिन के अपराह्न काल में पड़े तो विजयादशमी का त्यौहार दूसरे दिन मनाया जाएगा। 3.यदि दशमी तिथि दोनों दिन पड़े, लेकिन अपराह्ण काल केवल पहले दिन हो तो उस स्थिति में दूसरे दिन दशमी तिथि पहले तीन मुहूर्त तक विद्यमान रहेगी और श्रवण नक्ष...

Ganga Dussehra 2023: इस साल कब पड़ रहा है गंगा दशहरा? जानें पूजा विधि और महत्त्व के बारे में

Ganga Dussehra 2023 Date (गंगा दशहरा कब है?): गंगा नदी के प्रति आस्था रखने वालों के लिए गंगा दशहरा का पर्व बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है। गंगा दशहरा के दिन गंगा के घाटों में गंगा की आरती उतारी जाती है। लोग विधि विधान से मां गंगा की पूजा करते हैं। गंगा दशहरा के दिन ही मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थी। तब से लेकर आज तक मां गंगा को गंगा दशहरा के दिन को विशेष मानकर पूजा अर्चना की जाती है। घाटों को भव्य तरीके से सजाया जाता है। ऐसा लगता है मानो कुंभ मेला का समय आ गया। कहा गया है कि गंगा दशहरा के दिन गंगा में डुबकी लगाने से 10 तरह के पाप मिट जाते हैं। कहां से आई गंगा, क्या है इतिहास गंगा जी के संबंध में बताया गया है कि भगवान श्री रामजी के पूर्व अयोध्या के राजा उनके पूर्वज राजा सगर हुआ करते थे। राजा सगर के 60 हजार पुत्र थे। वह अपने राज्य का विस्तार करने अश्वमेध यज्ञ शुरू किया। अश्वमेध का घोड़ा छोड़ा गया। लेकिन स्वर्ग में बैठे इंद्र इस घोड़े का अपहरण कर हम उन्हें महामुनी कपिल की कुटिया में लेजाकर बांध दिए। बताते हैं कि जिस समय राजा के सभी पुत्र महामुनी कपिल के आश्रम में पहुंचे उस समय महामुनी कपिल तपस्या में लीन थे। लेकिन राजा के पुत्रों द्वारा किए जा रहे उत्पाद से उनका ध्यान भंग हो गया और उनकी तपस्या भी भंग हो गई। ऐसे में महामुनी क्रोधित हुए और उन्होंने अपनी तपस्या के बल पर जैसे ही क्रोधित होकर राजा के पुत्रों की ओर दृष्टि डाली सभी जलकर राख के ढेर में तब्दील हो गए। जब इस पूरी घटना का पता राजा सगर को चला वह विचलित हो उठे। उन्होंने अपने साठ हजार पुत्रों मोक्ष के लिए गरुण जी से उपाय पूछा। तो गरुड़ जी ने कहा कि केवल गंगा जी के आने से ही इनका उद्धार हो सकता है। इसके पश्चात राजा सगर ने घोर तप...

ganga dussehra 2023 date shubh muhurat tithi and shubh muhurat importance

Ganga Dussehra 2023 Date:वैदिक ज्योतिष अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी को मां गंगा का अवतरण दिवस मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार दशमी तिथि को भगवान शिव की जटा से मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था। गंगा नदी को मोक्षदायनी कहा गया है। इसलिए इस दिन गंगा स्नान करने का भी विशेष महत्व बताया गया है। गंगा स्नान करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस साल गंगा दशहरा 30 मई को मनाया जाएगा। आइए जानते हैं गंगा दशहरा की तिथि और शुभ मुहूर्त… गंगा दशहरा की तिथि (Ganga Dussehra 2023 Kab Hai) पंचांग के मुताबिक इस साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 29 मई को 11 बजकर 48 मिनट पर आरंभ होगी। साथ ही जिसका अंत 30 मई को दोपहर 01 बजकर 08 मिनट पर होगा। इसलिए उदयातिथि को आधार मानते हुए गंगा दशहरा 30 मई को मनाया जाएगा। गंगा दशहरा शुभ योग (Ganga Dussehra 2023 Shubh Yog) गंगा दशहरा की पर सुबह 4 बजकर 28 मिनट हस्त नक्षत्र शुरू होगा। जिसका अंत 31 मई को सुबह 5 बजकर 58 मिनट पर होगा। वहीं 30 मई रात को 8 बजकर 54 मिनट बजे व्यतिपात योग शुरू होगा। जो 31 मई की रात को 8 बजकर 14 मिनट तक रहेगा। वहीं 31 मई को पूरे दिन रवि योग भी रहेगा। इन योगों में पूजा का दोगुना फल प्राप्त होता है। गंगा दशहरा पर दान का महत्व गंगा दशहरा के दिन पवित्र नदी खासकर गंगा नदी में स्नान करने का महत्व है। मान्यता है इस दिन गंगा में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वहीं इस दिन गरीबों और जरूरतमदों को फल, जूता, चप्पन, छाता, घड़ा और वस्त्र दान करने का विधान है। वहीं इस दिन दिन सूर्य को अर्घ्य देने से व्यक्ति को आरोग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में सुख- सम...